बिहार का ये स्टार्टअप बना 10,000 परिवार का सहारा, 2 दर्जन युवाओं को दे रहा रोजगार

golmart startup

बिहार के सुपौल में बेरोजगारी की ठोकर से शुरू हुआ यह स्टार्टअप आज दो दर्जन लोगों को रोजगार उपलब्ध करा रहा है। इस स्टार्टअप का कुल टर्न ओवर 15 लाख रुपए है।

स्विगी और जोमेटो की तर्ज पर शुरू हुए इस गोलमार्ट नाम के स्टार्टअप का लाभ करीब 10 हजार से अधिक परिवार ले रहा है। इसके स्टाफ करीब 10 से 15 हजार रुपए हर महीने कमा रहे हैं। खास बात यह है कि इनमें वे युवा जुड़े हैं, जिनका रोजगार लॉकडाउन के दौरान छिन गया था।

Startup named Golmart started on the lines of Swiggy and Zomato
स्विगी और जोमेटो की तर्ज पर शुरू हुआ गोलमार्ट नाम का स्टार्टअप

आइए जानते हैं इस स्टार्टअप के बारे में

सुपौल के वार्ड नंबर 16 निवासी प्रदीप कुमार ने बताया कि 2020 में किराना दुकान चलाता था। मार्च में लॉकडाउन लगने के कारण कमाई पर अच्छा ख़ासा असर पड़ा। पूंजी के लिए भी पैसे नहीं बचे। मजबूरी में उन्हें दुकान बंद करनी पड़ी।

इसके बाद यूट्यूब पर जोमेटो और स्विगी के मार्केंटिंग फंडे को देखा। उन्होंने सोचा कि जोमेटो और स्विगी तो केवल खाना ही उपलब्ध करवाते हैं।

golmart
गोलमार्ट

फ्लिपकार्ट और अमेजन भी केवल कपड़ा और इलेक्ट्रॉनिक्स सामान उपलब्ध करवाते हैं। लेकिन शहर में कोई ऐसा प्लेटफॉर्म नहीं है जो लोगों की छोटी-छोटी सभी जरूरतों को पूरा करे।

50 हजार की लागत से शुरू हुआ रोजगार

प्रदीप कुमार ने बताया की दिल्ली के एक दोस्त की मदद से एक एप बनवाया। इसके बाद लोगों की रोज की जरूरतों के सामान की लिस्ट बनाई। करीब 50 हजार की लागत से गोलमार्ट को जनवरी 2021 में लांच किया।

लोगों की जरूरतों को देखते हुए इसके जरिये किराना सामानों की डिलीवरी शुरू की। दीप कुमार ने बताया कि अब लोग एप पर घर बैठे मिनिमम 100 रुपए तक का सामान मंगवा सकते हैं।

यह लोगों को खूब पसंद आ रहा है। धीरे-धीरे डिमांड बढ़ने लगा लोगों को दवा, फल, सब्जी, मांस-मछली, अंडा समेत कई सुविधा उपलब्ध करवाने लगे।

25 people joined golmart
गोलमार्ट से 25 लोग जुड़े

इस रोजगार से 25 लोग जुड़े

गोलमार्ट का पहले साल का टर्नओवर 15 लाख रुपए का था। 2 स्टाफ की मदद से शुरू किया गए इस काम में अब 25 लोग जुड़ चुके हैं। इनकी सैलरी भी लगभग10 से 15 हजार है।

अब पूरे बिहार में इसे पहुंचाना इनका लक्ष्य है। अगले 2 साल में राज्य के 45000 गांव में लोगों तक गोलमार्ट को पहुंचाना है। फिलहाल इसके माध्यम से कैब सर्विस भी दी जा रही है।

विशाल ने कहा कि पहले रोजगार के लिए बिहार से बाहर जाना पड़ता था। लेकिन गोलमार्ट खुलने के बाद हम लोग इससे जुड़कर पढ़ाई भी कर रहे हैं और रुपए भी कमा रहे हैं।