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Chandrayaan 3: कैसे चांद पर पहुंचेगा चंद्रयान 3, जानिए पूरी डिटेल्स और टाइमिंग

Mission Moon, ChandraYaan- 3: भारत chandrayaan-3 को लांच करने जा रहा है और इसका बजट 650 करोड है और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO- Indian Space Research Organisation) का आज तक का सबसे कठिन और मुश्किल मिशन होने वाला है।

इसरो ने एक बार फिर 4 साल की कड़ी मेहनत के बाद पृथ्वी के इकलौते उपग्रह चांद पर chandrayaan-3 भेजने की तैयारी पूरी कर ली है और इस बार सॉफ्ट लैंडिंग यानी सुरक्षित तरीके से यान को उतारने का मिशन सफल होने की संभावना है।

आपको बता दें कि भारत के लिए चंद्र मिशन के तहत chandrayaan-3 को फैट बॉय एलवीएमएम रॉकेट ले जाएगा। आज यानी 14 जुलाई को श्रीहरिकोटा से चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करने के लिए रॉकेट लॉन्च किया जाएगा जो अगस्त के आखिर में निर्धारित होगा कि हमारे वैज्ञानिकों की इतने दिनों की मेहनत सफल हुई या विफल।

Chandrayaan-3 सॉफ्ट लैंडिंग कठिन क्यों

Chandrayaan 3 Launch

आपको बता दें कि 2019 में chandrayaan-2 को सॉफ्ट लैंडिंग कराने में भारत विफल हो गया था उस वक्त वैज्ञानिक सतीश धवन भावुक हो उठे तो प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें गले लगा कर आश्वासन दिया था और भविष्य में सफलता की शुभकामना दी थी।

अब एक बार फिर वैज्ञानिक सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में घंटों की कड़ी मेहनत करने के बाद फिर चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने का लक्ष्य पूरा करना चाहते हैं आपको बता दें कि अगर भारत ऐसा कर पाने में सफल होता है तो सोवियत संघ,अमेरिका, और चीन के बाद चौथा देश बन जाएगा जिसने चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग की है।

जुलाई में ही क्यों किया जा रहा है लॉन्च

आपको बता दें कि 14 जुलाई यानी कि आज एलवीएम 3के द्वारा chandrayaan-3 को चांद तक पहुंचाने की कोशिश की जाएगी और यह एलबीएम3 की चौथी उड़ान है। इसरो के वैज्ञानिकों ने कहा है कि एलबीएम3 एक दक्षता वाली रॉकेट है जो अब तक कई कठिन से कठिन अभियानों में शामिल रही है।

उन्होंने बताया है कि पृथ्वी से चांद की दूरी जुलाई महीने में बेहद कम होती है इसलिए चंद्रयान3 को इस वक्त लांच किया जा रहा है।

Chandrayaan-3 में क्या है विशेष

आपको बता दें कि chandrayaan-3 में जो विशेष बात है वह है उसकी सॉफ्टलैंडिंग। आपको पता ही होगा कि चंद्रमा का केवल एक भाग ही पृथ्वी से नजर आता है और चंद्रमा का 41% हिस्सा पृथ्वी से छुपा हुआ है।

चंद्रयान लॉन्च Chandrayaan3

आपको बता दें कि इस हिस्से में सालों से सूर्य की रोशनी नहीं पहुंची और चन्द्रमा के साउथ पोल में बड़े-बड़े क्रेटर्स (craters) है,जिनकी अच्छे से स्टडी करके हम अपने सोलर सिस्टम के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी पा सकते हैं जो सिर्फ भारत ही नहीं पूरी दुनिया के लिए भी बहुत काम की जानकारी हो सकती है।

इस मिशन की सबसे कठिन चीज यह है कि चांद पर रोवर को सफलता से उतारना आपको बता दें कि chandrayaan-2 की ही तर्ज पर chandrayaan-3 को भी लॉन्च किया जा रहा है।

लेकिन इसमें पहले से कहीं अधिक क्षमताओं को विकसित किया गया है अब चंद्रमा की सतह पर यान को सुरक्षित उतारना और लैंडर में से रोवर का बाहर निकलकर चंद्रमा की सतह के बारे में अध्ययन करना यह तीनों कार्य बड़ी ही सूझबूझ के साथ डिजाइन किया गया है जिससे दुर्घटनाग्रस्त होने की संभावना घट गई है और इस मिशन की सफलता की संभावना बढ़ गई है।

चंद्रयान जरूरी क्यों है?

आपको बता दें कि चंद्रयान भारत के लिए केवल स्पेस प्रोग्राम के लिए जरूरी ना होकर भारत की आर्थिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है क्योंकि आज नासा स्पेस में अलग-अलग जगहों पर सॉफ्ट लैंडिंग करके बहुत से स्पेस प्रोजेक्ट के जरिए करोड़ों रुपए की कमाई कर रहा है ।

और अगर भारत भी यह प्रूफ कर देता है की भारत के पास भी यह टेक्नोलॉजी और पावर है कि वह भी स्पेसशिप की सेफ लैंडिंग करा सकता है तो भविष्य में इससे जुड़े अलग-अलग प्रोजेक्ट्स भारत को मिल सकते हैं जिससे अच्छी कमाई भारत को हो सकती है और इससे भारत के पास आर्थिक दृष्टि से मोटी रकम आ सकती है।

कितने बजे किया जाएगा chandrayaan3 लॉन्च

आज भारत में एक बार फिर से उत्साह का माहौल है आज chandrayaan-3 को 2:35 pm के लगभग लॉन्च करने की उम्मीद जताई जा रही है आपको बता दें कि भारत के लिए यह एक गौरव का समय है।

 भारत चांद पर सॉफ्टली लैंड करने वाला चौथा देश बनने जा रहा है आपको बता दे की 2019 में जब chandrayaan-2 विफल हुआ था लेकिन भारतीय वैज्ञानिकों ने उसके  महज 4 सालों में ही दिन रात की कड़ी मेहनत के बाद से chandrayaan-3 को पहले से ज्यादा पावरफुल और विशेष तकनीकों के साथ लॉन्च करने की तैयारी कर ली है। और अब देश में एक ऐसा समय है जब सभी लोग इस बात का प्रतिक्षण इंतजार कर रहे हैं कि chandrayaan-3 को लॉन्च किया जाएगा।