बिहार के किसान तिल की खेती से बनेंगे करोड़पति! कम लागत में ज्यादा मुनाफा, कृषि विभाग कर रहा ऐसी तैयारी

बिहार में ज्यादातर आबादी खेती किसानी पर ही निर्भर करती है। ऐसे में बिहार के किसानों के लिए अच्छी खबर सामने आ रही है। दरअसल बिहार के गया जिले में इस वर्ष बड़े पैमाने पर गरमा तिल की खेती की गई है।
जिसने गया के तिलकुट व्यवसायियों के कानपुर के तिल पर निर्भरता खत्म कर दी है। अब और बड़े पैमाने पर इसकी खेती कैसे हो इसको लेकर हाल ही में गया के कृषि विभाग सभागार में तिल व्यवसाई और तिल उत्पादक किसानों के साथ संवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया।
इस कार्यक्रम में श्रीराम तिलकुट भंडार सहित जिले के 5 तिलकुट व्यवसायियों व 26 तिल उत्पादक किसानों ने भाग लिया। किसानों ने बताया कि उनके द्वारा कृषि विभाग की सलाह पर इस वर्ष गरमा तिल की खेती की गयी है।
फसल काफी अच्छी रही तथा अच्छा उत्पादन भी प्राप्त हो रहा हैं। अन्य फसलों की तुलना में तिल की खेती काफी आसान है। यदि तिल का अच्छा मूल्य मिल जाता है तो वे अगले मौसम से बड़े पैमाने पर तिल की खेती प्रारंभ कर देंगे।
तिल की खेती में कम लागत में ज्यादा मुनाफा
इस मौके पर तिल वैज्ञानिक डाॅ.सीमा सिन्हा ने बताया कि – “अन्य फसलों की अपेक्षा तिल की खेती में लागत कम एवं मुनाफा ज्यादा होता है।”
वहीं जिला परामर्षी सुदामा सिंह ने बताया कि – “मूँग फसल में मूँग की तुड़ाई काफी महंगी हो रही है। जबकि तिल फसल में एक ही बार में तिल की थ्रेसिंग हो जाती है।”

कार्यक्रम के दौरान वह उपस्थित बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर की तिल वैज्ञानिक ने तिल एवं तिल की खेती तथा इससे होने वाले लाभ के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि गया जिले के वातावरण में तिल की खेती काफी लाभदायक है। इसलिए ज्यादा से ज्यादा किसानों को तिल की खेती करनी चाहिए।
तिल की खेती होने पर 100 करोड़ की आमदनी
जिला कृषि पदाधिकारी सुदामा महतो ने बताया कि – “पूरे भारत में गया जिले का तिलकुट काफी लोकप्रिय है। परन्तु यह विडम्बना है कि यहां के तिल व्यवसायियों को बिहार के बाहर जाकर ऊंचे मूल्य पर तिल खरीदना पड़ता है। जिले में तिल की खेती होने पर उन्हें उच्च गुणवत्ता का तिल उचित मूल्य पर उपलब्ध हो जायेगा।”
महात्मा बुद्ध एग्री क्लिनिक के संस्थापक राजेष कुमार सिंह ने बताया कि – “गया में 10,000 हेक्टेयर में तिल की खेती होने पर लगभग 100 करोड़ रुपये सीधे जिले के किसानों को मिलेंगे।”
और पढ़े: Farming Business idea: असली “मनी प्लांट” है यह फूल! एक बार लगाए जीवन भर होगी कमाई
बड़े पैमाने पर तिल की होगी खेती
श्रीराम तिलकुट भंडार टिकारी रोड गया के प्रोपराइटर धीरेन्द्र कुमार केसरी ने किसानों द्वारा लाये गये तिल के नमूनों की जांच की। जिसके बाद उन्होंने कहा कि – “इस तिल की गुणवत्ता काफी अच्छी है।” बोधगया के तिल व्यवसायी सुधीर कुमार ने भी किसानों द्वारा उत्पादित तिल की गुणवत्ता को काफी अच्छा बताया।
तिल व्यवसायियों ने किसानों को आश्वस्त किया कि जितनी भी मात्रा में गया जिले में जितना भी तिल उत्पादित होगा, उसकी खरीद वो उचित मूल्य पर कर लेंगे। किसानों ने एकमुश्त होकर कहा कि तिल की फसल एक अच्छा मुनाफा देने वाली फसल है। अतः वे अगली बार से बड़े पैमाने पर तिल की खेती शुरू करेंगे।