Bihar Education: बिहार के शिक्षा क्षेत्र में हुए ये बदलाव, यहाँ देखिए सीएम नितीश का रिपोर्ट कार्ड

report card of changes in education sector of bihar

बिहार की ख़राब शिक्षा व्यवस्था से हर कोई वाकिफ था, यहाँ शिक्षा के क्षेत्र में कई सुधारों की आवश्यकता थी. जिसको पूरा करने का काम राज्य की नितीश सरकार अब बखूबी निभा रही है.

ऐसे में बिहार के शिक्षा क्षेत्र में कई बदलाव किए गए है जो जमीनी स्तर पर भी दिखाई दे रहा है. आईये देखते है बिहार के शिक्षा व्यवस्था पर सीएम नितीश का रिपोर्ट कार्ड.

राज्य में शिक्षकों की बंपर बहाली

Bumper reinstatement of teachers in Bihar
बिहार में शिक्षकों की बंपर बहाली

किसी भी समाज की शिक्षा व्यवस्था की मजबूती उसके गुरुओं अर्थात शिक्षकों के स्तर से होती है. जिस वजह से बिहार सरकार ने भी अपना मेन फोकस राज्य के भीतर शिक्षकों की बहाली के ऊपर किया.

एक ओर जहाँ बिहार के प्रारंभिक विद्यालयों में साल 2006-07 से लेकर 2018-19 तक कुल 3,19,700 पंचायत/ प्रखंड/ नगर शिक्षकों का नियोजन किया गया. वहीँ वर्ष 2022 में 42,000 प्रारंभिक शिक्षकों की नियुक्ति की गई.

इसके बाद बीपीएससी द्वारा केवल वर्ष 2023 में ही दो बार शिक्षक भर्ती परीक्षा का आयोजन किया गया. जिसके पहले चरण में एक लाख 23 हजार 108 शिक्षकों की बहाली की गई.

वहीँ दूसरे चरण में पास 94 हजार 52 शिक्षकों को उनका नियुक्ति पत्र 13 जनवरी 2024 को सौंप दिया गया. साल 2005 के दौरान छात्र शिक्षक अनुपात जहाँ 65:1 था जो अब सुधरकर 35:1 हो गया है.

शिक्षा बजट में बढ़ोतरी

बिहार में शिक्षा के विकास के लिए लगातार काम किए जा रहे है. साल 2005-06 के दौरान राज्य का शिक्षा बजट 4,261 करोड़ रूपए था, जो अब बढ़कर वर्तमान में 56,382 करोड़ रूपए हो गया है.

इस प्रकार बिहार के राजकीय बजट का सबसे बड़ा भाग लगभग 18 फीसदी केवल शिक्षा पर खर्च किया जा रहा है.

नए विद्यालय भवनों का निर्माण एवं विकास

बिहार में पिछले 18 सालों में 21,310 नये प्राथमिक विद्यालय खोले गये तथा 19,641 प्राथमिक विद्यालयों का मध्य विद्यालयों में उत्क्रमण हुआ. इस अवधि में कुल 15,747 नये विद्यालय भवन बनाए गए.

प्रत्येक प्राथमिक विद्यालय में न्यूनतम 06 एवं माध्यमिक विद्यालय में न्यूनतम 10 कमरें उपलब्ध कराने के निर्णय के आलोक में गत 10 वर्षों में प्रारंभिक विद्यालयों में 2,81,377 वर्ग कक्षों का निर्माण कराया गया.

वर्ष 2005 में मात्र 46% स्कूलों में शौचालय की सुविधा थी, वर्तमान में शत-प्रतिशत विद्यालयों में छात्र एवं छात्राओं के लिए अगल-अलग शौचालय की सुविधा उपलब्ध है.

बालिका होगी शिक्षित समाज होगा विकसित

राज्य के सभी पंचायतों में 10+2 विद्यालयों की स्थापना बालिकाओं की शिक्षा से जनसंख्या के स्थिरीकरण का बिल्कुल सीधा संबंध है. इसी को ध्यान में रखते हुए वर्ष 2014 में सभी पंचायतों में 10+2 स्कूल स्थापित करने का निर्णय लिया गया.

अब अधिकतर पंचायतों में 10+2 स्कूल स्थापित हो गये हैं, तथा वहाँ पठन-पाठन भी प्रारम्भ हो गया है. वर्ष 2005 में राज्य की प्रजनन दर 4.3 थी, बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के फलस्वरूप यह अब घटकर 2.9 हो गई है.

साइकिल मिली, राह खुली

साइकिल योजना से बिहार की बालिकाओं को पंख लग गए. वर्ष 2007-08 में कक्षा 9 की बालिकाओं के लिए मुख्यमंत्री बालिका साइकिल योजना की शुरुआत हुई.

इस योजना की सफलता को ध्यान में रखते हुए वर्ष 2009-10 से बालकों के लिए भी मुख्यमंत्री बालक साइकिल योजना लागू की गई.

जागरुक होगी बिटिया तभी बढ़ेगी बिटिया

कक्षा 1 से 10 तक की सभी बालिकाओं के लिए वर्ष 2013-14 में छात्रवृत्ति योजना प्रारंभ की गयी. कक्षा 7 से 12 में नामांकित बालिकाओं के लिए वर्ष 2014-15 से ‘मुख्यमंत्री किशोरी स्वास्थ्य योजना’ जारी की गई, जिसके तहत सेनेट्री नैपकीन खरीदने के लिए राशि उपलब्ध करायी जाती है.

मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना

मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना का लाभ राज्य की कन्याओं को जन्म से लेकर उसके स्नातक उत्तीर्ण करने तक मिलता है. इस योजना के अंतर्गत पात्र बालिकाओं को पोशाक, सेनेटरी नैपकिन एवं परीक्षा उत्तीर्ण करने पर सरकार द्वारा सहायता राशि प्रदान की जाती है.

इंटरमीडिएट उत्तीर्ण करने पर अविवाहित कन्याओं को ₹25 हजार दिये जाते हैं. वहीं स्नातक उत्तीर्ण करने पर उन्हें ₹50 हजार की राशि दी जाती है. इस योजना के अन्तर्गत कन्याओं को कुल 94 हजार 100 रुपये की राशि देने का प्रावधान है.

पोशाक से मिली पहचान बढ़ा सम्मान

वर्ष 2006-07 में कक्षा 6 से 8 की बालिकाओं के लिए मुख्यमंत्री पोशाक योजना शुरू की गयी। वर्ष 2011-12 में कक्षा 9 से 12 की बालिकाओं के लिए भी बिहार शताब्दी मुख्यमंत्री पोशाक योजना शुरू हुई.

समग्र शिक्षा और मिशन दक्ष

समग्र शिक्षा’ योजना के तहत कक्षा 1 से 8 के सभी छात्र-छात्राओं को निःशुल्क पाठ्य पुस्तकें उपलब्ध करायी जा रही हैं.

कक्षा 3 से 8 के लगभग 25 लाख कमजोर बच्चों की पहचान कर 1 दिसम्बर 2023 से ‘मिशन दक्ष’ प्रारंभ किया गया है. जिसके काफी अच्छे परिणाम प्राप्त हो रहें है.

मुख्यमंत्री बालक/बालिका प्रोत्साहन योजना

10वीं में प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण सभी वर्ग के छात्र-छात्राओं को ₹10 हजार तथा अनु. जाति एवं अनु. जनजाति के द्वितीय श्रेणी से भी उत्तीर्ण छात्र-छात्राओं को 8 हजार की प्रोत्साहन राशि दी जाती है.

सभी पढ़ेंगे, तभी बढ़ेंगे

महादलित टोला एवं अल्पसंख्यक बहुल टोला के 6-14 आयु वर्ग के बच्चों की शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए वर्ष 2012-13 में शिक्षा सेवक (टोला सेवक) एवं शिक्षा सेवक (तालिमी मरकज) की नियुक्ति प्रारम्भ हुई.

इन सब प्रयासों के परिणाम स्वरूप विद्यालयों से बाहर रहने वाले बच्चों का प्रतिशत वर्ष 2005 में जहां 12.5 था, वह अब घटकर 0.5 से भी नीचे रह गया है.

युवाओं में बढ़ा विश्वास मिला स्मार्ट क्लास

इसके अलावा कक्षा 9 से 12 तक के विद्यार्थियों के लिए वर्ष 2020 से उन्नयन बिहार’ योजना के अंतर्गत स्मार्ट क्लास की सुविधा उपलब्ध है.

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