बिहार में ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना होगा मुश्किल, ट्रेनिंग स्कूल में 15 दिन करनी होगी थ्योरी क्लास

राज्य में परिवहन विभाग ने ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूल खोलने की नियमावली में संशोधन कर कुछ नए नियम लागू किया जिससे अब ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूल में प्रैक्टिकल के साथ थ्योरी भी पढाई जाएगी। लगभग 15 दिनों के इस ट्रेनिंग में चालकों को यातायात नियमों एवं चालन प्रक्रियाओं के बारे में मल्टीमीडिया प्रोजेक्टर के माध्यम से जानकारी दी जाएगी। इसके लिए राज्य में खुलने वाले नए मोटर ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूल में दो कमरों का पक्का क्लासरूम का निर्माण होना जरूरी होगा।
ट्रेनिंग से कम होगी दुर्घटना
राज्य परिवहन मंत्री शीला कुमारी ने बताया इस सम्बन्ध में बताया कि सड़क सुरक्षा के दृष्टिकोण से यह प्रशिक्षण बेहद ही जरूरी है, सही प्रशिक्षण नहीं मिलने के कारण अकसर वाहन चालक गलतियां करते हैं और दुर्घटना के शिकार होते हैं। प्रशिक्षण मिलने से सड़क दुर्घटना में कमी आएगी। ट्रेनिंग स्कूलों से निजी क्षेत्र के संस्थानों व व्यक्तियों को रोजगार का बड़ा अवसर भी मिलेगा।
ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूल का सर्टिफिकेट
बताया जा रहा है कि बहुत ही जल्द राज्य में कॉमर्शियल लाइसेंस की तरह निजी ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए भी मोटर ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूल का सर्टिफिकेट देना होगा, इसके लिए परिवहन विभाग ने तैयारी शुरू कर दी है। ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूल में चालकों को प्राथमिक उपचार की भी जानकारी दी जाएगी। सड़क दुर्घटना के दौरान लोगों की मदद कैसे करें या दुर्घटना के बाद वह खुद का प्राथमिक उपचार कैसे करें, इसके बारे में भी थ्योरी पेपर के माध्यम से प्रशिक्षण दिया जाएगा।
खोले जायेंगे 76 मोटर ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूल
नए चालकों को प्रशिक्षित करने और रोजगार की दृष्टिकोण से भी अवसर पैदा करने के लिए परिवहन विभाग राज्य भर में 76 नए मोटर ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूल खोल रहा है, इन ट्रेनिंग स्कूलों में नौसिखिया ड्राइवरों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। पहले 38 जिलों के लिए 61 ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूल का लक्ष्य निर्धारित किया गया था लेकिन लोगों की बढ़ती अभिरुचि को देखते हुए ट्रेनिंग स्कूलों के लक्ष्य को 61 से बढ़ाकर 76 किया गया है।