Bihar News: बिहार का एक अनोखा मंदिर, जहाँ आरती की घंटी बजते ही दौड़े चले आते थे सियार

Bihar News-बिहार में देवी देवताओं के अनगिनत प्रसिद्ध मंदिर है हरमंदिर और उसके स्थापना की कोई ना कोई अजब कहानी जरूर है| इसके बारे में आप कभी सुनते हैं या फिर कभी जानते हैं तो पूरी तरीके से चौक जाते हैं और हैरान हो भी क्यों ना मंदिर के पीछे की कहानी ही हैरान कर देने वाली होती है|
बिहार का सबसे अनोखा मंदिर
तो चलिए आज हम आपको इस लेख के माध्यम से बिहार के एक ऐसे मंदिर की कहानी के बारे में बताते हैं जिसके बारे में आप जानकर हैरान हो जाएंगे मंदिर के बारे में जानने के बाद सोचने पर भी मजबूर हो जाएंगे क्या यह सच है दरअसल हम बात कर रहे हैं मधुबनी जिले के राजनगर महल स्थित ऐसी ही एक काली मंदिर की विशेषता से आज हम आपको रूबरू करवाते हैं|
राजा के द्वारा स्थापित की गई थी मूर्तियां
कहा जाता है कि महाराज दरभंगा का जहां जहां महल होता है वहां वहां उनकी कुलदेवी काली का भव्य मंदिर बनवाया जाता था राजनगर पैलेस में भी अन्य देवी-देवताओं के साथ भगवती काली का ऐसा ही एक भव्य मंदिर है जो आस्था का बहुत बड़ा केंद्र है|
आपको बता दें कि ऐसी कहानी है कि वर्षों पहले महाराज महेश्वर सिंह ने राजनगर में अपना महल बनवाया था इस महल परिसर में ही उन्होंने देवी देवताओं के मंदिर भी बनवाई थी यहां के मंदिर के लिए उन्हें अजमेर से 28000 में महाकाली की 6 मूर्तियां बनवाकर मंगवाई थी|
लोग कहते हैं जब आरती के समय घंटा बजता था तब उसकी आवाज 5 किलोमीटर तक सुनाई देती थी अगर आप इस मंदिर में कभी जाएंगे तो आपको जानकर हैरानी होगी कि यह मंदिर तंत्र मंत्र और बौद्धिक रूप से बनवाया गया था जिसका प्रमाण आपको मंदिर के बीचो बीच देखने को मिलेगा साथ ही इस मंदिर की खूबसूरती और भव्यता आज भी लोगों का मन मोह लेती है|
घंटा बसते हैं पहुंच जाते थे सियार
लोगों को इतिहास से जुड़ी कई बातें याद दिला देते हैं दरअसल एक समय ऐसा था इस मंदिर में बजने वाले घंटे की आवाज पर मंदिर के आसपास पहुंच जाते थे|सियार यहां के एक खास बात या बेचे के इस मंदिर में पहले रात को भी खूब पूजा-पाठ होती थी हालांकि अब नवरात्रि में रात को पूजा होती है इस मंदिर के आसपास रह रहे लोगों का कहना है कि वर्षों पूर्व जब रात के समय आरती के समय घंटा बसता था तब मंदिर के चारों और सियार आकर बैठ जाते थे|
रात को सियार का दिखना लोगों में दहशत फैल गया था इसी कारण रात में पूजा-पाठ मंदिर में बंद हो गया था उस जमाने में मंदिर के नीचे गौशाला हुआ करता था जो कि आज भी मौजूद है साथ ही लोगों का यह भी मानना है कि इस गौशाला में तब 88 फीट की गाय रहती थी मंदिर के सामने बहुत बड़ा तालाब था जिसका अपना अलग इतिहास है|