पटना में बैंगनी रंग के नीलकंठ आलू की पैदावार शुरू, कैंसर सेल को रोकेगा, जाने और भी खासियत

आपने अभी तक सफेद और लाल आलू ही देखा होगा, लेकिन जल्द ही बाजार में नीला आलू भी मिलेगा। यही नहीं इस आलू की खेती में दूसरी किस्मों की तुलना में उत्पादन भी ज्यादा मिलेगा।
भारतीय आलू अनुसंधान केंद्र के पटना सेंटर में एक नई प्रजाति के आलू की पैदावार शुरू की गई है। साल 2017 में यह शोध शुरू किया गया था। इसके पैदावार का श्रेय केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉक्टर शंभू कुमार को जाता है।

बैंगनी रंग के आलू का नाम कुफरी नीलकंठ
उन्होंने ही बैंगनी रंग के आलू की इस प्रजाति का नाम ‘कुफरी नीलकंठ’ दिया है। डॉ शंभू बताते हैं कि इस प्रजाति के आलू के अंदर का गुदा भी क्रीमी और बैगनी कलर का होता है। इसमें प्रचुर मात्रा में एनथोसाइनिंग पिगमेंट, कैरोटीन के अलावा कैल्शियम, जिंक, मैग्निशियम और आयरन पाया जाता है।

डॉक्टर शंभू कुमार बताते हैं कि इसमें एंथोसाइएनिन पिगमेंट होता है, जो कैंसर सेल को पनपने से रोकता है। इसमें सभी पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। यह गर्भवती महिलाओं के लिए भी काफी उपयोगी है। मेरठ केंद्र के अलावा देश में सिर्फ पटना में ही इसका बीज उपलब्ध है।
किसानों को होगा फायदा
‘कुफरी नीलकंठ’ के अलावा एक और नई प्रजाति ‘कुफरी मानिक’ की भी यहां खेती शुरू की गई है। नीलकंठ की तरह ही ‘कुफरी मानिक’ भी कई बीमारियों और रोगों से लड़ने की क्षमता रखता है। अगर किसान इस प्रजाति के आलू का पैदावार करते हैं तो उन्हें काफी फायदा मिल सकता है।

कुफरी नीलकंठ आलू में पोषक तत्व की मात्रा ज्यादा है। नीलकंठ आलू का उत्पादन 400 कुंतल प्रति हेक्टेयर है। ऐसा माना जा रहा है कि अब वह दिन दूर नहीं, जब घर-घर नीला आलू अपनी धाक जमाएगा।

आगरा में आए केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान मेरठ के मुख्य तकनीकी अधिकारी डॉ अशोक चौहान ने बताया कि कुफरी नीलकंठ किस्म का आलू 3 साल पहले विकसित की गई। इसमें सामान्य आलू की तुलना में पोषक तत्व की मात्रा ज्यादा है।