बिहार का ये गाँव कर रहा फूलगोभी के बीज की खेती, सामान्य किसान की भी लाखों में कमाई

cauliflower seed farming in vaishali bihar

बिहार के वैशाली जिले का चकवारा गांव के किसान खेती के दम पर अपनी समृद्धि की पटकथा लिख रहे हैं। इस गांव के लोग खेती मजबूरी में नहीं करते हैं। बल्कि शौक से करते हैं।

गांव के युवा उच्च शिक्षा ग्रहण करने के बाद भी कुदाल को साथी एवं खेत में सुनहरा भविष्य देख रहे हैं। चकवारा अन्य गांवों के लिए उदाहरण बन रहा है कि कैसे एक गांव खेती में आत्मनिर्भरता के जरिये समृद्ध हो सकता है।

Chakwara farmers cultivate cauliflower seeds
फूलगोभी के बीज की खेती करते है चकवारा के किसान

गांव की पहचान फूलगोभी के बीज की खेती के लिए होती है और इसके साथ ही इस गांव को लोग प्रगतिशील किसान संजीव कुमार के गांव से भी जानते हैं। आलम ये है क‍ि फूल गोभी के बीज से गांव का एक साधारण कि‍सान भी सालाना 10 लाख रुपये की आय अर्जि‍त कर रहा है।

20 साल पहले शुरू हुआ था सफर

करीब 20 साल पहले गांव के लोगों का गोभी की खेती से मोह टूटता देख संजीव कुमार अपने साथियों के साथ अन्नदाता कृषक क्लब बनाकर युवाओं को खेती से जोड़ने का काम किया।

Chakwaras progressive farmer Sanjeev Kumar
चकवारा के प्रगतिशील किसान संजीव कुमार

जिसका परिणाम है कि यहां के किसान सरकारी नौकरी की जगह खेती को बेहतर मान रहे हैं। आज 2500 आबादी वाले चकवारा गांव के 500 परिवार फूलगोभी के बीज की खेती एवं बीज के व्यवसाय से जुड़े हुए हैं और यहां के उत्पादित बीज देश के विभिन्न राज्यों में भेजा जाता है।

इस गांव का बीज है ख़ास

इस गांव के खेतों से तैयार बीज की सबसे बड़ी खासियत है कि यहां की फूल गोभी के पौधे रोपण के 40 से 45 दिनों में फूल तैयार हो जाता है।

किसानों की अच्छी कमाई हो जाती है। चकवारा की सफलता की कहानी के पीछे ग्रामीणों द्वारा फूलगोभी के बीज की खेती करना है।

500 families of Chakwara village are involved in the cultivation of cauliflower seeds and seed business.
चकवारा गांव के 500 परिवार फूलगोभी के बीज की खेती एवं बीज के व्यवसाय से जुड़े

संजीव को फूलगोभी की खेती ने दिलाई राष्ट्रीय स्तर पर पहचान

यह जरूरी नहीं की प्रगतिशील किसान बनने के लिए ज्यादा जमीन हो। बल्कि एक बड़ी सोच का होना जरूरी है और इसी सोच के साथ संजीव कुमार ने 20 साल पहले फूलगोभी के बीज उत्पादन की खेती ओर रुख किया।

उसके बाद कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा, जिसका परिणाम घर के गेस्ट हाउस में पड़े पुरस्कार एवं प्रमाण पत्र हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों श्रेष्ठ किसान पुरस्कार पाने वाले संजीव कुमार किसान तक से बातचीत के दौरान बताते हैं कि 2005 से पहले गांव के लोग फूलगोभी के बीज उत्पादन की खेती से नाता तोड़ने लगे थे।

Cauliflower farming brought Sanjeev recognition at the national level
संजीव को फूलगोभी की खेती ने दिलाई राष्ट्रीय स्तर पर पहचान

लेकिन, उन्होंने नाबार्ड एवं बैंक की मदद से एक अन्नदाता कृषक क्लब बनाया और उसके बाद वह गांव के युवाओं को बीज उत्पादन की नई तकनीक से खेती करने के लिए भारतीय सब्जी अनुसंधान केंद्र वाराणसी एवं कई अन्य कृषि अनुसंधान केंद्र पर प्रशिक्षण दिलवाने का काम किया।

उसके बाद से गांव के युवा एक नई सोच व जोश के साथ खेती शुरू की और इसका परिणाम है कि आज हाजीपुर का चकवारा अग्रिम फूलगोभी के बीज उत्पादन के लिए जाना जाता है। आगे वह कहते हैं कि मेरी पढ़ाई ज्यादा नहीं हुई।

New variety of Cauliflower seed developed by Sanjeev Kumar named Sanjeev Selection
संजीव कुमार द्वारा ‘संजीव सेलेक्शन’ नाम से फूलगोभी के बीज की नई किस्म विकसित किया गया

लेकिन, जब वह प्रशिक्षण ले रहे थे। तब उनको एहसास हुआ कि किसानी के दम पर भी देश स्तर पर एक बेहतर पहचान बनाई जा सकती है।

इसी का परिणाम है कि उन्हें आधुनिक तकनीक से खेती करने के लिए राष्ट्रीय रजत पुरस्कार सब्जी अनुसंधान केंद्र वाराणसी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों श्रेष्ठ किसान पुरस्कार, उद्यान रतन पुरस्कार, प्रगतिशील किसान पुरस्कार, राष्ट्रपति पुरस्कार सहित अन्य पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।

फूलगोभी की उन्नत प्रजाति कर चुके हैं विकसित

प्रगतिशील किसान संजीव कुमार करीब आधा एकड़ में फूलगोभी के बीज की खेती करते है और उसके साथ ही कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग भी करते हैं।

यह कहते हैं कि भागलपुर के सबौर में बिहार कृषि विश्वविद्यालय फूलगोभी की सबौर अग्रिम प्रजाति का बीज इनके जर्म प्लाज़्मा से विकसित किया गया है।

इसके साथ ही संजीव कुमार द्वारा ‘संजीव सेलेक्शन’ नाम से फूलगोभी के बीज की नई किस्म विकसित किया गया है। जो गांव द्वारा विकसित बीज की विभिन्न किस्मों में से एक है। यह किस्म करीब 55 से 60 दिनों में तैयार हो जाता है।

फूलगोभी के बीज उत्पादन से होती है अच्छी कमाई

चकवारा गांव में करीब 125 से 150 एकड़ में फूलगोभी की खेती होती है। वहीं संजीव कुमार कहते हैं कि प्रति कट्ठा 15 से 20 किलो फूलगोभी के बीज का उत्पादन होता है, जो बाजार में करीब तीन से चार हजार रुपए प्रति किलो बिकता है।

Cauliflower is cultivated in about 125 to 150 acres in Chakwara village.
चकवारा गांव में करीब 125 से 150 एकड़ में होती है फूलगोभी की खेती

वहीं संजीव कहते हैं कि केवल गोभी की खेती से यहां एक साधारण किसान साल का 10 लाख रुपये से अधिक की कमाई कर लेते हैं। वहीं संजीव भी बीज उत्पादन से करीब 20 लाख से अधिक की कमाई कर लेते है।

उच्च शिक्षा हासिल कर युवा कर रहे खेती

एमसीए की पढ़ाई करके गांव के युवा वागीस आर्य नौकरी करने की जगह गांव में रहकर गोभी की खेती कर रहे हैं। इन्हें जब खेती में अधिक मुनाफा दिखा। तो उन्होंने ने बीएसी एग्रीकल्चर की पढ़ाई पूरी की।

और उसके बाद बाद बड़े स्तर पर खेती करना शुरू किया। आज ये करीब एक एकड़ में स्वयं एवं 9 एकड़ में कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग कर रहे हैं और एक बेहतर कमाई गांव में रहकर कर रहे हैं।

Young farmers of Chakwara village are doing farming after getting higher education
उच्च शिक्षा हासिल कर चकवारा गांव के युवा किसान कर रहे खेती

यह कहते हैं कि पिता की तबियत खराब होने के कारण गांव आया। लेकिन अब इस खेत को छोड़कर जाना नहीं है। वहीं एमबीए की पढ़ाई करने वाले रूपेश सिंह कहते है कि यहां के युवा खेती मजबूरी में नहीं करता है, बल्कि शौक से करता है। और मैं भी खेती शौक से करता हूं।

बीज उत्पादन प्लांट एवं लाइसेंस प्रक्रिया में मिले सहूलियत

किसान तक से बातचीत के दौरान यहां के किसानों का कहना है कि वह फूलगोभी बीज उत्पादन में बहुराष्ट्रीय कंपनियों को टक्कर देने का मादा रखते हैं। अगर सरकार सीड लाइसेंस देने में अपने नियमों में बदलाव करे।  तब किसानों को काफी सहूलियत होगी।

किसान रवि कुमार कहते हैं कि बीज का उत्पादन घरेलू स्तर पर होने के कारण सरकार ध्यान नहीं दे रही है, जो बिल्कुल गलत है। अगर वह सीड लाइसेंस देने के नियमों में बदलाव करती है। तो यहां के किसान बीज उत्पादन के साथ आसानी से उसे बाजार में बेच सकते हैं।

चकवारा गांव के किसान बीज उत्पादन के साथ बीज बेचने का काम भी करते हैं। वहीं संजीव कहते हैं कि अभी हाल के समय में फूलगोभी के बीज उत्पादन की प्रक्रिया मैनुअल तरीके से हो रही है। अगर सरकार बीज उत्पादन का प्लांट लगा देता है, तो यहां के किसान मिट्टी से सोना निकलेगा।