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खुशखबरी: 6 साल बाद पूरा हुआ गोलघर के मरम्मत का काम, जानिए कब से टूरिस्ट कर सकेंगे दीदार

पटना आने वाला हर शख्स सबसे पहले गोलघर को देखना चाहता है, लेकिन टूरिस्ट का यह सपना पिछले कई सालों से पूरा नहीं हो पा रहा है। वजह है गोलघर के सीढ़ियों का मरम्मत कार्य, लेकिन अब गोलघर जाने वाले टूरिस्ट के लिए एक अच्छी खबर है।

सीढ़ियां में टूट-फूट और फिसलन होने के कारण गोलघर को 2017 में लोगों के लिए बंद कर दिया गया था और तब से ही यह बंद है। इसके बाद इसके जीर्णोद्धार के लिए प्रोजेक्ट बने और उसपर काम हुआ और अब लगभग छह वर्षों के बाद कुछ सकारात्मक अपडेट सामने आया है।

पर्यटक जल्द कर पाएंगे दीदार

बिहार के कला, संस्कृति एवं युवा विभाग के आधिकारिक सूत्र बताते हैं कि जल्द ही पर्यटक गोलघर का दीदार कर सकेंगे। बता दें कि गोलघर की सीढ़ियों को मरम्मत करने का काम भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को दिया गया था जो पूरा हो गया है।

आपको जानकर हैरानी होगी कि जिस गोलघर को बनने में महज ढाई वर्ष लगे थे उसकी मरम्मत में छह साल लग गए। ऐसे में जल्द ही पर्यटक घुमावदार सीढियों पर चढ़कर पटना के नजारे देख सकेंगे। गोलघर के दीदार को लेकर कभी कोई तय तारीख सामने नहीं आई है लेकिन उम्मीद है अगले कुछ सप्ताह में सरकार के तरफ से कोई निर्देश आ सकता है।

साथ ही राज्य पुरातत्व निदेशालय ऐतिहासिक ढांचे के अंदर ‘लाइट एंड साउंड’ शो को फिर से शुरू करने के लिए भी काम कर रहा है।

गोलघर का इतिहास

बता दें कि 1770 में देश में अकाल को देखते हुए तत्कालीन गर्वनर जनरल वारेन हेस्टिंग ने अनाज भंडारण के लिए एक गोदाम निर्माण की योजना बनाई। ब्रिटिश इंजीनियर कप्तान जॉन गार्स्टिन ने पटना के गांधी मैदान से सटे एक जगह पर अनाज के भंडारण के लिए गोदाम का निर्माण कराया जो गोलघर के नाम से जाना जाने लगा।

गोलघर का निर्माण कार्य 20 जनवरी 1784 में शुरू हुआ था और केवल दो साल छह महीने में हीं गोलघर 20 जुलाई 1786 को अनाज के भंडारण के लिए तैयार कर लिया गया था। समय के साथ गोलघर पटना की पहचान बन गया और आज के वक्त में यह एक टूरिस्ट प्लेस बन चूका है।

गोलघर की संरचना

गोलघर में 145 सीढ़िया हैं। इसका आकार लगभग 125 मीटर है और इसकी ऊंचाई 29 मीटर है। गोलघर में लगभग 1 लाख 37 हजार टन अनाज का भंडारण किया जा सकता है।

इस संरचना कि सबसे खास बात यह है कि इसमें किसी भी पिलर या स्तंभ का इस्तेमाल नहीं किया गया। गोलघर के वास्तुकार जॉन गार्स्टिन ने गोलघर का ढांचा गोल डिजाइन किया जिसकी वजह से इसका नाम गोलघर पड़ा।