बिहार की 10 साल की करीना दोनों हाथो में है सिर्फ एक अंगूठा, बनना चाहती है डॉक्टर

बिहार के जमुई जिले में जन्म से दिव्यांग एक बच्ची की कहानी सामने आई है। छठवीं कक्षा में पढ़ने वाली 10 साल की बच्ची करीना के दोनों हाथ में सिर्फ 1 अंगूठा है। इसके बावजूद उसकी इच्छा पढ़-लिखकर डॉक्टर बनने की है।
करीना ने बताया कि वह डॉक्टर बन समाज सेवा करना चाहती है, ताकि जरूरतमंदों की मदद की जा सके। परिजन बताते हैं कि करीन पढ़ने-लिखने में काफी होशियार है।
तमाम शारीरिक बाधाओं के बाद भी वह आगे पढ़ना चाहती है। वह उच्च शिक्षा हासिल कर अपने पैरों पर खड़ा होना चाहती है।
पढ़ने-लिखने में होनहार है करीना
जन्म से ही दोनों हाथ में एक मात्र अंगूठे वाली जमुई की करीना दिव्यांगता को मात देकर ऊंचाइयों को छूने चल पड़ी है। 10 साल की दिव्यांग बच्ची पढ़ने-लिखने में होनहार है और गांव के सरकारी स्कूल में छठी क्लास में पढ़ाई कर रही है।
पढ़-लिखकर डॉक्टर बनकर समाज सेवा करने की इच्छा रखने वाली करीना हर दिन स्कूल जाती है। मात्र एक अंगूठे वाली करइना लड़की खुद का भी सब काम कर लेती है।

दरअसल, जन्म के साथ ही उसके दोनों हाथ खराब हैं। दोनों हाथों में मात्र बाएं हाथ में एक अंगूठा है। इसके बावजूद करीना जिंदगी की जंग जीत रही है। करीना के पिता अजय राम गाड़ी चलाकर परिवार का पालन-पोषण करते हैं।
हौसले बुलंद
होनहार और बुलंद हौसले वाली करीना को देख सब हैरान रह जाते हैं। एक अंगूठे वाली लड़की परेशनियों और मजबूरी को भुलाकर जिंदगी संवारने के लिए काबिल बनने में लगी है।
जमुई जिले के ख़ैरा इलाके के सुदूर कागेश्वर गांव की दिव्यांग करीना के बुलंद हौसले और नेक इरादे का लोग उदाहरण देते हैं। छठवीं क्लास में पढ़ने वाली करीना शुरू से ही पढ़ने में तेज है।

हर दिन स्कूल जाना, अपना काम खुद करना और घर का काम करने के साथ दूसरी लड़कियों की तरह आराम से साइकिल चलाना। करीना ये सारा काम कर दूसरों को प्रेरणा देती है।
करीना बोली- कोई दिक्कत नहीं
करीना का कहना है कि उसके हाथों में मात्र 1 अंगूठा होने से उसे कोई दिक्कत नहीं होती है। करीना ने कहा, ‘मैं पढ़ाई के साथ-साथ सारा काम कर लेती हूं। प्रतिदिनि स्कूल जाती हूं।
मैं पढ़-लिखकर डॉक्टर बन समाज सेवा करना चाहती हूं।’ करीना दिव्यांगता को पीछे छोड़ कर आगे बढ़ना चाहती है।

डॉक्टर ने दी थी हाथ काटने की सलाह
करीना की मां सुमन देवी ने बताया कि जन्म के साथ ही उनकी बेटी का दोनों हाथ में अंगुलियां नहीं थीं। बाएं हाथ का अंगूठा ही कामयाब था। सुमन बताती हैं कि तब डॉक्टर ने दोनों हाथ बीच से काटकर प्लास्टिक का हाथ लगाने की सलाह दी थी।
इसके बाद हमलोगों ने सोचा कि भगवान ने जो दिया वही ठीक है और करीना को वैसे ही रहने दिया। अगर डॉक्टर ने हाथ काट देता तो वह पढ़ने-लिखने का काम कैसे करती।
करीना की मां ने बताया कि उनकी बेटी होनहार है, बस सरकार उसे पढ़ने-लिखने में मदद करे, ताकि उसकी बेटी का सपना पूरा हो सके।