बिहार के दो रिटायर अफसरों की अनूठी पहल, गरीब बच्चों को पढ़ने का फैसला, फ्री में देते है पेन और कॉपी

Two Retired Officers Special Initiative To Educate Poor Children In Bihar

बिहार में शिक्षा व्यवस्था की हालात किसी से छुपी हुई नहीं है। ऐसे में बेहतर ज‍िंदगी जीने वाले परिवार अपने बच्चों को अच्छी पढ़ाई के लिए निजी स्कूल भेजते हैं। वहीं सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले कई बच्चे भी अलग से ट्यूशन कर अपना कोर्स कंप्लीट करते हैं।

इन सबमें नुकसान गरीब परिवार के बच्चों को होता है। जिन्हें पढ़ाई और आगे बढ़ने के लिए काफी जद्दोजहद करनी पड़ती है। ऐसे ही बच्चों की पढ़ाई को लेकर मुजफ्फरपुर में सरकारी सेवा से रिटायर हुए दो लोगों ने खास मुहिम शुरू की है।

उन्होंने सावित्री बाई फुले शिक्षण केंद्र शुरू किया। जिसमें बच्चों को 6 शिक्षकों की टीम शाम में दो घंटे फ्री एजुकेशन उपलब्ध कराते हैं।

बच्चों को शिक्षण केंद्र में फ्री एजुकेशन

तिरहुत प्रमंडलीय आयुक्त कार्यालय से सेवानिवृत्त प्रशाखा पदाधिकारी चंद्रशेखर कुमार और पूर्व बैंकर महेश्वर प्रसाद सिंह ने इन बच्चों को लेकर खास काम शुरू किया है।

जिसमें सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले गरीब बच्चों को 6 शिक्षकों की टीम शाम में दो घंटे फ्ली अतिरिक्त शिक्षा देती है। देश की पहली महिला शिक्षक कही जाने वालीं सावित्री बाई फुले के नाम से उनकी पुण्यतिथि पर शिक्षण केंद्र की शुरुआत की गई।

Team of 6 teachers provide free education for two hours in the evening

पहली से सातवीं कक्षा तक के 32 बच्चे पहले दिन से इससे जुड़ गए। जाति-धर्म की सीमा से इसे नहीं बांधा गया है। फिलहाल यहां अधिकतर दलित बच्चे ही आते हैं। बच्चों को कॉपी, पेन और पेंसिल फ्री में उपलब्ध कराया जाता है।

इसलिए शुरू की खास पहल

रिटायर अधिकारी चंद्रशेखर कुमार कहते हैं, रिटायरमेंट के बाद समाज के लिए कुछ करने की इच्छा थी। सावित्री बाई के विचार, ‘ज्ञान के बिना हम जानवर बन जाते हैं, इसलिए खाली मत बैठो, जाओ जाकर शिक्षा लो’ ने मार्गदर्शक का काम किया।

शिक्षा के क्षेत्र में कुछ करने का मन बनाया। बिहार बोर्ड के सिलेबस के आधार पर पढ़ाई होती है। स्कूल से पहले कोर्स समाप्त करने की योजना है। हमारी पहल में सरकारी स्कूल के शिक्षक की पत्नी संध्या देवी और यूको बैंक के सेवानिवृत्त कैशियर महेश्वर प्रसाद सिंह का साथ मिला।

Children are provided with free copy, pen and pencil

मदद के लिए हाथ बढ़ते गए। शहर से सटे अतरदह में व्यवसायी सुरेंद्र दास ने अपना पुराना मकान इस काम के लिए दे दिया। 10 मार्च से इसकी शुरुआत की गई। शाम चार से छह बजे तक इन बच्चों की कक्षा लगती है।

स्कूल से पहले कोर्स समाप्त

नियमित रूप से स्कूल आ रहीं सातवीं की छात्रा ऋचा कुमारी कहती हैं, स्कूल से पहले ही यहां कोर्स समाप्त हो गया। इससे अब स्कूल में पढ़ाई और आसान लगती है। इसी क्लास के दीपक को विज्ञान पहले कठिन लगता था। अब इसमें मन लगने लगा है।

पांचवी कक्षा की छात्रा परिधि कहती हैं, कोरोना के समय स्कूल बंद रहा तो पिछले क्लास में पढ़ाई नहीं हुई। इस कारण कोर्स भारी लग रहा था, लेकिन स्कूल के साथ यहां पढ़ाई से कुछ आसानी हुई है।

perfection ias bpsc