अगले तीन साल में बिहार बनेगा खाद्य प्रसंस्करण का हब, सरकार द्वारा इन उद्योगों के लिए बजट का ऐलान

भारत की अर्थव्यवस्था का एक बड़ा भाग खेती से जुड़ा हुआ है और यही वजह है की भारत को एक कृषि प्रधान देश के रूप में देखा जाता है। भारत के अलग अलग हिस्से में अलग अलग तरह की खेती होती है। ऐसे में खेती से ही जोड़कर बिहार को खाद्य प्रसंस्करण हब बनाया जाने को लेकर सरकार प्लानिंग कर रही है।
सरकार के प्लानिंग का उदेश्य बिहार में मक्का, मखाना ,फल-सब्जी, शहद ,औषधीय पौधे, चाय और बीज आदि फसलों से जुड़े उद्योगों को बढ़ावा देना है। बताया जा रहा है की अगले तीन से चार सालों में राज्य के अधिकांश जिलों में खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां स्थापित होंगी जिससे कृषि उपज की न्यूनतम बर्बादी होगी और लोग विभिन्न प्रकार के प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों का उपयोग कर सकेंगे। इस योजना पर 148 करोड़ रुपये खर्च किये जायेंगे।
इस क्षेत्र के विशेषज्ञों का कहना है कि बिहार में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की भरपूर संभावनाएं हैं, बड़ी संख्या में छोटे निवेशकों ने अपनी आजीविका कमाने के लिए स्थानीय स्तर पर इस उद्योग का आरम्भ किया है, लेकिन पूंजी, कौशल, तकनीकी सुविधा और जागरूकता की कमी के कारण इनको काफी समस्या का सामना करना पड़ता है, इस वजह से उनकी आय बहुत सीमित है।
बिहार सरकार में कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि हम चाहते हैं कि बिहार में बड़ी संख्या में कृषि आधारित उद्योग स्थापित हों और हमारा विभाग इस संबंध में निरंतर प्रयासरत है। वहीं निवेशक भी बिहार की ओर आ रहे हैं। अतिशीघ्र प्रदेश में ऐसे कई उद्योग स्थापित होंगे।
इस योजना में वर्ष 2025 तक की अवधि में 10,000 करोड़ रुपये के निवेश के साथ मौजूदा सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों के उन्नयन के लिए वित्तीय, तकनीकी और वाणिज्यिक सहायता प्रदान करने के लिए 2,00,000 सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को प्रत्यक्ष सहायता की परिकल्पना की गई है।