जबरन मांग में सिंदूर भरने से हो जाती है शादी? पटना हाई कोर्ट ने सुनाया ऐसा फैसला, जानिए किस विवाह को माना जाएगा वैध?

patna high court decision on forcibly applying sindoor maariage

हमारे देश में विभिन्न धर्म और संप्रदाय के लोग रहते है। ऐसे में सभी के रीती रिवाज भी अलग अलग होते है और उनमें शादी की प्रक्रिया भी अलग महत्व रखती है। ऐसे में क्या मांग में जबरन सिंदूर भरने से शादी हो जाती है?

इसको लेकर बिहार स्थित पटना हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाया हैं। पटना हाईकोर्ट ने ये फैसला पकड़ौआ विवाह के 10 साल पुराने मामले में सुनाया हैं। आईये जानते हैं की कोर्ट ने इस मामले पर क्या कहा हैं?

क्या जबरन मांग में सिंदूर भरने से हो जाती है शादी?

पटना हाईकोर्ट ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि – “किसी भी लड़की के माथे पर जबरदस्ती सिंदूर लगाना हिंदू कानून के तहत विवाह नहीं है।” एक हिंदू विवाह तब तक वैध नहीं है जब तक वह स्वैच्छिक न हो और ‘सप्तपदी’ (दूल्हा और दुल्हन द्वारा पवित्र अग्नि के चारों ओर फेरे लेने) की रस्म के साथ न हो।

यह फैसला न्यायाधीश पीबी बजंथ्री ऐवं न्यायाधीश अरुण कुमार झा ने अपीलकर्ता रविकांत की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुनाया। कोर्ट ने कहा कि – “किसी लड़की के मांग में आप जबरन सिंदूर नहीं भर सकते। अगर कई ऐसा करता है तो उस शादी को वैध नहीं माना जा सकता।”

Forcefully applying sindoor on a girls forehead is not marriage under Hindu law
लड़की के माथे पर जबरदस्ती सिंदूर लगाना हिंदू कानून के तहत विवाह नहीं

सात फेरों के बिना शादी पूर्ण नहीं

दरअसल 10 साल पहले पहले सेना में तैनात जवान रविकांत की जबरदस्ती शादी करा दी गई थी। पकड़ौआ विवाह के इस मामले पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने साफ कहा कि सात फेरों के बिना यह शादी पूर्ण नहीं होगी।

जस्टिस पी बी बजंथरी और अरुन कुमार झा की बेंच ने कहा कि वर को अपनी मर्जी से वधू के मांग में सिंदूर भरना चाहिए। विधि पूर्वक शादी नहीं कराने और जबरदस्ती मांग में सिंदूर भर देने से उस शादी को जायज नहीं ठहराया जा सकता है।

क्या हैं पकड़ौआ विवाह का पूरा मामला?

खंडपीठ ने पाया कि अपीलकर्ता रविकांत जो उस समय सेना में एक सिग्नलमैन थे, उन्हें 10 साल पहले बंदूक की नोक पर बिहार के लखीसराय जिले में अपहरण कर लिया गया था और प्रतिवादी दुल्हन के माथे पर सिंदूर लगाने के लिए मजबूर किया गया था।

उनकी जबरदस्ती शादी करवा दी गई थी जबकि पीड़ित इसके लिए राजी नहीं थे। पीड़ित रविकांत के चाचा ने पुलिस में इसकी शिकायत दर्ज कराने की कोशिश मगर पुलिस वालों ने शिकायत दर्ज नहीं की।

जिसके बाद पीड़ित ने लखीसराय की सीजेएम कोर्ट में इसकी शिकायत की। उन्होंने फैमिली कोर्ट में भी अर्जी लगाई लेकिन 27 जनवरी 2020 को अपील खारिज हो गई। लोअर कोर्ट से राहत नहीं मिलने के बाद उन्होंने पटना हाईकोर्ट की ओर रुख किया।

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