बिहार के शिक्षकों ने अपने सैलरी से बदल डाला सरकारी स्कूल का स्वरुप, बच्चों को मिला WiFi, स्मार्ट टीवी और चमकता क्लासरूम

Bihar teachers changed the face of government school with their salary

बिहार में शिक्षा व्यवस्था की बदहाली से आप वाकिफ होंगे। लेकिन इस बार एक अच्छी खबर सामने आ रही है।बिहार के एक शिक्षक ने अपने सैलरी से एक सरकारी विद्यालय (Government School) का स्वरुप ही बदल डाला है।

अब सोशल मीडिया पर इस स्कूल की चर्चा जोर शोर से हो रही है। क्योंकि इसमें ना सिर्फ अच्छा क्लासरूम बनाया गया है बल्कि बच्चों के लिए WiFi और Smart TV की सुविधा भी है। आपको बता दे की हेडमास्टर और दूसरे शिक्षकों ने अपनी सैलरी के पैसों से इस काम को कराया है।

सुर्खियां बटोर रहा बिहार का ये सरकारी स्कूल

दरअसल इन दिनों बिहार के जमुई जिले में स्थित एक सरकारी स्कूल खूब सुर्खियां बटोर रहा है। इसके पीछे की मुख्य वजह है जमुई सदर प्रखंड के भोला नगर में बने सरकारी स्कूल के हेड मास्टर अरुण कुमार का स्कूल के प्रति समर्पण और उनके द्वारा किए गए काम।

इस सरकारी विद्यालय के हेड मास्टर और शिक्षकों ने अपने कमाई के पैसे से स्कूल को सजाया संवारा है और वहां बच्चों को हर वो सुविधा उपलब्ध कराई है जिससे उन्हें बेहतरीन शिक्षा मिल सके।

Smart TV installed in government school located in Jamui district of Bihar
बिहार के जमुई जिले में स्थित सरकारी स्कूल में लगा स्मार्ट टीवी

इस स्कूल में स्वच्छ और चमकते क्लासरूम के अलावा, स्मार्ट टीवी, वाई-फाई और गर्मी से बचने के लिए पंखे भी लगाए गए हैं। अब सुविधाओं और शिक्षा की गुणवत्ता के मामले को लेकर जमुई का यह सरकारी स्कूल लोगों की पसंद बन गया है।

शिक्षकों ने चंदा इकट्ठा कर किया स्कूल का कायाकल्प

बता दे की आज जमुई का यह सरकारी स्कूल जिस रूप में दिख रहा है उससे 10 साल पूर्व इसकी हालत उतनी ही जर्जर थी। जैसे ही जिम्मेदारी मिलने के बाद अरुण कुमार इस स्कूल में ट्रांसफर होकर आए, उन्होंने अपने निजी पैसों से इस स्कूल की दशा और दिशा सुधार दी।

इस नेक कार्य में स्कूल के अन्य शिक्षकों ने भी उनकी मदद की। स्कूल का कायाकल्प सरकार के पैसे से नहीं बल्कि विद्यालय के शिक्षकों ने आपस में चंदा इकट्ठा कर किया है।

महादलित परिवार से अधिकांश बच्चे

जानकारी के लिए बता दे की भोला नगर के इस प्राथमिक विद्यालय में शिक्षा ग्रहण करने वाले अधिकांश बच्चे महादलित परिवार से आते हैं। जब 2013 में विद्यालय के वर्तमान हेडमास्टर अरुण कुमार यहां आए तो स्कूल की हालत काफी खराब थी।

स्कूल का कमरा बच्चों के बैठने के लायक नहीं था और यहाँ किसी प्रकार की सुविधा भी नहीं थी। बच्चे स्कूल आएं और बच्चों का शिक्षा के प्रति प्रेम जगे इस लक्ष्य से धीरे-धीरे यहां के शिक्षकों ने स्कूल का जीर्णोद्धार कराना शुरू किया।

शिक्षकों ने टॉयलेट का भी कराया निर्माण

स्कूल का विकास धीरे-धीरे होता चला गया और करीब एक दशक के बाद अब इस स्कूल में बच्चों के लिए कमरे में स्मार्ट टीवी लगे हैं, वाई-फाई की सुविधा है और गर्मी ना लगे इसके लिए पंखे भी लगवाए गए हैं। स्कूल में शिक्षकों ने टॉयलेट का निर्माण भी कराया है।

इस स्कूल में 92 बच्चे पढाई करते हैं जिसमें अधिकतर महादलित और मजदूर परिवार के बच्चे हैं। विद्यालय के प्रभारी अरुण कुमार ने बताया कि जब उन्होंने अपना पदभार संभाला तो स्थिति काफी जर्जर थी। उसके बाद पांच साल की कड़ी मेहनत और सभी शिक्षकों के योगदान से यह बदलाव संभव हो पाया है।

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शिक्षा विभाग नहीं उपलब्ध कराया बेंच-डेस्क

उनकी सोच थी कि जैसे लोग अपने घरों में साफ-सफाई रखते हैं वैसा ही स्कूल में भी होना चाहिए। उन्होंने कहा कि – “कई बार शिक्षा विभाग (Education Department) को बेंच-डेस्क उपलब्ध कराने के लिए लिखा गया है लेकिन अभी तक उपलब्ध नहीं कराया गया है। अभी भी बच्चे जमीन पर बैठने को मजबूर हैं।”

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