बिहार सरकार का बड़ा फैसला, स्कूलों के बेचे जाएंगे सामान, कंप्यूटर व इनवर्टर 50 रुपए किलो ; रेट के साथ लिस्ट हुआ जारी

पूरे बिहार में सरकार के तरफ से शिक्षा व्यवस्था सुधारने का प्रयास किया जा रहा है| बच्चों की बेहतर भविष्य और पढ़ाई की जिम्मेदारी उठाते हुए सरकार ने कई अहम फैसले पिछले कुछ दिनों में लिए हैं| इसी बीच एक बड़ी खबर सामने निकल कर आ रही है|
मिली जानकारी के अनुसार बिहार की राजधानी पटना के सभी सरकारी स्कूलों में रखे पुराने और बेकार सामानों की नीलामी जल्द करने की निर्देश जारी किए गए हैं|पटना जिला शिक्षा कार्यालय से मिले आदेश के अनुसार पुराना कंप्यूटर 50 किलो तो मध्याह्न भोजन का पुराना बर्तन ₹20 प्रति किलो के हिसाब से बेचे जाने का निर्णय लिया गया है|
नोटिस हुआ जारी
इस जानकारी को सभी माध्य,माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों के प्रचार और सभी प्रखंड के शिक्षा पदाधिकारी को नोटिस भेजी गई है| स्कूल प्रबंधन के द्वारा पिछले 15 दिनों से स्कूल में पड़े पुराने सामान को चयनित किया जा रहा है|
रिपोर्ट के अनुसार राजधानी के लगभग सभी स्कूलों में 500 किलो से भी अधिक सामान इकट्ठा किया गया है| जानकारी के लिए आपको बता दे की पटना जिले में कुल 4076 सरकारी स्कूल है| खराब पड़े सामानों की नीलामी होने के बाद जो भी पैसा स्कूल प्रबंधन को प्राप्त होगी उसे विकास कार्य में लगाया जाएगा|
सामान इस कीमत पर होंगे नीलाम-देखे लिस्ट
- डेस्क,बेंच,कुर्सी या लकड़ी -6 रुपए प्रति किलोग्राम
- लोहा एवं चदरा- 20 रुपए प्रति किलोग्राम
- प्लास्टिक-8 रुपए प्रति किलोग्राम
- अनुपयोगी पेपर, कार्टून, बोरा-75 रुपए प्रति किलोग्राम
- पुराने जेनरेटर-50 रुपए प्रति किलोग्राम
- पुरानी बैट्री- 2 से 3 हजार रुपए प्रति पीस
- मध्याह्न भोजन संबंधी पुराना बर्तन-स्टील का 20 रुपए प्रति किलोग्राम
- एल्युनियम – 50 रुपये प्रति किलोग्राम
- इनवर्टर, पुराना कंप्यूटर-40 से 50 रुपये प्रति किलोग्राम
- पुराना पंखा-100 रुपए प्रति पीस
बच्चों को होती है काफी परेशानी
रिपोर्ट की माने तो पटना जिले के 90% स्कूल में अतिक्रमण के कारण क्लास हमेशा बाधित रहती है| स्कूल परिसर में खराब सामान इधर-उधर हमेशा बिखरा रहता है| बच्चों को स्कूल के दौरान चोट लगने के समस्या हमेशा देखी गई है।
स्कूल में पड़े खराब सामान हो के कारण बच्चों के इंडोर गेम के साथ-साथ आउटडोर गेम में भी काफी असर देखने को मिलता है, सही तरीके से कोई भी खेल का आयोजन नहीं हो पता है। जानकारी के लिए आपको बता दे की सरकारी स्कूल में ऐसी समस्या पिछले 10 से 20 सालों से देखा जा रहा है।
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