वैशाली के सभी ऐतिहासिक पुरावशेष पानी में डूबे, पूरा इलाका झील में तब्दील

बाढ़ ने बिहार के कई जिलों को तबाह करके रखा है, लोगो के घरों तक पानी पहुंचने के कारण जीवन काफी कठिन हो गया है। भारी बारिश और नेपाल से आ रहा पानी लोगों के लिए परेशानी बना हुआ है। गंगा तो शांत होती दिख रही हैं लेकिन गंडक और अन्य सहायक नदियों में उफान जारी है।

वैशाली के ऐतिहासिक स्थल जलमग्न

इसी बाढ़ की चपेट में वैशाली के ऐतिहासिक पुरावशेष भी आ गए है, लगभग सभी दर्शनीय एवं पुरातात्विक स्थल बाढ़ की पानी में डूबा हुआ है। इन जगहों तक पहुंचना काफी मुश्किल हो गया है। सारे रास्तों पर कई-कई फीट पानी बह रहा है।

भगवान बुद्ध की अस्थि कलश जिस जगह पर मिली थी, यानी बुद्ध रेलिक स्तूप जलमग्न हो चुका है। अभिषेक पुष्करणी, शान्ति स्तूप और उसके आसपास की सड़कों पर झील जैसा नजारा है। पानी में पूरी तरह से डूब चुके इस इलाके के होटलों और रेस्टोरेंटों में सन्नाटा पसरा है।

अशोक स्तम्भ और उसके आसपास स्थित ऐतिहासिक भग्नावशेषों में पानी भर चुका है। पूरा इलाका बाढ़ में डूब हुआ है। इन ऐतिहासिक स्थलों के अस्तित्व पर इस बाढ़ ने खतरे की घंटी बजा दी है। चारों तरफ पानी ही पानी है।

पिछले साल भी मची थी तबाही

आपको बता दे कि यह पहली बार नहीं हो रहा है कि वैशाली में पानी भर गया हो,पिछले साल भी कुछ इसी तरह के हालात हुए थे। गत वर्ष भी यहां की सभी ऐतिहासिक और पुरातात्विक स्थल पानी में डूब गए थे। जानकार बताते हैं कि यह हालात यहां दो जिलों के बीच की समस्या बन कर निजात को तरस रहा है। एक तरफ जहां वैशाली गढ़ से लेकर अभिषेक पुष्करणी, भगवान बुद्ध का अस्थि अवशेष स्थल रैलिक स्तूप, विश्व शांति स्तूप आदि क्षेत्र वैशाली जिले में है, जबकि ऐतिहासिक अशोक स्तंभ, भगवान महावीर दर्शन स्थल, प्राकृत जैन शोध संस्थान आदि स्थल मुजफ्फरपुर जिले में आता है।