बिहार ने विश्व के सुपर पावर अमेरिका को इस मामले में पछाड़ दिया है! इन 7 जिलों ने बनाया है विश्व रिकॉर्ड

बिहार ने अमेरिका को पीछे छोड़ दिया है!

इतना ही पढ़कर बिहारी होने का गर्व तो जरूर हुआ होगा तो अब जान भी लीजिये आखिर मामला है क्या।

बिहार के 7 जिलों का विश्व रिकॉर्ड

दरसल बिहार के सात ज़िलों ने मक्का के उत्पादन में अमेरिका के उन इलाक़े को पीछे छोड़ दिया है जो अभी तक विश्व में सबसे अधिक मक्का का उत्पादन करते थे, अभी तक अमेरिका के उन इलाक़ों में सबसे अधिक 48 क्विंटल प्रति एकड़ का उत्पादन होता था लेकिन बिहार के सात ज़िले में उत्पादन 50 क्विंटल प्रति एकड़ हो गई है जो विश्व रिकार्ड है।

कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह ने शुक्रवार को फेडरेशन ऑफ इंडियन चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) द्वारा आयोजित सातवें इंडिया मेज समिट के बाद कहा कि “मक्का किसानों की समृद्धि अब दूर नहीं है़ वह आश्वस्त थे कि जल्दी ही एमएसपी तय हो जायेगी. गंगा के उत्तर और कोसी के दोनों तरफ पड़ने वाले जिले – पूर्णिया, कटिहार, भागलपुर, मधेपुरा, सहरसा, खगड़िया और समस्तीपुर मक्का बेल्ट के रूप में उभरे हैं. इन जिलों में छोटे किसान भी 50 क्विंटल प्रति एकड़ की दर से मक्का की उत्पादकता हासिल करने में सफल हैं.”

उन्होंने यह भी बताया कि जो विश्व के सर्वश्रेष्ठ मक्का उत्पादक अमेरिका के क्षेत्र मिडवेस्ट, हार्टलैंड इलिनोइस, आयोवा और इंडियाना है उसकी तुलना में हम कम लागत में उच्च गुणवत्ता वाले मक्का उत्पादित कर रहे हैं। बता दे कि भारत में रबी मौसम में सबसे अधिक मक्का बिहार में ही उगाया जा रहा है।

किसानों की स्थिति ठीक नहीं

बिहार में 55 लाख मैट्रिक टन मक्के का उत्पादन होता है, पुरे देश भर में तमिलनाडु के बाद बिहार दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। लेकिन ये बिहार का दुर्भाग्य है की मक्का का बड़ा बाज़ार होने के बावजूद बिहार के लगभग 92 प्रतिशत मक्का बिहार के बाहर चला जाता है। जिसकी सबसे बड़ी वजह है बिहार में मक्के का प्रोसेसिंग प्लांट का नहीं होना। साथ ही बिहार में मक्के का कोई इनवेस्‍टर नहीं है।

लेकिन बिहार में मक्के के उत्पादन में लगातार बढ़ोतरी होने के बाद बिहार के कृषि मंत्री कहते है क‍ि अब ऐसा नहीं होगा। बहुत जल्द बिहार के मक्का किसानों के लिए कई बड़े फ़ैसले लेने की तैयारी में बिहार सरकार है, बिहार सरकार की पूरी कोशिश है की केंद्र सरकार से आग्रह कर मक्के का भी एमएसपी रेट तय कराया जाए, ताकि किसानो को एमएसपी रेट पर मक्का बिक सके और बाज़ार का भाव भी. बढ़ सके ताकि किसान अच्छे रेट पर अपने मक्के को बेच सके ।