जीवित रहते हुए करे स्वयं का पिंडदान, गया में होता है आत्म श्राद्ध, जानिए विस्तार से कैसे किया जाता है स्वयं का पिंडदान

Pitru Paksha 2023: हमारे भारत देश में पितरो बहुत अधिक महत्व है, हर साल पितृ पक्ष के समय लोग अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए उनका श्राद्ध कराते है। लेकिन आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि जीवित व्यक्ति का भी श्राद्ध होता है। व्यक्ति स्वयं का भी पिंडदान अपने जीवित रहते हुए कर सकता है। जिसे “जीवित श्राद्ध” कहा जाता है।

बिहार के गया में मां मंगला-गौरी मंदिर के परिसर स्थित भगवान जनार्दन मंदिर ऐसा स्थान है जहां पर यह श्राद्ध होता है। कोई भी जीवित व्यक्ति यहां आकर अपना स्वयं पिंड दान और श्राद्ध कर सकता है।

ऐसे भी बहुत लोग होते है जिनकी मृत्यु के बाद उनका श्राद्ध करने वाला कोई नहीं होता है। ऐसे लोग जीवित रहते हुए यहां आकर अपना अनुष्ठान कराते है।

गया में स्थित भगवान जनार्दन मंदिर भस्म कूट पर्वत के ऊपर मां मंगला गौरी मंदिर के उत्तर में स्थित है। कहते है कि यहां भगवान विष्णु स्वयं जनार्दन स्वामी के रूप में पिंड का ग्रहण करते हैं। ऐसा भी माना जाता है कि जीवित अवस्था में पिंडदान करने वाले व्यक्ति को मृत्यु उपरांत मोक्ष की प्राप्ति होती है।

क्या है आत्म श्राद्ध?

आज की स्थिति में गया जी में 45 पिंड वेदी है। साथ ही 10 से अधिक तर्पण स्थल है। इन स्थानों पर पितरों का पिंडदान किया जाता है। परंतु पूरे विश्व में जनार्दन मंदिर वेदी एक मात्र ऐसा स्थान है, जहां पर आत्म श्राद्ध यानि जीते जी स्वयं का पिंडदान किया जाता है।

जिनको संतान नहीं होती है अक्सर वह लोग यहां आकर अपना पिंडदान करते है। साथ ही वह लोग यहां स्वयं का पिंडदान करने आते है जिनका अपने परिवार अपनी संतान से मन विमुख हो गया हो उन्हें लगता है कि उनके मरने के बाद कोई पिंडदान नहीं करेगा।

विभिन प्रकार के होते हैं श्राद्ध

गया मंत्रालय वैदिक पाठशाला के पंडित राजा आचार्य बताते है कि गया अत्यंत प्राचीन स्थल है। यहां पर लोग अपने पितरों के लिए श्राद्ध करने आते है। साथ ही जीवित अवस्था में भी स्वयं का पिंडदान यहां होता है।

पंडित राजा आचार्य कहते है कि जीवित अवस्था में पिंडदान करने से मरणोपरांत मोक्ष को प्राप्ति होती है। यहां पर अनेक प्रकार से श्राद्ध कर्म किया जाता है। जिसमें से कुछ श्राद्ध कर्म गया श्राद्ध, त्रिपिंडी श्राद्ध, नारायण नाग बलि श्राद्ध आदि है।

कौन करा सकता है आत्म श्राद्ध ?

आत्म श्राद्ध एक विशेष तरह का श्राद्ध कर्म है। इस श्राद्ध कर्म में व्यक्ति अपनी जीवित अवस्था में ही खुद का श्राद्ध कर्म कर सकते हैं। पंडित राजा आचार्य ने बताया कि केवल वही लोग आत्म श्राद्ध कर सकते हैं, जिनके पुत्र-पुत्री संस्कार विहीन या नास्तिक हैं या फिर परिवार से दूर विदेशों में जाकर बस गए हैं। इसके अलावा ऐसे दंपती जिनकी कोई संतान ही न हो वह लोग भी आत्म श्राद्ध कर सकते है।

क्या दामाद कर सकता है श्राद्ध?

ऐसे व्यक्ति जिनके पुत्र नहीं है केवल पुत्रियां है , तब दामाद को पिंडदान करने के लिए कहा जाता है। लेकिन इसके लिए यह जरूरी है कि दामाद के माता पिता जीवित नहीं हो। और यदि दामाद के माता-पिता जीवित हैं तो फिर वह अपने सास-ससुर का पिंडदान नहीं कर सकते हैं।

क्या है तीन दिवसीय आत्म श्राद्ध प्रक्रिया?

वायु पुराण के अनुसार ऐसी अवस्था जब मरणोपरांत कोई श्राद्ध कर्म करने वाला नहीं है तब गया जी में मंगला गौरी मंदिर के पास स्थित भगवान जनार्दन मंदिर में तीन दिवसीय आत्म श्राद्ध कर सकते हैं।

पंडित राजा आचार्य ने यह भी बताया कि गया जी में महिलाएं भी पिंडदान करती हैं, लेकिन शास्त्रों के अनुसार यह अधिकार पुरूष और ब्राह्मणों का होता हैं। इस त्रिदिवसीय आत्म श्राद्ध में प्रथम दिवस प्रायश्चित संकल्प होता है।

द्वितीय दिवस भगवान जनार्दन का अभिषेक और महा पूजा करके दही, चावल मिश्रित पिंड भगवान जनार्दन के हाथ में दिया जाता है। तृतीय दिवस हवन और भगवान गदाधर का पंचामृत महा पूजा अभिषेक किया जाता है। इस प्रकार से यह तीन दिवसीय श्राद्ध कर्म पूरा होता है।

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