Bihar Special Sweet:बिहार के 200 साल पुराने मिठाई का स्वाद,आज भी है बरकरार; पूरी दुनिया है दीवानी

बिहार के 200 साल पुराने मिठाई का स्वाद,आज भी है बरकरार; पूरी दुनिया है दीवानी

Bihar Special Sweet: बिहार की एक ऐसी मिठाई जो न केवल देश में बल्कि विदेशों में भी लोगों के बीच काफ़ी मशहूर है। हम बात कर रहे हैं नालंदा के सिलाव में मिलने वाले खाजा की । जो देश के साथ-साथ विदेश के लोगों की भी फेवरेट मिठाई बन गई है इसकी डिमांड इतनी अधिक है कि हर साल यहां लाखो का कारोबार होता है।

नालंदा जिले के सिलाव का खाजा विश्व में प्रसिद्ध हो चुका है। यह खाने में बहुत ही स्वादिष्ट होता है। और यह बिहार सहित झारखंड, बंगाल, कोलकाता, दिल्ली सभी जगह पर मशहूर है यही नहीं विदेश में खासकर जापानी लोग इस मिठाई के दीवाने हैं।

बिहार को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने में नालंदा जिले के सिलाव का खाजा का अहम योगदान है। अपनी लाजवाब स्वाद के कारण यह काफी लोकप्रिय है 52 परतो वाली  यह मिठाई शादी के साथ-साथ सभी मांगलिक कार्यों में खूब इस्तेमाल होता है।

आपको बता दे की सिलाव में खाजा बनने का इतिहास लगभग 200 सालों पुराना है। इसे गेहूं के आटे में मावा मिलाकर बनाया जाता है और शुद्ध घी में चलने के बाद चासनी में डुबोया जाता है जिससे यह काफी कुरकुरा और स्वादिष्ट बनता है इसके अलावा इसमें इलायची का प्रयोग भी किया जाता है और यह खाने में टेस्ट होने के साथ-साथ काफी हेल्दी भी है । इसी कारण लोग इसकी तरफ खिंचे चले आते हैं और आते जाते इसका स्वाद लेने चले आते है।सबसे खास बात यह है कि यहां शुगर फ्री खाजा भी मिलता है।

आपको बता दें कि सिलाव का  खाजा दुनिया भर में अपनी लाजवाब स्वाद के कारण मशहूर है इसके साथ ही इसमें कई खासियत भी है जैसे एक खाजा 52 परतो की होती है। ताजा खाजा बिल्कुल किसी पेटीज की तरह दिखता है और यह कुरकुरा होता है इसे मीठा और नमकीन दोनों तरीके से बनाया जाता है।

नालंदा जिले के राजगीर और बिहारशरीफ के बीच सिलाव का बाजार पड़ता है और जहा की वर्ल्ड फेमस इस मिठाई का इतिहास लगभग 200 सालो पुराना है। बता दे की  सिलाव के करीब ही नालंदा का ऐतिहासिक खंडन भी है, जहां विदेशी पर्यटक आते रहते हैं।

और इसी कारण यहां का खाजा विदेशों तक पहुंच चुका है। अब भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी इसकी खूब मांग है। सीएम नीतीश कुमार द्वारा 2015 में खाजा निर्माण को एक उद्योग का दर्जा दिया जा चुका है और भारत सरकार ने सिलाव के खाजा को जीआई टैग (Geographical Indication Tag)भी दिया है इससे खाद्य उद्योग से जुड़े कारोबारियों को काफी मदद मिल रही है।