Tea Plantation in Bihar: असम-बंगाल ही नहीं बिहार में भी होती है चाय की खेती! ‘टी सिटी’ बना बिहार का यह जिला

Tea Farming in Bihar: असम और दार्जीलिंग जैसी जगहों की चाय वर्ल्ड फेमस है, अगर आप इन जगहों पर घूमने जाए तो आपको चाय के हरे भरे बागान देखने को मिलेंगे साथ ही वहाँ से आप चाय के अलग अलग वैरायटी की खरीददारी भी कर सकते है। लेकिन क्या आपको पता है कि बिहार के भी कुछ इलाकों में चाय की बेहतरीन खेती होती है?
ये शायद कम ही लोगों को पता होगा कि बिहार का एक ऐसा भी जिला है जो चाय की खेती के लिए काफी मशहूर है और यहाँ की चाय भी काफी अच्छी क्वालिटी की होती है। तो आज के इस पोस्ट में हम इसी के बारे में बात करेंगे और आपको बिहार में होने वाले चाय की खेती के बारे में बताएँगे –
बिहार में यहाँ होती है चाय की खेती
नेपाल और पश्चिम बंगाल के बॉर्डर पर स्थित बिहार का एक जिला स्थित है किशनगंज। बिहार का यह एकमात्र जिला है जो चाय की खेती के लिए जाना जाता है और यही वजह है कि राज्य सरकार ने इसे बिहार की चाय का टैग दे दिया है।
बताया जाता है कि वर्तमान में किशनगंज में लगभग 50,000 एकड़ भूमि पर चाय के बगान हैं। स्थानीय लोगों का दावा है कि यहां उत्पादित होने वाली चाय की गुणवत्ता ऐसी है कि इसकी मांग देश के सभी कोनों में है।

1993 से हो रही है खेती
किशनगंज के पांच प्रखंड किशनगंज, पोठिया, ठाकुरगंज, बहादुरगंज और दिघलबैंक में चाय की खेती होती है, स्थानीय लोगों की मानें तो किशनगंज में वर्ष 1993 में प्रायोगिक आधार पर पोठिया प्रखंड के एक गांव में मात्र पांच एकड़ जमीन पर चाय बागान की शुरूआत की गई थी।
करीब 30 साल पहले जो काम एक प्रयोग के रूप में शुरू हुआ था आज वह एक फलते-फूलते व्यापार में विकसित हो गया है और मौजूदा वक्त में किशनगंज पर चाय के बड़े व्यपारियों से लेकर छोटे किसानों तक की नजर है।
अच्छी है चाय की क्वालिटी
किशनगंज के जिन इलाकों में चाय की खेती होती है वहां की मिट्टी और जलवायु चाय बागान के लिए बहुत उपयुक्त है, इतना ही नहीं जो चाय बागान के एक्सपर्ट है वो बताते है कि यहाँ जिन चाय का उत्पादन होता है उनकी गुणवत्ता काफी अच्छी रहती है।
आकड़ों पर नजर डालें तो इस क्षेत्र में प्रति वर्ष लगभग 1.50 मीट्रिक टन चाय की हरी पत्तियों का उत्पादन होता है जबकि इससे 33,000 मीट्रिक टन चाय निकलती है। जिले में फिलहाल 12 चाय प्रसंस्करण इकाइयां हैं।

लोगों को मिल रहा है रोजगार
किसनगंज जिले में फिलहाल 12 चाय प्रसंस्करण इकाइयां हैं, इस स्तर पर चाय की खेती से लोगों को अपने ही आसपास रोजगार के अवसर मिल रहे है। वैसे तो पूरा बिहार आज के वक्त में पलायन को लेकर त्रस्त है, रोजगार के अवसर कम होने की वजह से लोगों को दूसरे प्रदेशों में जाना पड़ता है लेकिन चाय बगान के कारण इस इलाके से मजदूरों का पलायन नहीं हो रहा है।
जिला बागवानी अधिकारी रजनी सिन्हा कहती हैं कि इसकी खेती के लिए मिलने वाले कई सरकारी लाभों के कारण भी किसान अपने खेत में धान और गेहूं उगाने के बदले चाय बगान की ओर रुख कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र में 5,000 से अधिक किसान चाय बागान से जुड़े हैं।
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