Sonpur Mela 2023 के लिए Bihar Tourism ने पेश किया 3 स्पेशल पैकेज, मेहमान बनकर स्विस कॉटेज में बिताए रात

Sonpur Mela 2023: विश्व प्रसिद्ध हरिहर क्षेत्र सोनपुर मेला का उद्घाटन हुए अभी कुछ ही दिन हुए है, पुरे विश्व में अपने तरह के सबसे अनोखे मेले के कारण मिले में इस बार अलग ही रौनक देखने को मिल रही है। मेले में हर दिन बड़ी संख्या में लोग इसे देखने के लिए जुट रहे हैं।
कार्तिक पूर्णिमा से शुरू होने वाले इस विश्व प्रसिद्ध मेले का आयोजन लगभग एक महीने के लिए होता है, इस साल 25 नवंबर से यह मेला शुरू हुआ है, जो 26 दिसंबर को समाप्त होगा। हालाँकि अनाधिकारिक तौर पर यह मेला लगभग 2 महीने से भी अधिक वक्त तक जमता है।
करीब तीन वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में लगे इस मेले में एक से एक बड़े आयोजन और आकर्षण मजूद है जिसे देखने के लिए देश विदेश से लोग पहुंच रहे है, इसी बीच बिहार टूरिज्म ने मेले में स्पेशल स्टे पैकेज लांच किया है।
स्विस कॉटेज की व्यवस्था
बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम द्वारा पर्यटन ग्राम में अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त 20 स्विस कॉटेज का निर्माण किया गया है। कॉटेज का चार्ज 2,500 रुपये प्रतिदिन रखा गया है।
सभी कॉटेज डबल बेड के हैं और अटैच बाथरूम है और इन सभी कॉटेज में होटल जैसी सुविधाएं मिलने वाली है।
कपल टूर पैकेज
पर्यटकों के लिए कपल टूर पैकेज (एक रात व दो दिन) तैयार किया गया है। इसके लिए 6,000 रुपये (दो व्यक्ति) देने होंगे, इसके तहत इटियोस एसी वाहन मुहैया कराया जायेगा।
इसके अलावा टूरिस्ट गाइड, ठहरने, ब्रेकफास्ट, लंच, डिनर, स्नैक्स और पानी के साथ पर्यटक ग्राम में रात्रि विश्राम की सुविधा दी जाएगी।
इस पैकेज में आर ब्लॉक स्थित होटल कौटिल्य विहार से दोपहर 12 बजे वाहन सोनपुर के लिए प्रस्थान करेगा।
पहले दिन हरिहर नाथ मंदिर में दर्शन व पर्यटक ग्राम में सांस्कृतिक कार्यक्रम का आनंद लिया जा सकेगा, वहीं अगले दिन मेला भ्रमण करते हुए दोपहर बाद 3.30 बजे तक वाहन पटना वापस लौटेगी।
एक दिवसीय स्पेशल टूर पैकेज
बीएसटीडीसी के एमडी नंदकिशोर ने बताया कि एक दिवसीय स्पेशल टूर पैकेज दोपहर 12 बजे से संध्या 7 बजे तक का होगा.
इसके लिए एसी बस, विंगर, डेकर बस के लिए प्रति पर्यटक 900 रुपए, ट्रेवलर एसी से प्रति पर्यटक 950 रुपए, इनोवा से 1100 रुपए प्रति व्यक्ति और इटियोस से 1300 रुपए प्रति व्यक्ति का पेमेंट करना होगा।
पशु मेले के रूप में ख्याति
मालूम हो कि हरिहर क्षेत्र का यह मेला राजा- महाराजाओं के वक्त से ही चलता आ रहा है, चंद्रगुप्त से लेकर मुगल काल तक कई देशों के प्रतिनिधियों के यहां से घोड़ा, हाथी, तलवार आदि ले जाने का वर्णन इतिहासकार बताते हैं, लेकिन बदलते दौर के साथ मेले में भी परिवर्तन आया है।
अब पशु मेला धीरे- धीरे प्रदर्शनियों के स्टाल तक सीमित हो रहा है, लेकिन बावजूद इसके पशुओं के शौकीनों ने इस मेला में अब भी चार चांद लगाया हुआ है। अपने घोड़ा, गाय और बैल को लेकर मेला क्षेत्र पहुंचने वाले कई ऐसे लोग मिलते हैं, जो 25- 40 वर्षों से लगातार मेला में आ रहे हैं।