बिहार के इस पॉलिटेक्निक में बन रहा इंडस्ट्रियल ऑटोमेशन का सेंटर, बढ़ेगा रोजगार का अवसर

Muzaffarpur Center Of Excellence For Industrial Automation

गवर्नमेंट पॉलिटेक्निक नया टोला को इंडस्ट्रियल ऑटोमेशन का सेंटर ऑफ एक्सिलेंस बनाया गया है। आइआइटी पटना की देखरेख में लैब सहित अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जा रहा है।

सितंबर के अंतिम सप्ताह या अक्टूबर तक सेंटर फंक्शन में आ जायेगा। यहां मुजफ्फरपुर के गवर्नमेंट पॉलिटेक्निक, गवर्नमेंट गर्ल्स पॉलिटेक्निक व छपरा गवर्नमेंट पॉलिटेक्निक के छात्र-छात्रों को प्रशिक्षण दिया जायेगा।

प्रशिक्षण कराने की जिम्मेदारी आइआइटी पटना को

सभी ब्रांच के छात्र-छात्राओं के लिए यहां प्रशिक्षण अनिवार्य होगा। वहीं, प्रशिक्षण देने के लिए फैकल्टी का चयन टेस्ट के आधार पर आइआइटी की ओर से किया जायेगा।

पॉलिटेक्निक के प्राचार्य डॉ केके सिंह ने बताया कि संस्थान को सेंटर ऑफ एक्सिलेंस बनाने के साथ ही डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी ने लैब विकसित करने से लेकर प्रशिक्षण कराने तक की जिम्मेदारी आइआइटी पटना को दिया है।

Training will be given to the students of Government Polytechnic, Government Girls Polytechnic and Chapra Government Polytechnic of Muzaffarpur.
मुजफ्फरपुर के गवर्नमेंट पॉलिटेक्निक, गवर्नमेंट गर्ल्स पॉलिटेक्निक व छपरा गवर्नमेंट पॉलिटेक्निक के छात्र-छात्रों को प्रशिक्षण दिया जायेगा

सेंटर के लिए फैकल्टी का चयन भी आइआइटी को करना है। इसके अलावा आइआइटी की टीम भी समय-समय पर क्लास लेने यहां आयेगी।

प्रैक्टिकली साउंड होंगे छात्र, जानेंगे नयी तकनीक

पॉलिटेक्निक के प्राचार्य डॉ केके सिंह ने बताया कि सेंटर ऑफ एक्सिलेंस सरकार की अच्छी पहल है। इससे छात्र प्रैक्टिकली साउंड होंगे. साथ ही वे स्किल्ड भी बनेंगे।

इंडस्ट्री से जुड़ी लेटेस्ट तकनीक के बारे में उन्हें यहां जानकारी दी जायेगी। डॉ सिंह ने कहा कि सेंटर को स्थानीय इंडस्ट्री से जोड़ कर उनकी जरूरतों के मुताबिक प्रशिक्षण भी दिया जायेगा।

आज के दौर में इंडस्ट्रीज में मैन पॉवर कम करने के लिए ऑटोमेटिक सिस्टम को बढ़ावा दिया जा रहा है। पूरे राज्य में पॉलिटेक्निक के छात्र-छात्राओं के लिए 11 सेंटर बनाये गये हैं, जहां अलग-अलग विषयों का प्रशिक्षण दिया जायेगा।

रोजगार की बढ़ेगी संभावना

सेंटर ऑफ एक्सिलेंस की मदद से तनीक के मामले में युवा ज्यादा दक्ष होंगे। इसे राज्य में उनके लिए रोजगार के अवसरों का विकास बेहतर होगा।

इसके साथ ही दूसरे राज्यों में भी इन्हें रोजगार में प्राथमिकता मिलेगी। इन सब के बीच प्रैक्टिकली साउंड बच्चों का विदेश में नौकरी की संभावना ज्यादा होती है. इस लिहाज से भी ये बेहतर पहल है।

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