बिहार का पहला Mehfil On Wheels कॉन्सेप्ट लेकर आई रक्षा झा, जानिए कैसे आया उन्हें ये आईडिया और क्या है खासियत

बिहार की बेटियां अब किसी से कम नहीं है, हर क्षेत्र में अब वो अपना परचम लहरा रही है। अपने हुनर के बदौलत वे अपना अलग पहचान स्थापित कर रही है। कुछ ऐसी ही कहानी है बिहार के अररिया जिले की रहने वाली रक्षा झा (Raksha Jha From Araria) की।
उन्हें एक दिन कबाड़ से जुगाड़ का आईडिया आया, फिर क्या था उन्होंने अपनी सोच को परिणाम में बदलने की ओर लग गई और सजा डाली अपनी Mehfil On Wheels की दुनिया। आईये जानते है क्या है इसकी खासियत और कैसे आया रक्षा को ये आईडिया?
कैसे आया कबाड़ से जुगाड़ का आईडिया?
मीडिया से बातचीत के दुअरान रक्षा झा ने बताया कि कैसे उन्होंने डबल डेकर रेस्टोरेंट्स की नींव रखी और बिहार की राजधानी पटना में महफ़िल ऑन व्हील्स के नाम से कैफे का संचालन कर रही हैं। उन्होंने कहा कि MW Bistro महफिल ऑन व्हील्स के साथ मिथिला विमेन भी है।
रक्षा झा ने बताया कि एक बार वह पाटलीपुत्रा में थाने के पास से गुज़र रही थी। उन्होंने देखा कि वहां खड़ी गाड़ियां कबाड़ हो चुकी हैं। ऐसे में उन्हें आइडिया आया की क्यों ने कबाड़ में ही महफ़िल सजाई जाए। जिसके बाद उन्होंने अपने पिता संजय झा से इसका ज़िक्र किया।
8 लाख रुपये की लागत से शुरू किया कैफे
रक्षा झा के पिता ने कहा कि – “अभी तुम्हारी उम्र कम है नहीं कर पाओगी, थोड़ा तजुर्बा लो और बाद में शुरुआत करना।” रक्षा को तो कैफे संचालन का जुनून चढ़ा हुआ था, उन्होंने अपने मामा और माँ से इस बात का ज़िक्र किया जिसके बाद दोनों ने उनकी आर्थिक मदद की।
इसके बाद रक्षा ने 8 लाख रुपये की लागत से बस को कैफे की तरह बनवाया और फिर अपने सपने को सफल बनाने में जुट गई। रक्षा के जुनून और जज़्बे को देखने के बाद उनके पिता संजय झा ने भी उनकी हौसला अफज़ाई की।
MW Bistro में क्या क्या मिलेंगी सुविधाएं?
इसके बाद रक्षा ने राजधानी पटना के पीएनएम मॉल (पाटलीपुत्र कॉलोनी) के पास लोयला स्कूल के सामने वाली गली में कैफे की शुरुआत की। रक्षा झा ने सपने को साकार करते हुए महफिल ऑन व्हील्स को डबल डेकर बस की तरह ही बनवाया है।
मालूम हो कि बस के पहले फ्लोर पर 7 लोगों के बैठने की क्षमता हैं। बस के दूसरे फ्लोर पर महफिल की तरह सजावट है, जहां जमीन पर गद्दे, कुशन और मसनद के साथ छोटी हाइट के टेबल रखे गए हैं।
MW Bistro में अगर आप खुले आसमान के नीचे भी खाने का लुत्फ लेना चाहे तो ले सकते हैं। पेड़ के नीचे सोफे पर बैठकर भोजन का आनंद उठा सकते हैं। वहीं दूसरी तरफ प्रकृति से जोड़ते हुए झोपड़ी की शक्ल दी गई है।
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प्रतिदिन 15 से 20 हज़ार रुपये तक का बिजनेस
इसके साथ ही यहां कैंप फायर के लिए लह, लद्दाख और हिमाचल जैसा भी लुक दिया गया है। रक्षा ने बताया कि 15 जुलाई को इसकी शुरुआत की है। प्रतिदिन 15 से 20 हज़ार रुपये तक का बिजनेस हो रहा है। रक्षा के अनुसार वो भविष्य में अपना फूड चेन बनाने के लिए भी काम करेंगी।
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