बिहार में लाल ईंट पर प्रतिबंध को लेकर नया अपडेट! जानिए क्या है सरकार की प्लानिंग

बिहार में मिट्टी से बने लाल ईंट बनाने वाले भट्ठों पर प्रतिबंध लगाने से पहले सरकार फूंक-फूंककर कदम रख रही है, चुकी भारत सरकार ने कोयले पर चलने वाले ताप विद्युत संयंत्रों के चारों ओर तीन सौ किलोमीटर के दायरे में मिट्टी से बनने वाले ईंट भट्ठों पर प्रतिबंध लगाने की अधिसूचना जारी की है। ऐसे में बिहार सरकार भी इसे पूरी तरह से लागू करने के लिए नीतिगत या नियामकीय बदलाव जैसे कदम उठाएगी।

हालाँकि बिहार में लाल ईंट पर फिलहाल प्रतिबंध नहीं लगेगा, लेकिन चरणवार तरीके से इसे बंद करने की योजना बनाई जा रही है। सूबे में फिलहाल 6 हजार से अधिक ईंट भट्ठे चल रहे हैं। करीब दो-तीन लाख लोग इस व्यापार से सीधे जुड़े हैं। उनका रोजगार प्रभावित न हो और केंद्र सरकार द्वारा सुझाए फ्लाई ऐश ईंट (सफेद ईंट) को चलन में लाने की योजना को पंख दिया जाएगा।

बीते दिनों बिहार सरकार में पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री नीरज कुमार बबलू ने जानकारी देते हुए बताया है कि, बिहार में फ्लाई ऐश मुफ्त में फैक्ट्री निर्माता को मिलेगा। यह सभी पावर थर्मल से मिल सकेगा। भागलपुर में एनटीपीसी से मुफ्त में मिल रहा है। फैक्ट्री संचालकों को एनटीपीसी से सिर्फ अपनी गाड़ियों से लेकर जाना पड़ेगा। सबसे बड़ी बात यह कि बगैर लाइसेंस ही कोई भी फ्लाई ऐश की फैक्ट्री खोल सकता है।

पर्यावरण मंत्री ने कहा, केंद्र सरकार ने प्रदूषण फैलने से रोकने को लेकर लाल ईंट पर रोक लगा दी है। बिहार में इस आदेश को तुरंत अमल में लाना संभव नहीं है। क्योंकि अभी इतनी फ्लाई ऐश की फैक्ट्रियां राज्य में नहीं हैं। करीब 700 फ्लाई ऐश की फैक्ट्री बिहार में हैं। ऐसे में लाल ईंट के 6 हजार भट्ठे की खपत का तुरंत समाधान नहीं हो सकता है। इसलिए चरणवार तरीके से इसे बंद करने की योजना है।

बताया जा रहा है कि जिला व प्रखंड स्तर पर भट्ठों की संख्या निर्धारित की जाएगी साथ ही लाल ईंट वाले यदि फ्लाई ऐश निर्माण में कन्वर्ट होते हैं तो उन्हें भी सहयोग किया जाएगा। फ्लाई ऐश ईंट से लाल की तुलना में ज्यादा रोजगार मिलेगा। फ्लाई ऐश की मजबूती लाल जैसी ही है। बताते चले कि फ्लाई ऐश से बने भवन की लागत करीब 30 प्रतिशत तक कम हो जाती है। सीमेंट, बालू और पानी की खपत कम हो जाती है। दीवार की फिनिशिंग लाल की तुलना में बेहतर होता है।