बिहार: इस जिले में बड़े पैमाने पर स्ट्राबेरी की खेती शुरू, लाखों की आमदनी! सरकार दे रही अनुदान

बिहार में भी अब पारम्परिक खेती को छोड़ किसान अलग अलग तरह की खेती में हाथ डाल रहे है, और इसी का एक उदहारण है बिहार में बड़े पैमाने पर हो रही स्ट्रॉबेरी की खेती। जी हाँ, बिहार के औरंगाबाद जिले के अंबा प्रखंड के चिल्हकी बिगहा में हो स्ट्राबेरी की खेती सुर्खियों में रहा है।

8 साल पहले का प्रयोग लाया रंग

साल 2013 में स्थानीय किसान बृजकिशोर मेहता द्वारा स्ट्रॉबेरी की खेती का सफल प्रयोग अब धीरे-धीरे स्ट्राबेरी की खेती का प्रचलन बढ़ा दिया है, इसकी मांग को देखते हुए जिले में व्यापक स्तर पर करीब 30 एकड़ भूमि पर इसकी खेती हो रही है। 30 से अधिक किसानों ने आदर्श ग्राम चिल्हकी बिगहा स्ट्राबेरी समूह बनाकर महाराष्ट्र के पुणे से नर्सरी मंगाई है।

लागत और मुनाफा का हिसाब समझिए

स्ट्राबेरी की डिमांड दिन प्रतिदिन बढ़ रही है। उत्पादकों के अनुसार, खेत की तैयारी, एसी कंटेनर से पौधा मंगाने व लगाने से लेकर ड्रीप एरिगेशन की व्यवस्था करने में प्रति एकड़ छह लाख रुपये खर्च पड़ रहा है। बृजकिशोर मेहता ने बताया प्रति एकड़ 15 हजार पौधे लगाया जाते हैं। अगर सब कुछ ठीक ठाक रहा तो 20 नवंबर के पहले पौधों से फल निकलने लगेंगे।

उन्होंने बताया कि बाजार में स्ट्राबेरी की बिक्री 400 से 600 रुपये किलो तक होती है। कुशल किसान बीके मेहता ने बताया कि अगर मौसम अनुकूल रहा तो छह लाख के लागत में तकरीबन 12 लाख रुपये आमदनी होने की उम्मीद है।

अनुदान का भी प्रावधान 

औरंगाबाद जिले के उद्यान पदाधिकारी जितेंद्र कुमार ने बताया कि राज्य सरकार इस तरह की एग्जाटिक फ्रूट्स की खेती को काफी बढ़ावा दे रही है और इसके लिए उत्पादकों को प्रति हेक्टेयर 50 हजार रुपये अनुदान का भी प्रावधान है। स्ट्राबेरी किसानों के लिए आय का जरिया साबित हो रहा है।