Bihar Teacher Bharti 2023: 1.70 लाख पदों पर भर्ती में दूसरे राज्यों से आई बहुओं का पत्ता साफ़, जानिए पूरा मामला

बिहार में अब तक की सबसे बड़ी बहाली की प्रक्रिया अब शुरू हो चुकी है। बिहार शिक्षक भर्ती 2023 के तहत 1.70 लाख पदों पर शिक्षकों की नियुक्ति की जानी है। जिसमें एक नया मामला सामने आ रहा है।
दरअसल दूसरे राज्यों से बिहार आई बहुओं का पत्ता मायके का ‘पता’ साफ कर रहा है। बहुओं ने कहा कि सालों से हम बिहार में ही रह रहे हैं पर मायके का पता दिया तो आरक्षण का लाभ कौन कहे, आवेदन भी निरस्त हो जाएगा और अगर यहां का पता दिया तो आवेदन कर पाएंगे लेकिन आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा।
आपको बता दे की बिहार शिक्षक बहाली के लिए 15 जून से आवेदन करने की शुरुआत हो चुकी है। बड़ी तादाद में ऐसी महिलाएं आयोग की शर्तों को लेकर काफी मुश्किलों में है।
क्या है पूरा मामला?
वर्तमान में निशा कुमारी उत्क्रमित विद्यालय गोपालपुर में नियोजित शिक्षक के पद पर कार्यरत है। बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) की ओर से विद्यालय अध्यापक नियुक्ति ( Bihar Teacher Recruitment 2023) की परीक्षा को लेकर आवेदन भरना है मगर निशा इस आवेदन को नहीं भर पा रही।
दरअसल मुजफ्फरपुर में ब्याही गई निशा का मायका दिल्ली में है और उन्होंने वहीं से पढ़ाई-लिखाई भी की हुई है। अभी भी निशा के पिता-भाई सभी दिल्ली में ही रहते हैं।
मुश्किल यह है कि वह आयोग के निर्देशानुसार जब अपना जाति और आवासीय पिता के पते यानि दिल्ली से बनवाएगी तो उसका बिहार के स्थायी निवासी की शर्त के तहत आरक्षण का लाभ ही नहीं, बल्कि आवेदन भी निरस्त हो जाएगा।
यह पीड़ा केवल निशा की नहीं है, बल्कि मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, वैशाली, बेतिया समेत विभिन्न जिलों में दूसरे राज्यों से आई बहुओं का भी है।
संक्षेप में समझिए मामला
- बिहार में ब्याही गई और शिक्षक की नौकरी कर रही सूबे से बाहर की महिलाओं की मुश्किल।
- बीपीएससी का निर्देश है कि बिहार की मूल निवासी को ही मिलेगा आरक्षण का लाभ।
- शिक्षक नियुक्ति में विवाहित महिलाओं को जाति से लेकर आवासीय बनाना है पिता के नाम-पते पर।
- 15 जून से आवेदन करने की हुई शुरुआत, बड़ी तादाद में ऐसी महिलाओं की सामने आई पीड़ा।
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मायके का पता मांगने के कारण नहीं कर पाएंगी आवेदन
पहले के नियोजित शिक्षकों के साथ ही छठे चरण की नियुक्ति में बहाल बड़ी संख्या में महिला अभ्यर्थी ऐसी हैं, जिनका मायका झारखंड, यूपी से लेकर एमपी है। महिलाओं ने कहा कि हम नौकरी कर रही हैं मगर इस नियुक्ति में अपना दावा नहीं कर पाएंगी।
जिला स्तर के अधिकारी इस बारे में कुछ भी नहीं बता पा रहे हैं। कुढ़नी में कार्यरत शिक्षिका रागिनी ने कहा कि – “शादी के बाद आवासीय भी मेरा यहां का है, मगर इस नियुक्ति परीक्षा में मायके का पता मांगने के कारण आवेदन ही नहीं कर पाऊंगी।”
सैकड़ों की तादाद में ऐसी महिलाएं
एक नहीं, बल्कि सैकड़ों की तादाद में ऐसी महिलाएं हैं, क्योंकि नियुक्त शिक्षिका ही नहीं, बल्कि नए अभ्यर्थी के तौर पर भी सूबे से बाहर के मायके वाली बिहार की बहुएं इसमें आवेदन करने से वंचित रह जाएंगी।
डीईओ अजय कुमार सिंह ने कहा कि – “यह आयोग का निर्देश है और जिला स्तर पर इसमें कोई बदलाव नहीं हो सकता। शिक्षकों की मांग को हम विभाग के सामने रखेंगे।”