इतिहास के पन्नों में सिमट जाएगा,बिहार का सबसे लम्बा और 123 साल पुराना पुल; जाने डिटेल्स

Bihar Nehru Setu Update-बिहार में आए दिन एक से बढ़कर एक फूलों का निर्माण हो रहा है जिसमें करोड़ों की लागत लगती है सरकार करोड़ों की लागत से फूलों का निर्माण तो कर रही है लेकिन वह पुल्टिस नहीं पाते हैं बनने से पहले ही यह फूल ध्वस्त हो जाते हैं।
इस पुल का अस्तित्व है खतरे में
अभी कुछ दिन पहले भागलपुर में 1700 करोड़ के पुल ध्वस्त की घटना तो सुनी ही होगी उसके बाद किशनगंज में मेची नदी पर बने पुल का पिलर तैयार होने से पहले ही गिर गया,ऐसे में सरकार को इस बात पर ध्यान देना चाहिए पुराने पुल की मरम्मत पर उसे बचाना चाहिए ना कि उसके अस्तित्व को खतरे में डालना चाहिए।
पुराने पुल काफी मजबूत होता है ऐसे में आज हम आपको एक लेख में बिहार के एक ऐसे पुल के बारे में बताने जा रहे हैं जो कि बिहार का सबसे लंबा रेल पुल बस इतिहास बनकर रह जाएगा दरअसल बिहार का सबसे लंबा रेल पुल इतिहास बन जाएगा 123 साल पुराना नेहरू सेतु हो रहा है बर्बाद व जर्जर।
बिहार का सबसे लम्बा और पुराने पुल में होती है गिनती
बिहार का सबसे लंबा रेल पुल अब इतिहास के पन्नों में सिमट जाएगा। दिल्ली शहर के सोन नदी पर बना 123 साल पुराने पुल को जमीन डोज किया जा रहा है। पहले इसे चिनार कबार कंपनी को बेच दिया गया था दिल्ली शहर के पूर्वी हिस्से में सोन नदी पर बना 123 साल पुराना पुल अपने समय का देश का सबसे लंबा रेल पुल इतिहास के पन्नों में सिमट गया है।
रेलवे ने स्कूल को 3 साल पहले एक कंपनी को भेज दी थी तब लोगों ने चिनार कंपनी के अधिकारियों से कहा था भले ही रेल की पटरी की खरीद बिक्री कर दी जाए लेकिन अंग्रेजों के जमाने के बनाए हुए पुराने रेल पुल के पाया को जमीन डोज ना किया जाए ।
अब रेल पुल को नीलामी में लेने वाली कंपनी ने भी पुल के फाउंडेशन को जैसा का तैसा छोड़ दिया था लेकिन 1 सप्ताह पहले स्थानीय रेल अधिकारियों के निर्देश पर रेल पुल के पाया को जमींदोज करते हुए उससे पत्थर व फाउंडेशन के नीचे सामग्री को हटाया जा रहा है।
अंग्रेजो के जमाना का बना है पुल
दिल्ली को कोलकाता से जोड़ने वाला ग्रैंड काट लाइन पर देहरी में इस पुल का निर्माण सन 18 सो 57 में प्रारंभ हुआ था बिहार का सबसे लंबा रेल पुल था स्कूल को बेल यातायात के लिए सन उन्नीस सौ मिस कॉल दिया गया ऐसे फूल के जर्जर होने के कारण 10 वर्ष पूर्व रेलवे द्वारा सोन नदी में इसके समानांतर नया पुल का निर्माण कर पुराने पर रेल का परिचालन बंद कर दिया था।
ब्रिटिश काल में 27 फरवरी उन्नीस सौ में बने नेहरू सेतु का इतिहास गौरवशाली रहा है निर्माण के समय यह फूल पूरे एशिया महाद्वीप का सबसे लंबा पुल था लेकिन समय बदला और भारत के कई हिस्सों में बड़े-बड़े रेल पुल का निर्माण हुआ।
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