नीति आयोग ने जारी किया Poverty Index, जाने बिहार के किस जिले में कितनी गरीबी? देखें 38 जिलों की पूरी लिस्ट

Bihar District Wise Poverty Index: शुक्रवार दोपहर बिहार सरकार के मंत्री विजेंद्र यादव ने एक रिपोर्ट का हलवा देते हुए एक प्रेस कांफ्रेंस कर रहे थे, अपनी प्रेस कांफ्रेंस में रिपोर्ट के हवाले से सरकार अपनी पीठ थपथपा रही थी।
जिन लोगों को पता नहीं वह रिपोर्ट केंद्र सरकार की एजेंसी नीति आयोग ने जारी की है, नीति आयोग का यह बहुआयामी गरीबी सूचकांक (Multidimensional Poverty Index) है जिसके मुताबिक देश के अलग अलग राज्यों में गरीबी को लेकर तमाम आकड़े जारी किए गए है।
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बिहार के लिए गुड न्यूज़
सबसे बड़ा आकड़ा बिहार से ही जुड़ा है जहाँ बिहार के लिए एक बड़ी गुड न्यूज़ मिली है, गरीबी सूचकांक के मुताबिक बिहार में गरीबी में भारी गिरावट दर्ज की गई है। इतना ही नहीं बिहार ने पूरे देश में सबसे अधिक गरीबी कम करने का रिकॉर्ड अपने नाम किया है।
नीति आयोग के इस रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2015-16 से वर्ष 2019-21 की अवधि में पूरे भारत में 13.51 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आये है जबकि बिहार राज्य में अकेले 2.25 करोड़ लोग गरीबी की सीमा से बाहर हुए हैं। इस प्रकार पूरे देश में गरीबी रेखा से बाहर हुए व्यक्तियों में 16.65 प्रतिशत व्यक्ति बिहार राज्य से है।
बिहार में 18.13% घटी गरीबी
बिहार राज्य ने गरीबी में सबसे अधिक गिरावट दर्ज की है। बिहार राज्य का गरीबी प्रतिशत वर्ष 2015-16 के 51.89 प्रतिशत से घटकर 33.76 प्रतिशत हो गया है। इस प्रकार बिहार राज्य में 18.13 प्रतिशत गरीबी कम हुई है जो देश के अन्य राज्यों की तुलना में सर्वाधिक है।
बिहार राज्य के बाद गरीबी में अधिक गिरावट दर्ज करने वाला राज्य मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, ओडीशा एवं राजस्थान है। मध्य प्रदेश में 15.94 प्रतिशत, उत्तर प्रदेश में 14.75 प्रतिशत, ओडीशा में 13.66 प्रतिशत तथा राजस्थान में 13.55 प्रतिशत की दर से गरीबी में गिरावट दर्ज की गई है।
बिहार के 38 जिलों का हाल
रिपोर्ट में राज्यों के जिलों का भी हाल दर्शाया गया है, निचे दिए गए तस्वीर में आप बिहार के अलग अलग जिलों के गरीबी के आकड़ों पर नजर डाल सकते है। यह आकड़ा बिहार के अलग अलग जिलों में बहुआयामी गरीबी का है।
इस लिस्ट में पूर्वांचल के जिले सबसे ऊपर है, अररिया में सबसे अधिक 52.07% लोग गरीब है, लिस्ट में सबसे निचे सिवान का नाम है जहाँ केवल 17.41% लोग ही गरीब है। आकड़ें में आप साल 2015-16 के भी डाटा को देख पाएंगे जो हलके रंग में अंकित है।
इन आधार पर बनाया गया है रिपोर्ट
नीति आयोग द्वारा जारी बहुआयामी गरीबी सूचकांक का प्रगति प्रतिवेदन स्वास्थ्य, शिक्षा एवं बेहतर जीवन स्तर से संबंधित सुविधाओं या संसाधनों के वंचितों (Deprived ) की संख्या पर आधारित है।
गरीबी की गणना के लिए राष्ट्रीय पारिवारिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण 5 (वर्ष) 2019-21) के आंकड़ों को प्रयुक्त किया गया है।
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