बिहार का दूल्हा राजा जर्मनी की दुल्हनिया, प्यार की तस्वीरें देख कर कहेंगे वाह

कहते हैं प्यार किसी का मोहताज नहीं होता ना उसे कैसे देश की सरहद रोक सकती है और ना ही भाषा का बंधन हो सकता है प्रेम धर्म और जाति से बहुत ऊपर होती है और जर्मनी के लो रिश्ता और बिहार के सत्येंद्र की प्रेम कहानी ने इस वाक्य का प्रमाण दे दिया है|
विदेश से अकेले आ गयी दुल्हन
दोनों की प्रेम कहानी इतनी शानदार थे कि इसका जिक्र नासिर भारत में हुआ बल्कि जर्मनी में भी इसे लेकर खबरें छपी उतना ही नहीं आप इन के प्रेम के मजबूती को इसी से नाप सकते हैं कि जब दोनों को विवाह करना था और इसके लिए लॉरिस्सा को अपने परिवार के साथ बिहार आना था|
प्यार हो तो ऐसा
किसी कारण उनके परिवार वालों को भारत का वीजा नहीं मिला इसके बाद भी लॉरिस्सा ने हार नहीं मानी और अकेले ही शादी करने के लिए जर्मनी से भारत आ गए| इन दोनों की प्रेम की मिसाल पूरे भारत और जर्मनी में दी जा रही है कि सच्चा प्यार हो तो ऐसा
यहाँ से हुआ था प्यार का शुरुआत
दरअसल सत्येंद्र कुमार बिहार के नवादा जिले के रहने वाले हैं और साल 2019 में सत्येंद्र कैंसर पर रिसर्च करने स्वीडन गए थे सत्येंद्र वहां स्किन कैंसर पर रिसर्च कर रहे थे जबकि लरीसा वहीं पर पोस्टेड कैंसर पर रिसर्च कर रही थी इसी दौरान इन दोनों के बीच दोस्ती हुई|
धूम धाम से हुआ शादी
इसी प्रकार धीरे-धीरे इन दोनों की दोस्ती प्रेम में बदल गई और जब कुछ वक्त बीता इनका प्यार परवान चढ़ने लगा तो दोनों ने शादी करने का फैसला किया इनके सच्चे प्रेम को देखकर घर वालों ने भी शादी के लिए हां कर दी पूरे धूमधाम से इनके शादी की तैयारी होने लगी|
जब लरीसा को शादी के लिए अपने परिवार के साथ भारत आना था तो किसी कारण के चलते उनके परिवार वालों को भारत का वीजा नहीं मिल सका लेकिन लरीसा को अकेला वीजा मिला और वह बिहार आकर सत्येंद्र से रचा ली शादी
प्यार देख सब थे हैरान
इस शादी में भले ही उनके माता-पिता नहीं शामिल हो पाए लेकिन सतेंद्र के परिवार वालों ने लरीसा को इसकी कमी नहीं खलने दी और सत्येंद्र के गांव वालों और रिश्तेदारों ने शादी को और भी शानदार बना दिया|
गांव वाले यह देखकर हैरान थे कि कैसे एक विदेशी लड़की सब हिंदू रीति रिवाजों को इतनी बेहतर तरीके से निभा रही है|