बिहार में बदल गया पुरानी गाड़ी के खरीद बिक्री का नियम, अब ऐसे होगी खरीद-बिक्री

भारत में जितनी नई गाड़ियां बिकती है उसी अनुपात में लोग पुरानी गाड़ियों का भी खरीद बिक्री करते है, अगर आप बिहार में रहते हैं और पुरानी गाड़ी यानी सेकंड हैंड वाहन खरीदना या बेचना चाहते हैं तो आपके लिए यह खबर बेहद ही काम की है।
बिहार में पुरानी गाड़ी के खरीददारी और बिक्री के लिए नियमों में बड़े बदलाव किए गए है, नए नियमों के मुताबिक इस तरह के व्यापर में जुड़े लोगों के लिए जवाबदेही भी तय की गई है। तो आइए जानते है विस्तार से –
निबंधन हुआ अनिवार्य
बिहार सरकार के परिवहन विभाग ने पुराने वाहनों की खरीद-बिक्री के नियमों में बदलाव किया है। नए नियम के मुताबिक अब केवल निबंधित डीलर ही पुराने वाहनों की खरीद-बिक्री कर सकेंगे।
ऐसे में जो डीलर निबंधित नहीं है उन्हें पहले जिला परिवहन कार्यालय से निबंधन कराना अनिवार्य होगा उसके बाद ही वह व्यापर कर पाएंगे। बता दे कि राज्य सरकार द्वारा नई मोटर वाहन नियमावली के तहत यह व्यवस्था लाई गई है।
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धोखाधड़ी में आएगी कमी
पुराने वाहनों (दोपहिया, कार या अन्य वाहनों) की खरीद-बिक्री के दौरान अक्सर धोखाधड़ी की ख़बरें सामने आती है, इस नियम को लाने के पीछे यही वजह बताया गया है। इससे चोरी के वाहनों की बिक्री और वाहनों के तस्करी, आपराधिक गतिविधियों में उपयोग लिए जाने जैसी घटनाओं पर रोक लगेगी।
परिवहन सचिव संजय कुमार अग्रवाल ने बताया कि इससे आम लोगों को पुरानी गाड़ी खरीदने के दौरान किसी भी तरह की धोखाधड़ी से बचने में मदद मिलेगी। पुरानी गाड़ियों की खरीद-बिक्री करने के व्यापार में आसानी होगी एवं पारदर्शिता भी आयेगी।
तय की गई जवाबदेही
निबंधित डीलरों को अपने कब्जे वाले वाहनों के पंजीयन प्रमाणपत्र का नवीकरण कराने, फिटनेस प्रमाणपत्र के नवीकरण, डुप्लीकेट पंजीयन प्रमाणपत्र बनाने, एनओसी व स्वामित्व के हस्तांतरण के लिए आवेदन का भी अधिकार होगा। वाहन स्वामी को संबंधित डीलर को वाहन देने के बाद फार्म-29 (ग) जिसमें वाहन स्वामी व डीलर के हस्ताक्षर होंगे, को फार्म पोर्टल से वाहन पंजीयन अधिकारी को भेजना होगा।
वाहन लेने और बेचने के बाद डीलर को जानकारी विभाग को देनी होगी। वाहन डीलर को प्राधिकार प्रमाण-पत्र लेने के लिए विभाग से जुड़े वाहन पोर्टल पर प्रारूप-29 (क) में आवेदन करना होगा।
वाहन बेचने के बाद क्या करना होगा?
कोई भी वाहन मालिक यदि अपना वाहन बेचते हैं तो उन्हें इसकी ऑनलाइन सूचना निधारित प्रपत्र में देनी होगी। जैसे ही डीलर उस वाहन को अपने पास रखते हैं तो उन्हें सूचना ऑनलाइन परिवहन विभाग को देनी पड़ेगी। इससे कोई अपराध की घटनाएं घटती है या दुर्घटना होती है तो वाहन मलिक की जगह डीलर जवाबदेह होंगे।
डीलर को ऐसे वाहनों का उपयोग करने या ट्रायल के लिए भेजने के पहले मूवमेंट रजिस्टर में उसकी जानकारी दर्ज करनी होगी। उनके यहां कितनी गाड़ियां हैं, इसका आद्यतन हिसाब भी उन्हें रखना पड़ेगा।
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