देवी देवताओं का प्रसाद है हलवा, भारत में इस तरह हुई है एंट्री, जानिए इससे जुड़ी दिलचस्प बातें

halwa interesting facts

हलवे के बारे में पहले ये बातें पढ़ लीजिए। मशहूर भजन गायक नरेंद्र चंचल का एक भजन आज भी लोगों की जुबान हैं कि ‘मां मुरादें पूरी कर दे, हलवा बांटूंगी।’ भारत में भगवान विष्णु समेत ऐसे देवी-देवता हैं, जिन्हें प्रसाद के रूप में हलवा चढ़ाया जाता है।

तीसरा, हम गांव की या हाई सोसायटी के किसी विवाह आयोजन या अन्य कार्यक्रम में जाएंगे और वहां पर हलवा नहीं पाएंगे तो हो सकता है कि भोजन में आपको आनंद न मिले।

चौथा, हर साल जब भारत सरकार का बजट प्रिंट होता है तो हलवा रस्म का आयोजन किया जाता है। इन सब बातों से स्पष्ट है कि हलवा प्रसन्नता और आनंद का प्रतीक है, साथ ही यह मीठा व्यंजन हिंदू धर्म, संस्कृति और सामाजिक परंपरा में गहराई से जुड़ा है।

Pudding is foreign item

भारत की जिस तरह की हजारों साल पुरानी धार्मिक नीति-रीति रही है और हलवे के रूप में प्रसाद का चलन है तो हम मानते होंगे कि हलवा भी देश का प्राचीनतम मिष्ठान्न होगा। लेकिन आपको हैरानी होगी कि हलवा विदेशी आइटम है और भारत के लिए ‘नया’ ही है।

भारतीय प्राचीन पुस्तकों में नहीं है ज़िक्र

यह बात इसलिए कही जा रही है कि भारतीय धर्मग्रंथों, प्राचीन आयुर्वेद की पुस्तकों आदि में कहीं भी हलवा नाम का शब्द नहीं आया है और न ही उससे जुड़ा कोई व्यंजन।

हां, दूध या गन्ने के रस में कुछ खाद्यान्न डालकर आहार बनाने का वर्णन जरूर आया है। इसके बावजूद अनेक हिंदू देवी-देवताओं को प्रसाद के रूप में सालों से हलवा ही चढ़ाया जा रहा है।

ज्योतिषाचार्य पंडित आशुतोष शर्मा के अनुसार भगवान विष्णु को सूजी का हलवा प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है। मां दुर्गा का प्रसाद ही हलवा है।

Halwa is offered as Prasad

नवरात्र पर हलवे का ही प्रसाद वितरित किया जाता है। वसंतपंचमी पर मां सरस्वती को केसरी हलवा भेंट किया जाता है। और तो और भैरों देवता को शराब के साथ-साथ हलवा भी बहुत प्रिय है।

उन्होंने कहा कि हो सकता है कि देश के मुस्लिम शासकों के चलते हलवे की वैरायटी बढ़ गई हो और इस प्रसाद को हलवे का नाम दे दिया गया हो। उन्होंने कहा कि कुछ बातें या प्रमाण लिखित के बजाय मौखिक भी होते हैं और यह हमारी परंपरा रही है।

हलवे से ही नाम आया हलवाई

फिलहाल हम हलवे के नाम और डिश की बात करते हैं. हैरानी की बात यह है कि मिठाई बनाने वाला हलवाई, जो हमारी भाषा और खानपान में अंदर तक रचा-बसा है, उसका नामकरण भी हलवे से ही हुआ है।

धार्मिक-वैवाहिक-सामाजिक उत्सव व कार्यक्रम बिना हलवे के पूरे नहीं होते, इसके बावजूद प्रामाणिक तौर पर हलवा भारत का नहीं है।

The name of the confectioner came from the halwa itself.
हलवे से ही नाम आया हलवाई

हलवा शब्द अरबी भाषा के शब्द ‘हल्व’ से आया है, जिसका अर्थ है मीठा/ 20वीं शताब्दी के लेखक और इतिहासकार अब्दुल हलीम शरार की किताब ‘Guzishta Lucknow’ के अनुसार हलवा अरबी भूमि में उत्पन्न हुआ और फारस के रास्ते भारत आया। यह मूल मध्य पूर्वी मिठाई खजूर के गूदे और दूध से बनाया गया था।

एक अन्य लेखक कोलीन टेलर सेन ने अपनी पुस्तक Feasts and Fasts’ में जानकारी दी है कि दिल्ली सल्तनत के दौरान भारत में हलवा का आगमन 13वीं सदी के प्रारंभ से 16वीं सदी के मध्य तक हुआ था।

मिली जानकारी के अनुसार हलवा बनाने का पहला ज्ञात नुस्खा 13वीं शती में मुहम्मद इब्न अल-आसन इब्न अल-करीम द्वारा व्यंजनों पर लिखी पुस्तक ‘Kitab al-Tabikh’ में हलवे की आठ अलग-अलग किस्मों और उनके व्यंजनों की जानकारी दी गई है।

इस तरह भारत आया ‘हलवा’

कहा यह भी गया है कि भारत में हलवे का आगमन दो स्थलों से हुआ। एक, दक्षिण भारत के समुद्री तटों से, जहां अरबी व अन्य सौदागर उतरे और उनके चलते दक्षिण भारत में हलवे का प्रचलन बढ़ा।

दूसरा, मुगल व उससे पहले के मुस्लिम शासक, जो दिल्ली तक आए और उन्होंने अपने भोजन में हलवे को भी शामिल रखा और वह उत्तर भारत में मिष्ठान्न के रूप में मशहूर हो गया।

This is how Halwa came to India

फिलहाल एशिया के अधिकतर देशों में हलवे का खूब प्रचलन है, जबकि पश्चिमी देशों में सालों पूर्व से हलवे के मिलते-जुलते रूप मिष्ठान्न ‘pudding’ का चलन है और इसके आज भी जलवे हैं।

फिलहाल पूरे भारत वर्ष में हलवे का जलवा चल रहा है। कश्मीर से कन्याकुमारी तक किसी न किसी रूप में हलवा खाने को मिल जाएगा।

हलवे के दो रूप सबसे अधिक मशहूर

हलवे के दो रूप सबसे अधिक मशहूर हैं, सूजी का हलवा और गाजर का हलवा। मूंग की दाल का हलवा भी खासा नाम कमा रहा है। गरीबों के लिए आटे का हलवा सर्वसुलभ है। इसके अलावा प्रदेशों के हिसाब से भी हलवा रंग जमाए हुए है।

इनमें हिंदी भाषी राज्यों में सूजी व गाजर का हलवा, पश्चिम बंगाल का चोलर दाल हलवा, दक्षिण भारत में काशी (पेठा) का हलवा, करुठा हलवा, हलवे के ही मिलते-जुलते रूप रवा केसरी, मैसूर पाक आदि मशहूर हैं. केरल का कोझीकोडन हलवा नामी व्यंजनों में से एक है।

The two most popular forms of halwa

खोजबीन में यह भी पाया गया कि हलवे के जितने रंग-रूप भारत में है, वह शायद ही दुनिया के किसी देश में हो। हलवे में प्रचुर मात्रा में देसी घी और ड्राई फ्रूट्स का भी अलग ही जलवा है।

अब तो हरी मिर्च, अंडे से लेकर नॉनवेज हलवा भी चलन में आ गया है। आहार विशेषज्ञ रमा गुप्ता का कहना है कि चूंकि हलवा पाचक होता है, यह बहुत ही सात्विक तरीके से बनाया जाता है और आसानी से भी बन जाता है, इसलिए भारत में इसके चाहने वाले बहुत हैं।