बिहार में शुरू हुआ विश्व का सबसे अनोखा खेती, एक बार लगाइए 25 साल तक होगा मुनाफा

Bihar Dragon Fruit Farming: बिहार के किस भी अभी स्मार्ट हो चुके हैं। आधुनिक युग में हो रहे बदलाव के साथ-साथ अब यहां के किस भी बदल रहे हैं। पारंपरिक खेती को अलविदा कह कर यहां की किसान कैश क्रॉप्स की खेती शुरू कर रहे हैं।
बिहार के किसान बहुत जल्द मालामाल होने वाले हैं। बता दे कि यहां के किसानों के द्वारा ड्रैगन फ्रूट की खेती की शुरुआत की जा चुकी है। विशेषज्ञ और एक्सपर्ट की मानों को कम समय में अच्छे मुनाफे यह फल दे सकता है।
किसान होंगे मालामाल
रिपोर्ट के अनुसार बात करें तो बीते कुछ सालों से बिहार के कई जिलों में ड्रैगन फ्रूट की खेती की जा रही है और इससे अच्छी मुनाफा भी किसानों को हो रही है। अब के किस पारंपरिक खेती को छोड़ इसमें अपना किस्मत आजमा रहे हैं।
जानकारी के लिए आपको बता दे की गया जिले में पिछले साल दो किस के द्वारा एक एकड़ जमीन में इसकी खेती की गई थी। इस कड़ी में इस बार भी तो शरीफ गांव के रहने वाले एक किसान जिनका नाम धर्मेंद्र है, उन्होंने लगभग डेढ़ सौ पौधे अपने खेत में लगाए हैं।
किसानों के लिए फायदेमंद सौदा
विशेषज्ञों की माने तो ड्रैगन फुल की खेती के लिए किसानों को एक बार मेहनत करनी होगी।इसके बाद आपको हर साल मुनाफा होगा। आपको बता दे की गया जिले के मोड प्रखंड क्षेत्र के नया नगर गांव के गोपाल शरण सिंह नामक किसान और कोच प्रखंड क्षेत्र के बड़गांव में युवा किसान प्रभात कुमार के द्वारा ड्रैगन फ्रूट की खेती हो रही है।
एक बात तो स्पष्ट रूप से आप सभी जान में ड्रैगन फ्रूट की खेती किसानों के लिए काफी फायदेमंद है। डॉक्टरों की माने तो ड्रैगन फ्रूट का सेवन करना सेहत के लिए काफी लाभदायक होता है।बाजार में इसकी कीमत ₹100 प्रति पीस होती है।
ऐसी होती है ड्रैगन फ्रूट की खेत
ड्रैगन फ्रूट की खेती करने के लिए सबसे पहले गड्ढे खोदकर कंक्रीट से बने खंबे का निर्माण किया जाता है। दो खाबो के बीच की दूरी लगभग पांच हाथ होना अनिवार्य है। इसके बाद खंभे से सटाकर कर पौधे रोक दिए जाते हैं।
वृक्षारोपण के समय पौधों में हल्की-हल्की पानी दी जाती है। अच्छा पौध तैयार करने के लिए आपको हर महीने खाद डालना पड़ेगा। अच्छे पौधे उगाने के लिए आपको जमीन के आसपास सभी कचरा को साफ करना बेहद जरूरी है।
आपको बता दे कि लगभग 8 महीने के बाद पौधे खंबे के बिल्कुल बराबर बड़े हो जाते हैं। वही 16 महीने के बाद पौधे में छोटे-छोटे फल भी दिखना शुरू हो जाते हैं।
यह भी पढ़िए;2024 में बदल जाएगी बिहार के इस स्टेशन की तस्वीर, यात्रियों को मिलेगा हाईटेक सुविधा