पटना में मिली नौवीं शताब्दी की कुबेर की मूर्ति, पटना संग्रहालय में की गई रजिस्टर्ड

बिहार हमेशा से ही संस्कृति और सभ्यता की धरती रही है, बिहार की धरती पर न जाने कितने अमूल्य धरोहर है। हज़ारों की संख्या में पौराणिक कालों की अद्भुत कलाकृतियां है जो आज संग्रहालय की शान बानी हुई हैं। ठीक उसी तरह की एक बहुमूल्य धरोहर पटना के एक मंदिर से प्राप्त हुई है।

पटना के तारामंडल से सटे हनुमान जी के मंदिर से धन के देवता भगवान कुबेर की मूर्ति मिली है, काले पत्थर की इस मूर्ति के बारे में बताया गया कि यह कोई आम मूर्ति नहीं बल्कि आठवीं से नौवीं शताब्दी के बीच की अनमोल धरोहर हैं। साइज कि बात करें तो मूर्ति की लंबाई 40 सेंटीमीटर, चौड़ाई 22 और मोटाई दस सेंटीमीटर है।

चुके पुरावशेष की पहचान हर कोई नहीं कर सकता इसी वजह से यह मूर्ति लम्बे समय से मंदिर के पीछे रखी हुई थी लेकिन शनिवार को मंदिर के सेवक संजय कुमार ने मूर्ति को सामने लाकर रख दिया ताकि श्रद्धालु पूजा-पाठ करेंगे। हालाँकि तब तक मंदिर के सेवक को भी इस मूर्ति के बारे में अधिक जानकारी नहीं थी।

इसी बीच पटना संग्रहालय के पुरातत्वविद शंकर सुमन वहां से गुजर रहे थे। उनकी नजर इस मूर्ति पर पड़ गई। उन्हें इस खास मूर्ति की पहचान हो गई। जिसके बाद बिहार संग्रहालय से कुछ और पुरातत्वविद वहां पहुंचे। जांच-पड़ताल के बाद पाया गया कि यह मूर्ति पुरावशेष है। मंदिर के सेवक को इसकी खासियत के बारे में बताया गया और उन्होंने खुद इस मूर्ति को पटना म्यूजियम ले जाकर दान कर दिया। यह मूर्ति इस मंदिर तक कैसे पहुंची है इस बारे में कोई जानकारी नहीं मिल सकी है।

भगवान कुबेर की यह मूर्ति अगले हिस्से से थोड़ी सी खंडित हो गई है हालाँकि मूर्ति की पहचान उसकी खासियत से की गई। मूर्ति में साफ़ तौर पर देखा जा सकता है कि ललितासन मुद्रा, पेट निकला हुआ और शरीर थुलथुल है। फिलहाल इस मूर्ति को पटना संग्रहालय में रजिस्टर्ड कर लिया गया है। जल्द इसे किसी गैलरी में दर्शकों के दीदार के लिए प्रदर्शित किया जाएगा।

हिन्दू धर्म की मान्यताओं में भगवान कुबेर को धन के देवता के रूप में पूजा जाता है, अक्सर बिहार के पहाड़ी क्षेत्रों में यह मूर्ति मिलती रही है। पटना म्यूजियम समेत अन्य म्यूजियम में भगवान कुबेर की कलाकृति को देखा जा सकता है।