UPSC पास सभी अभ्यर्थियों को लगा झटका, अब यूपीएससी टॉपर भी नहीं कर सकेंगे ये काम, जानिए क्या है ये नया नियम?

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा को सफलतापूर्वक पास करने वाले अभ्यर्थियों को एक झटका लगा है। UPSC Toppers के साथ-साथ सभी सफल अभ्यर्थियों के इस एक्सट्रा कमाई पर बैन लगा दिया गया है।
सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी (CCPA) ने इसके लिए नए नियम पेश कर दिए है। जिसका पालन सख्ती से किया जाएगा। आईये जानते है की ये नए नियम क्या कहते है और इसका मुख्य कारण क्या है?
UPSC पास सभी अभ्यर्थियों को लगा झटका
दरअसल यूपीएससी की परीक्षा पास करने वाले अभ्यर्थियों को उनके चयन हो जाने के बाद से कोचिंग संस्थानों के विज्ञापनों के जरिए कमाई करने की इजाजत नहीं दी जाएगी।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के सफल कैंडिडेट्स को अब जॉइनिंग लेटर पर हस्ताक्षर करने के तुरंत बाद से कोचिंग संस्थानों के साथ अपना कॉन्ट्रेक्ट खत्म करना होगा।
मालूम हो की यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा की कोचिंग देने वाले बहुत से संस्थान अपने सफल अभ्यर्थियों से कॉन्ट्रेक्ट करते हैं। इसके बाद उनके फोटो विज्ञापनों में दिखाकर नए अभ्यर्थियों को अपने कोचिंग के लिए आकर्षित किया जाता हैं।
यूपीएससी के सफल अभ्यर्थियों को इन विज्ञापनों से मोटी कमाई होती है। लेकिन अब इस एक्स्ट्रा कमाई का आनंद उन्हें चखने को नहीं मिल पाएगा। ऐसे में UPSC पास सभी अभ्यर्थियों को एक झटका सा लगा है।
यूपीएससी टॉपर समेत सभी सफल अभ्यर्थी नहीं कर सकेंगे ये काम

मिंट अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी (CCPA) की ओर से केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DOPT) से की गई बातचीत के अनुसार न सिर्फ यूपीएससी सिविल सर्विसेज एग्जाम के टॉपर बल्कि सभी सफल अभ्यर्थियों को जॉइनिंग लेटर साइन करने के बाद कोचिंग इंस्टीट्यूट्स से अपना एड कॉन्ट्रेक्ट खत्म करना होगा।
डीओपीटी ही यूपीएससी की ओर से आयोजित होने वाली विभिन्न भर्ती परीक्षाओं के साथ साथ यूपीएससी के सफल अभ्यर्थियों का कैडर आवंटन (UPSC Cadre Allocation) के कार्य की देखरेख करती है।
सीसीपीए ने अपनी जांच के दौरान ऐसा पाया है कि कोचिंग संस्थान जिस तरह से यूपीएससी आईएएस टॉपरों की फोटो का प्रयोग अपने विज्ञापनों में करते हैं, वह उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के ‘भ्रामक विज्ञापन’ और ‘अनुचित व्यापार प्रथाओं’ की धाराओं के तहत आता है।
भारत में 58088 करोड़ रुपये का कोचिंग उद्योग
सीसीपीए की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि – “कोचिंग सेंटरों ने उम्मीदवारों को लुभाने के लिए भ्रामक और बढ़ा चढ़ाकर किए दावों का सहारा लिया है।”
इसके अलावा सीसीपीए रिपोर्ट की माने तो, भारत में कोचिंग उद्योग (Coaching Industry) 58,088 करोड़ रुपये का है, जिसमें से यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा कोचिंग (UPSC Coaching) का हिस्सा 3,000 करोड़ रूपए है। दिल्ली और खासकर मुखर्जीनगर और राजेंद्रनगर को सिविल सेवा परीक्षा कोचिंग का गढ़ माना जाता है।
अपने विज्ञापनों में इस बात को छिपाते हैं कोचिंग संस्थान?
सीसीपीए ने डीओपीटी को लेटर लिखकर ये सुझाव दिया है कि वह उन सभी उम्मीदवारों पर केंद्रीय सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1964 को लागू करे। जो पूरे साल कोचिंग संस्थानों के विज्ञापनों में ब्रांड एंबेसडर के रूप में छाए हुए रहते हैं।
इन आचरण नियमों में यह साफ-साफ कहा गया है कि – “कोई भी सरकारी कर्मचारी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी भी व्यापार या व्यवसाय से जुड़ेगा या कोई रोजगार नहीं करेगा।”
सीसीपीए की रिपोर्ट का हवाला देते हुए पत्र में इस बात पर जोर देकर कहा गया है कि – “ये कोचिंग संस्थान अपने विज्ञापनों में इस बात को छिपाते हैं कि सफल उम्मीदवारों ने वहां से कौन सा कोर्स किया था? कई तरह की जानकारियां जानबूझकर छिपाकर नए अभ्यर्थियों को गुमराह किया जाता है।
क्या है ऐसा करने की वजह?
गौरतलब है की हाल ही में सीसीपीए से वाजीराव एंड रेड्डी इंस्टीट्यूट, चहल अकादमी, खान स्टडी ग्रुप आईएएस, एपीटीआई प्लस, एनालॉग आईएएस, शंकर आईएएस, श्रीराम आईएएस, बायजू आईएएस, अनएकेडमी, नेक्स्ट आईएएस, दृष्टि आईएएस, आईक्यूआरए आईएएस, विजन आईएएस, आईएएस बाबा, योजना आईएएस, प्लूटस आईएएस, एएलएस आईएएस, राउज आईएएस स्टडी सर्कल समेत 20 आईएएस कोचिंग संस्थानों को एक नोटिस भेजा गया था।
वाजीराव एंड रेड्डी संस्थान ने दावा किया था कि यूपीएससी 2022 रिजल्ट में पास हुए अभ्यर्थियों में 617 विद्यार्थी उनके यहाँ से थे। फिर सीसीपीए को भेजे जवाब में संस्थान ने जवाब दिया कि वे सभी विद्यार्थी उनके कोचिंग के इंटरव्यू गाइडेंस प्रोग्राम से जुड़े हुए थे।
यानी किसी ने भी उनके द्वारा उपलब्ध कराए जा रहे महंगे फाउंडेशन कोर्सेज में दाखिला नहीं लिया था।
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