बिहार के इस कलाकार ने भारत रत्न लता मंगेशकर जी को दी अनोखी श्रद्धांजलि, रेत पर बनाई सुन्दर तस्वीर

पूरा देश और दुनिया स्वर कोकिला भारत रत्न लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) को श्रद्धांजलि दे रही है। बिहार के छपरा के रहने वाले सैंड आर्टिस्ट (Sand Artist) अशोक महतो ने मशहूर गायिका के निधन (Lata Mangeshkar Death) पर उन्हें सैंड आर्ट बनाकर श्रद्धांजलि अर्पित की है। लता दीदी की रेत पर सुंदर आकृति बना कर श्रद्धांजलि देने के बाद से वो सुर्खियों में हैं।
अशोक महतो बिहार के छपरा (Chhapra) के नेवाजी टोला धर्मशाला निवासी है। उनको बचपन से सैंड आर्ट (Sand Art) का शौक था। साइन बोर्ड पेंटिंग से अपने करियर की शुरुआत करने वाले अशोक लगातार अपनी कड़ी मेहनत से सैंड आर्ट को सीखते गए। उनकी सबसे बड़ी खासियत है, उनकी खास तरीके की पेंटिंग, जिसे उन्होंने खुद विकसित किया है।

सैंड आर्ट के जरिये देते है सन्देश
अशोक महतो इस खास पेंटिंग में बिना ब्रश का इस्तेमाल किये ही पेंटिंग बनाते हैं। इसे ‘बॉडी प्रिंट आर्ट’ कहते हैं। अशोक की पेंटिंग प्रदर्शनी देश के लगभग सभी शहरों में लग चुकी है। आपको बता दें कि अशोक एक प्रशिक्षित और सफल गोताखोर भी हैं, उन्होंने पानी में डूबने से चार सौ से भी ज्यादा लोगों की जिंदगी बचायी है। सारण जिले में यदि किसी भी व्यक्ति के डूबने की जानकारी उन्हें प्राप्त होती है, तो वो पानी में डुबकी लगाकर उसको बाहर निकालते हैं।
अशोक ने बचपन में बालू से खेल खेल में और छपरा में अपने गुरू मेहंदी शॉ से कला की बारीकियों को सीखा। वो समय-समय पर सैंड आर्ट के जरिए समाज में होने वाली घटनाओं पर आधारित कलाकृति बना कर संदेश देते हैं। महापुरुषों का जन्म हो या किसी खास को श्रद्धांजलि अर्पित करना हो, अशोक अपने सैंड आर्ट के जरिए उसे प्रदर्शित का प्रयास करते हैं।
बिहार से लता दी का रहा है बेहद खास नाता
लता दी का बिहार और बिहार की भाषा व बोली से बेहद खास नाता रहा है। हिंदी के साथ ही उन्होंने मैथिली और भोजपुरी में भी गीत गाए। वह जब गाती थीं तो पूरी बिहारी बन जाती थीं और यहां की संवेदना को अपने स्वर से व्यक्त करती थीं।
लता मंगेशकर के मैथिली में गाए गीत, सुनू सुनू रसिया… आज भी मिथिलावासियों की जुबान पर तैरने लगती है। लता दी के निधन के साथ ही एक बार फिर से यह गीत ट्रेंड करने लगा है। 1964 में रीलीज हुई फिल्म विद्यापति के इस मशहूर गीत में लता मंगेशकर का साथ तत्कालीन प्रसिद्ध गायक मलय मुखर्जी ने भी स्वर दिया था।