Shivalay Of Bihar: बेहद खास है ये बिहार के ये शिवालय, सावन में जल चढाने देश भर से आते है लोग, जानिए विशेषता

Shivalay Of Bihar

बिहार में शिवालयों की संख्या अन्य किसी देवालय की संख्या से कहीं अधिक है। शायद ही कोई इलाका ऐसा हो जहाँ शिवालय मौजूद न हो। बिहार के कुछ शिवालय तो देश-दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं। वहीँ कुछ शिवालयों का महत्व पौराणिक और आध्यात्मिक रूप से काफी ज्यादा है।

बेशक बिहार में कोई ज्योतिर्लिंग मौजूद नहीं है, लेकिन कई ऐसे शिवलिंग हैं, जिनका महत्व किसी ज्योतिर्लिंग से कम नहीं माना जाता। आइये जानते हैं इनमें से कुछ शिवालयों और उनकी विशेषताओं के बारे में।

कोटेश्वर नाथ

Koteshwar Nath Gaya
कोटेश्वर नाथ

सबसे पहला नंबर बिहार के गया जिले के बेलागंज में प्राचीन कोटेश्वर नाथ धाम का आता है। जहाँ मंदिर से 100 मीटर उत्तर दिशा में अति प्राचीन विशाल पीपल का पेड़ मौजूद है।

इसकी टहनी धरती को छूती हुई मंदिर की ओर रुख करती हुई दिखाई देती होती है। ऐसा लगता है जैसे पीपल के पेड़ की सारी टहनियां महादेव कोटेश्वर नाथ को नमन कर रहीं हो।

हरिहरनाथ

Hariharnath
हरिहरनाथ

दूसरे स्थान पर बिहार के सारण जिले स्थित सोनपुर में हरिहरनाथ मंदिर है। इस मंदिर की ऐसी मान्यता है कि जब यहां एक हाथी पानी पीने आया तो उसे एक मगरमच्छ ने जकड़ लिया और दोनों में युद्ध शुरू हो गया।

इस बीच जब हाथी कमजोर पड़ने लगा तो उसने भगवान विष्णु की प्रार्थना की, तब भगवान विष्णु ने कार्तिक पूर्णिमा के दिन सुदर्शन चक्र चलाकर दोनों के युद्ध को रोका और हाथी को मुक्त कराया। यहां हरि और हर दोनों की पूजा एक साथ होती है।

गरीबनाथ

Garibnath Bihar
गरीबनाथ

वहीँ बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में गरीबनाथ धाम महादेव का प्रसिद्ध मंदिर तीसरे स्थान पर आता है। सावन महीने के दौरान इस मंदिर में विशाल श्रावणी मेले का आयोजन होता है।

सावन में सोनपुर के पहलेजा घाट से लाखों कांवरिये गंगा जल लेकर यहां अर्पित करते हैं। यह बिहार के प्रसिद्ध शिवालयों में से एक है।

कुशेश्वर नाथ

Kusheshwar Nath
कुशेश्वर नाथ

चौथे स्थान पर दरभंगा जिला मुख्यालय से लगभग 70 किमी दूर बाबा कुशेश्वरस्थान का शिव मंदिर है। लोग इसे मिथिला का बाबा धाम के नाम से भी जानते हैं।

सावन में यहां देवघर की तरह भीड़ होती है। भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर तीन नदियों के संगम पर स्थित है। इस मंदिर परिसर में एक पवित्र कुआं भी है।

ब्रह्मेश्वर नाथ

Brahmeshwar Nath
ब्रह्मेश्वर नाथ

5वें नंबर पर ब्रह्मपुर में बाबा ब्रह्मेश्वर नाथ मंदिर को दूसरा बाबा धाम भी कहा जाता है। मान्यता है कि इस शिवलिंग को ब्रह्माजी ने हाथों से स्थापित किया था।

ऐसी कथा प्रचलित है कि जब अक्रांता मन्दिर को तोड़ने पहुंचे तो मंदिर का दरवाजा पूरब से पश्चिम दिशा की ओर घूम गया।

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बैकुंठ धाम

Baikunth Dham
बैकुंठ धाम

6ठे स्थान पर बैकटपुर मंदिर है। इस मंदिर को बैकुंठ धाम के नाम से भी जाना जाता है। लोग कहते हैं कि रावण को मारने से श्रीराम पर जो ब्राह्मण वध का पाप लगा था, उससे मुक्ति पाने के लिए वह इस मंदिर में आये थे। यहां आकर श्रीराम ने भगवान शिव की पूजा की थी।

अजगैबीनाथ

Ajgaibinath
अजगैबीनाथ

सातवें नंबर पर बिहार के भागलपुर जिले के सुल्तानगंज में उत्तरवाहिनी गंगा तट पर बसे अजगैबीनाथ मंदिर की है।  इस मंदिर की महिमा अपरंपार है। यह भारत का एकमात्र ऐसा मन्दिर है, जहां एक ही लिंग पर दो भगवान की पूजा होती है।

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