बिहार का पहला सैनिटरी पैड उत्पादन यूनिट हुआ शुरू, महिलाओं को मिला रोजगार, 60 लाख की आई लागत, जानिए खासियत

bihar first sanitary pad production unit at a cost of 60 lakhs

बिहार में जीविका द्वारा ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में लगातार पहल की जा रही है। ताकि महिलाओं के जीवन में खुशियों के रंग भर सके।

इसी क्रम में चौसा प्रखंड में 60 लाख की लागत से बिहार का पहला मायरा जैविक सैनिटरी पैड उत्पादन इकाई को स्थापित किया गया है। फिलहाल इसका संचालन जननी जीविका महिला समूह से जुड़ी महिलाएं कर रही है।

बिहार का पहला जैविक सेनेटरी पैड यूनिट

जीविका से जुड़कर महिलाएं भी सफलता की कहानियां रच रही है। चौसा में स्थापित बिहार के पहले जैविक सैनेटरी पैड यूनिट के उत्पादन में महिलाएं महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रही है। महिलाएं अपनी मेहनत की बदौलत लगातार उत्पादन क्षमता को बढ़ा रही है।

जीविका के जिला प्रबंधक प्रवीण कुमार ने बताया कि चार महीने पहले डीएम ने इस यूनिट का उद्धघाटन किया था। उन्होंने बताया कि लगभग 60 लाख की लागत से राज्य के प्रथम जैविक सैनेटरी पैड यूनिट लगाई गई है।

18 महिलाओं को मिला रोजगार

इसको स्थापित करने में चौसा थर्मल पावर प्लांट एसजेवीएन और जीविका ने संयुक्त रूप से राशि उपलब्ध कराया है। उन्होंने बताया कि चौसा के सैनेटरी पैड यूनिट में अलग-अलग प्रकार की आठ मशीनें लगी हैं। इस यूनिट में 18 ग्रामीण महिलाएं रोजगार कर रही है।

सभी महिलाओं को न्यूनतम 4 हजार रुपए प्रति माह वेतन के रूप में दिया जा रहा है। फिलहाल यहां डे शिफ्ट में ही उत्पादन का काम हो रहा है, इसलिए महिलाएं ज्यादातर दिन में ही काम करती है।

क्या है इस जैविक पेड की खासियत?

उन्होंने बताया कि – “जीविका दीदियों द्वारा निर्मित इस सैनेटरी पैड की खासियत यह है कि उपयोग के बाद मिट्टी के संपर्क में आने से गल कर मिट्टी हो जाएगा। जिससे वातावरण को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा।”

जीविका के अधिप्राप्ति प्रबंधक दीपक कुमार ने बताया कि – “बाजार में बिक रहे सैनिटरी पैड में केमिकल व प्लास्टिक का उपयोग होता है। जबकि, चौसा स्थित जीविका के यूनिट में बनने वाले पैड में 100 प्रतिशत रुई का उपयोग होता है। यह जैविक पैड पर्यावरण के दृष्टिकोण से भी सुरक्षित है।”

उन्होंने बताया कि – “केवल चौसा में ऐसे 880 समूह बने हुए हैं जबकि जिले भर में कुल 13 हजार जीविका समूह संचालित हो रहे है। चौसा में प्रतिदिन 1400 पैड का उत्पादन हो रहा है। जिसे अभी जिले के समूह को सप्लाई किया जा रहा है।”

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बनाएं जा रहे दो किस्म के जैविक सैनिटरी पैड

जीविका के अधिप्राप्ति प्रबंधक दीपक कुमार ने बताया कि – “यहां दो किस्म के जैविक सैनिटरी पैड बनाएं जा रहे है। एक पैकेट में 7 पैड रहता है, जिसे होलसेल रेट 32 रुपए तथा दूसरा वेरायटी को 34 रुपए में समूह को दिया जाता है।”

उन्होंने बताया कि डिमांड के मुताबिक अभी उत्पादन नहीं हो पा रहा है। इसलिए आने वाले दिनों में इसका विस्तार किया जाएगा। यूनिट में काम करने वाली बनारपुर गाँव की महिला निशा देवी का कहना है कि “जीविका से जुडने के बाद उनके जीवन में काफी बदलाव आया है।”

उनके परिवार को जीविका ने आर्थिक तंगी से उबरने में काफी मदद किया है। निशा ने बताया कि यहां काम करने वाली सभी महिलाएं खुश है।

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