बिहार में बदला जमीन-मकान रजिस्ट्री का नियम, फर्जीवाड़े पर लगेगी रोक; निबंधन विभाग ने जारी किया आदेश

Bihar Property Registration Rule Changed

Bihar Property Registration Rule: बिहार में प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन में अक्सर फर्जीवाड़े की खबर आती रहती है ऐसे में इन सब को रोकने के लिए सरकार नियमित रूप से प्रयास करती रहती है। राज्य सरकार अपने स्तर से समय समय पर रजिस्ट्री के नियमों को बदलते रहती है ताकि फर्जीवाड़े में कमी आ सके।

कुछ इसी तरह का एक और बदलाव जल्द होने जा रहा है जिससे बिहार में जमीन और मकान के रजिस्ट्री में होने वाले फर्जीवाड़े में कमी आएगी।

निबंधन विभाग ने जुलाई से रजिस्ट्री में आधार वेरिफिकेशन को लागू करने आदेश दिया है, अब क्रेता व विक्रेता दोनों का आधार वेरिफिकेशन होगा, उसके बाद जमीन की रजिस्ट्री संभव हो पाएगी।

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केंद्र सरकार ने बनाया नया नियम

बिहार में जल्द ही फ्लैट और जमीन की रजिस्ट्री में आधार का वेरिफिकेशन और लिंक कराना अनिवार्य कर दिया जायेगा, दरअसल केंद्र सरकार ने जमीन व फ्लैट आदि की रजिस्ट्री को पारदर्शी बनाने के लिए इसमें आधार वेरिफिकेशन को अनिवार्य कर दिया है जिसके बाद सभी राज्य इस नियमों को अपना रहे है।

मध्यप्रदेश में इसे लागू कर दिया गया है और 1 जुलाई से पूरे बिहार में भी यह नियम लागू कर दिया जायेगा, निबंधन विभाग के आदेश पर पटना में आधार वेरिफिकेशन के बाद ही रजिस्ट्री व्यवस्था लागू कर दी गई है।

इस तरह से होगा काम

आधार वेरिफिकेशन के लिए हर रजिस्ट्री कार्यालय में एक डिजिटल सॉफ्टवेयर मशीन लगेगी जिसमें क्रेता और विक्रेता दोनों का फिंगर प्रिंट और आंख से आधार का वेरिफिकेशन किया जाएगा। सैंपल लेने के बाद दोनों का डाटा डिजीटल रूप से आधार से लिंक्ड हो जाएगा।

गलत रजिस्ट्री में आएगी कमी

राज्य में जमीन विवाद की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। कई बार गलत व्यक्ति संपत्ति की रजिस्ट्री करा दी जाती है, जो आगे चल कर विवाद का कारण बनता है। विवाद की घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए रजिस्ट्री प्रक्रिया को और मजबूत बनाया जा रहा है। आधार मैच कराने से गलत व्यक्ति द्वारा रजिस्ट्री कराने की प्रक्रिया पर लगाम लगेगी।

यह होगा फायदा

नए नियम के लागू होने के बाद जमीन या फ्लैट मकान आदि की रजिस्ट्री में फर्जी रजिस्ट्रेशन पर रोक लग सकेगी साथ ही बेनामी रजिस्ट्री पर भी रोक लग सकेगी। इस नियम के बाद सम्पति की खरीदारी को किसी के लिए छुपाना आसान नहीं होगा।

हर व्यक्ति के बैंक खाते की तरह एक प्रॉपर्टी का भी खाता बन जायेगा जिसमें पूरा डाटा आधार से जुड़ा रहेगा। डिजिटल रूप से क्रेता और विक्रेता के वेरिफिकेशन क्व बाद रजिस्ट्री में पहचान और गवाह नाम मात्र के रह जाएंगे।

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