Unique School Of Bihar: बिहार का अनोखा स्कूल, जहाँ फीस में बच्चों से पैसे के बदले लिया जाता है कचरा, जानिए क्यों

Garbage is taken from children in lieu of fees in this school of bihar

अभी तक आपने फ्री में यानी बिना किसी फी के कई स्कूलों और कोचिंग सेंटरों का संचालन होते हुए देखा होगा। लेकिन क्या आपने कभी ऐसा सुना या देखा है की किसी स्कूल में बच्चों से फीस में पैसों के बदले कचरा माँगा जाए?

अगर नहीं तो आज हम आपको बिहार के एक ऐसे ही स्कूल के बारे में बताने जा रहे है। बिहार का ये स्कूल गया जिले के बोधगया में मौजूद है जहां बच्चों से स्कूल फीस नहीं ली जाती, बल्कि उन्हें पढ़ाई तो मुफ्त में कराई जाती है, लेकिन उनसे कचरा जरूर वसूल किया जाता है।

इसके लिए बच्चों को एक बैग भी दिया जाता है, जिसमें वे सूखा कचरा चुनकर स्कूल ले जाते है। आईये जानते है इसके पीछे क्या कारण है?

कहाँ है ये अनोखा स्कूल?

बिहार के गया जिले के बोधगया के बसाड़ी ग्राम पंचायत के सेवा बीघा में एक ऐसा स्कूल है, जहां बच्चों को निःशुल्क शिक्षा दी जाती है, लेकिन बदले में उनसे सूखा कचरा लिया जाता है। घर और सड़कों से लाए कचरे को बच्चे स्कूल के गेट के पास रखे डस्टबिन में नियमित रूप से डालते हैं।

Children of Padmapani school put the garbage brought from home and streets in the dustbin kept near the school gate
घर और सड़कों से लाए कचरे को स्कूल के गेट के पास रखे डस्टबिन में डालते पद्मपानी स्कूल के बच्चे
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इस अनोखे स्कूल का नाम पद्मपानी स्कूल है, जो की पद्मपानी एजुकेशनल एंड सोशल फाउंडेशन द्वारा संचालित है। स्कूल के बच्चों की ओर से घर या रास्ते से जो भी प्लास्टिक का कचरा लाया जाता है, उसे स्कूल के बाहर बने डस्टबिन में डालना होता है।

री-साइकिल के लिए भेजा जाता है कचरा

आपको बता दे की इस कचरे को री-साइकिल होने के लिए भेज दिया जाता है। कचरा बेचकर जो पैसा इकट्ठा होता है, उस पैसे को बच्चों की पढ़ाई, खाना, कपड़ा और किताबों पर खर्च किया जाता है।

वहीँ विद्यालय में बिजली का कनेक्शन भी नहीं है, ऐसे में स्कूल का संचालन सौर ऊर्जा से किया जाता है।

सड़कों पर कचरा फेंकने से बचते हैं अभिभावक

संस्था के सह संस्थापक राकेश रंजन बताते हैं कि – “2014 में इस स्कूल की शुरुआत की गई थी, लेकिन यह काम 2018 से चल रहा है। उन्होंने कहा कि विद्यालय बोधगया इलाके में है, जहां प्रतिदिन हजारों की संख्या में देश-विदेश से श्रद्धालु पहुंचते हैं। उन्होंने कहा कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का प्रयास भी देश को स्वच्छ और सुंदर दिखने की है।

उन्होंने आगे बताया कि बोधगया का इलाका स्वच्छ एवं सुंदर दिखे, साथ ही प्लास्टिक पर्यावरण के लिए काफी नुकसानदायक है और इससे जलवायु परिवर्तन होता है। जब अभिभावक के बच्चे कचरा चुनते हैं, तब वे भी सड़कों पर कचरा फेंकने से बचते हैं।

इसके अलावे आस-पास के लोग भी बच्चों के कचरा उठाने के कारण जागरूक हुए है, जिससे इन इलाकों में सड़कों पर कचरा कम नजर आता है।

जिम्मेदारी की भावना का एहसास कराना है मकसद

विद्यालय की प्राचार्य मीरा कुमारी बताती हैं कि – “कचरे के रूप में स्कूल फीस लेने के पीछे मुख्य मकसद बच्चों में जिम्मेदारी की भावना का एहसास कराना है। आखिर यही बच्चे तो बड़े होंगे। आज ही ये पर्यावरण के खतरों के प्रति जागरूक हो रहे हैं। हमारा उद्देश्य ऐतिहासिक धरोहर के आस-पास सफाई बनाए रखना भी है।”

उन्होंने बताया कि – “स्कूल के बच्चे गांव में सड़कों के किनारे पौधे भी लगाते हैं, जिनकी देखभाल करना भी इन्हीं की जिम्मेदारी है। इस स्कूल के बच्चों की ओर से लगाए गए करीब 700 पौधे अब पेड़ बन चुके हैं।”

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बिहार सरकार से मिल चुकी है मान्यता

पद्मपानी स्कूल में वर्ग 1 से 8 वीं तक के बच्चों की पढ़ाई होती है। इस स्कूल को बिहार सरकार से मान्यता भी मिल चुकी है। फिलहाल इस स्कूल में लगभग 250 गरीब परिवार के बच्चे पढ़ने आते हैं।

इस कार्य के बाद बच्चों में भी जिम्मेदारी का एहसास दिख रहा है। बच्चे भी कहते हैं कि हम भी तो समाज को कुछ योगदान दे पा रहे हैं।

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