बिहार में BPSC पास 30000 शिक्षक नहीं बनना चाहते मास्टर, Teacher Joining के आंकड़े से हैरान शिक्षा विभाग, जानिए वजह

BPSC passed 30000 teachers in Bihar do not want to become master

बिहार में पहले चरण की शिक्षक भर्ती के बाद 1 लाख 10 हजार सरकारी स्कूल अध्यापकों की ज्वाइनिंग प्रक्रिया जारी है। शिक्षा विभाग के साथ साथ राज्य सरकार भी खुश थी की इतने अभ्यर्थियों को शिक्षक बहाली के लिए नियुक्ति पत्र दिया जा रहा है।

लेकिन अब खबर ये आ रही है की शिक्षक विभाग इस बात को लेकर हैरान है कि अब तक 30 हजार चयनित शिक्षकों ने विद्यालयों में अपना योगदान क्यों नहीं दिया है? आईये जानते है क्या है पूरा मामला?

30 हजार शिक्षकों ने नहीं किया योगदान

Only 80 thousand newly selected teachers in Bihar have joined school
बिहार में 80 हजार नव चयनित शिक्षक ही कर सके हैं योगदान

दरअसल बिहार शिक्षा विभाग से मिली जानकारी के अनुसार 25 नवंबर 2023 तक राज्य के सरकारी विद्यालयों में केवल 80 हजार नव चयनित शिक्षक ही योगदान कर सके हैं। जबकि 30 हजार शिक्षकों ने योगदान ही नहीं किया है।

फिलहाल के लिए शिक्षा विभाग यह जानने की कोशिश कर रही है कि शिक्षकों के योगदान की स्थिति क्या है? फिलहाल यह विषय शिक्षा विभाग के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है।

योगदान के साथ क्लास शुरू करने का था निर्देश

गौरतलब है की शिक्षा विभाग द्वारा बीपीएससी पास शिक्षकों को 21 नवंबर 2023 तक हर हाल में स्कूलों में योगदान देने के साथ-साथ अगले दिन से क्लास शुरू करने का निर्देश दिया गया था।

जब ऐसा देखा गया कि दीपावली और महापर्व छठ के कारण विद्यालयों में योगदान की गति काफी धीमी है, तो विभाग ने 21 की तिथि को बढ़ाकर 25 नवंबर 2023 तक कर दी। यानी इस तिथि तक योगदान करने की हिदायत दी गई।

अबतक 30 हजार शिक्षक योगदान करने से पीछे

शिक्षा विभाग को 25 नवंबर तक योगदान की रिपोर्ट प्राप्त हुई है। इस रिपोर्ट का हाल देख शिक्षा विभाग अंदर ही अंदर टेंशन में है। दरअसल, केवल 80 हजार शिक्षकों के ही योगदान की रिपोर्ट अब तक मिली है।

बाकि के 30 हजार शिक्षक योगदान क्यों नही कर सके है या योगदान से क्यों हिचक रहे हैं, इस बात से विभाग और डीईओ अब भी अनजान हैं। अभी यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि 30 हजार शिक्षक योगदान करने से अबतक पीछे क्यों हैं?

क्या है इसके पीछे की वजह?

अभी भी राज्य के सरकारी स्कूलों में 30 हजार शिक्षकों के योगदान करने का इंतजार है। वहीं, विभाग इन शिक्षकों के योगदान की रिपोर्ट की राह देख रही है। विश्वस्त सूत्रों से रिपोर्ट्स  मिली है कि बहुत सारी शिक्षिका सेटिंग-गेटिंग के द्वारा शहर या उसके आसपास के स्कूलों में थी।

बीपीएससी से पास होने के बाद इनकी बहाली सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में हो गई है। बहुत सारे शिक्षकों को गांव/घर से 30 से 40 किमी दूर के स्कूलों में भेज दिया गया है। वहां जाने में इन्हें कठिनाई का सामना करना पड़ेगा।

गृह जिला में पोस्टिंग और लाभ भी है वजह

वह भी कोई एक-दो दिन की बात नहीं है, बल्कि ऐसा उन्हें वर्षों के लिए झेलना पड़ेगा। यहीं वजह है की ऐसे शिक्षक और शिक्षिका अपना योगदान देने से हिचक रहे हैं।

इधर, बहुत सारे शिक्षकों की बहाली दूसरे जिले में हो गई है और लाभ में मामूली इजाफा हुआ है। तो अब लाभ कम ही मिले और गृह जिला में ही नौकरी करते रहे, यह सोचकर कुछ शिक्षक/शिक्षिका दूसरे जिला में योगदान करने से पीछे हट रहे हैं।

बहरहाल ऐसा में अब ये देखना है कि और किन कारणों से कितने शिक्षक/शिक्षिका की नींद खुलती है और योगदान नहीं करते हैं?

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