गया में बुनकरों के 17 लाल ने जेईई में किया कमाल, लूम की खट-खट के बीच निकल रहे होनहार

बिहार के गया के मानपुर के उद्योग नगरी पटवाटोली के बुनकर विभिन्न तरह के वस्त्र बनाने में काफी माहिर हैं, उनके द्वारा बनाए गए वस्त्र अलग अलग जगहों पर काफी पसंद किए जाते है। और इन्ही लूम की खट खट के बीच प्रत्येक साल जेईई एडवांस में काफी संख्या में छात्र-छात्रा उतीर्ण होते हैं। इसी क्रम में इस वर्ष भी 17 छात्र-छात्रा जेईई एडवांस में उतीर्ण होकर पटवा टोली का नाम देश में रोशन किया है।
देश की सबसे कठिनतम परीक्षाओं में से एक मानी जाने वाली JEE में पटवाटोली के बच्चे सफल होकर पटवा टोली की पहचान अब होनहारों की टोली के रूप में बनानी शुरू कर दी है। इस जगह से पिछले एक दशक में कई आइआइटियन निकले हैं। लगन और परिश्रम से इन लोगों ने एक नई इबारत लिखनी शुरू कर दी है।
सफल छात्रों के नाम व रैंक
- आर्यन सोलंकी – 6246
- आदित्य राज – 6521
- अमित कुमार – 6964
- राकेश कुमार – 7288
- प्रतीक प्रांजल – 7383
- प्रियम – 8710
- आलोक कुमार – 8861
- खुशबू गुप्ता – 8920
- श्रुति कुमारी – 8975
- महेश कुमार – 12342
- शिवा कुमार – 12453
- अनुषठा प्रकाश – 13079
- अमित कुमार – 13777
- शशि कुमार – 18787
- शिल्पा कुमारी – 7601 , ओवीसी
- धीरज कुमार – 26174
- शुभम कुमार – 27856
सफलता का मन्त्र
पटवा टोली में अमूमन 24 घंटे खटखट की आवाज होती रहती है और हर वर्ष रिजल्ट आने पर यहाँ के छात्र-छात्रा जेईई की परीक्षा में काफी संख्या में उतीर्ण हो रहे हैं। तो प्रश्न उठता है कि आखिर कैसे ?
आपसी और सामाजिक सहयोग से पटवा टोली में छात्र-छात्रा को पढऩे-लिखने के लिए एक भवन बनाया गया है, जहाँ बच्चे इस परीक्षा की तैयारी करते है। यहाँ तैयारी करने वाले विद्यार्थियों का मार्गदर्शन जेईई एडवांस में उर्तीण होने वाले छात्र-छात्राओं के द्वारा दिया जाता है। यही बजह है कि पटवा टोली के छात्र-छात्रा प्रत्येक साल काफी संख्या में जेईई एडवांस में उर्तीण होते हैं।
एक दशक में बदल गई है जिंदगी
पिछले एक दशक में गया के इन बुनकरों का जीवन काफी बदल गया है, अब केवल बिहार ही नहीं बल्कि दूसरे प्रदेश के लोगों के पसंद लायक वस्त्र यहां बनने लगे है। उत्पादन और बिक्री दोनों बढ़ने से बुनकर मजदूर को भी रोजगार मिलना शुरू हो गया। वर्तमान समय में पटवा टोली में सरकार से निबंधित 882 पावर लूम इकाई है।
उक्त इकाई में करीब नौ हजार पावर लूम संचालित है। ट्रक से उतार कर धागा को गोदाम तक लाने , ताना-बाना करने से लेकर लूम पर विभिन्न तरह के वस्त्र बनाने , सरियाने, वस्त्र को ठेला से गोदाम तक पहुंचाने एवं दूसरे प्रदेश में भेजने के लिए ट्रक पर लोड करने से करीब 45 हजार बुनकर मजदूर लगे हैं। इसके साथ ही छात्रों के इस तरह के रिजल्ट से पुरे पटवा टोली में ख़ुशी का माहौल है।