महाराष्ट्र की तर्ज पर बिहार में लगेंगे गन्ना आधारित उधोग, जिला स्तर पर दिया जाएगा प्रशिक्षण
चीनी उद्योग एक महत्वपूर्ण कृषि-आधारित उद्योग है जो लगभग 50 मिलियन गन्ना किसानों और चीनी मिलों में सीधे तौर पर लगभग 5 लाख श्रमिकों रोजगार मुहैया कराता है। अब बिहार में भी चीनी मीलों को फिर से चालू करने का प्रयास जारी है।
अब बिहार की चीनी मिलों में भी महाराष्ट्र मॉडल लागू किया जाएगा। इस तकनीक की ट्रेनिंग लेने बिहार के चीनी मिलों के प्रतिनिधि महाराष्ट्र जाएंगे। आईये जानते है इस खबर के बारे में विस्तार में…..
महाराष्ट्र में लगे गन्ना उद्योग के मॉडल का अवलोकन
दरअसल बिहार के सहकारिता मंत्री डॉ सुरेंद्र यादव ने मंगलवार को पैक्सों में ऑनलाइन सदस्यता प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन किया। इस दौरान सहकारिता मंत्री ने कहा कि “पैक्स कुछ लोगों की मुट्ठी में बंद होकर रह गये हैं।”
सहकारिता मंत्री ने महाराष्ट्र में लगे गन्ना उद्योग के मॉडल का अवलोकन करने का अधिकारियों को निर्देश दिया। डॉ सुरेंद्र यादव ने कहा कि महाराष्ट्र के गांवों में जाकर देखें कि वे लोग कौन सा बीज डालते हैं, जिससे वहां के गन्ने से अधिक रस निकलता है।
बिहार में आजादी से पहले 33 थी चीनी मिलें
आपको बता दे की बिहार कभी देश के कुल चीनी उत्पादन का 40 प्रतिशत पैदा करता था। अब यह मुश्किल से 4 प्रतिशत ही रह गया है। बिहार में आजादी से पहले 33 चीनी मिलें थीं।
गन्ना विकास विभाग के अनुसार संख्या घटकर 28 पर पहुँच गई थी, जिनमें से अब 11 चालू हैं और बाकी 17 बंद हो चुकी हैं। कुल कार्यात्मक मिलों में से दस को निजी प्रबंधन द्वारा चलाया जा रहा हैं।
गन्ना आधारित उद्योग लगाकर रोजगार
बिहार में भी छोटे-छोटे गन्ना आधारित उद्योग लगाकर रोजगार देने की बात कही। इसके साथ ही मंत्री ने गोदामों का आकार बढ़ाने का निर्देश भी दिया। वहीं इसके लिए प्रत्येक पैक्स में पांच सौ सदस्य बढ़ाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया।
सहकारिता विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने कहा कि जिला स्तर पर पैक्स प्रबंधक को भी प्रशिक्षण दिया जाएगा। ताकि वे अपना व्यवसाय बढ़ा सकें। मौके पर राजेश मीणा समेत अन्य अधिकारियों में शशि शेखर, सुभाष, कामेश्वर ठाकुर, शंभू कुमार सेन आदि मौजूद थे।

