बिहार के चंदन-फलक की फिल्म ऑस्कर के लिए चयनित, रेस में भारत की इकलौती फिल्म

आम आदमी की 800 रुपये किलो का मटन खाने की जद्दोजहद को दिखाती बिहार के कलाकारों से सजी शॉर्ट फिल्म चंपारण मटन ऑस्कर तक पहुंच गई है।

जी हाँ, आपको यह जानकर बहुत खुशी होंगी कि मुज्जफ्फरपुर की बेटी फलक अभिनीत की आधे घंटे की फिल्म चंपारण मटन ऑस्कर के स्टूडेंट एकेडमी अवार्ड की दौड़ में शामिल हो गई है।

OTT की बहुचर्चित वेब सीरीज पंचायत में काम कर अपने एक्टिंग का लोहा मनवा चुके चंदन राय ने इसमें मुख्य भूमिका निभाई है। फिल्म टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एफटीआईआई) द्वारा बज्जिका औ र हिंदी भाषा में बनाई गई 24 मिनट की इस फिल्म का निर्देशक हाजीपुर के रंजन कुमार ने किया है।

इस अवार्ड के लिए दुनियाभर के फिल्म प्रशिक्षण संस्थानों की 1700 से अधिक फिल्मों का नामांकन हुआ था जिसमे चंपारण मटन फिल्म को सेमीफाइनल राउंड में जगह मिल गई है।

स्टूडेंट एकेडमी अवार्ड फिल्म प्रशिक्षण संस्थानों और विश्वविद्यालयों से फिल्म बनाने की पढ़ाई कर रहे छात्रों की फिल्मों को दिया जाता है। यह ऑस्कर की ही शाखा है। यह अवार्ड वर्ष 1972 से दिया जा रहा है।

इस अवार्ड से पुरस्कृत कई फिल्में ऑस्कर से नवाजी जा चुकी है। मुजफ्फरपुर की रहने वाली अभिनेत्री फलक बताती हैं कि आधे घंटे की यह फिल्म बिहार के लोगों की अपने रिश्तों के प्रति ईमानदारी और किसी भी स्थिति में हार न मानने की कहानी है।

falak khan

अकेली भारतीय फिल्म

इस फिल्म की कहानी लॉकडाउन के बाद नौकरी छूट जाने पर गांव लौटने और पत्नी की इच्छा पूरी करने की कोशिश में लगे एक पति की है। कहानी की यह संवेदनशीलता हर किसी के दिल को छू रही है। फलक ने बताया कि फिल्म की यह लॉकडाउन की व्यथा की कहानी ही फिल्म को ऑस्कर के स्टूडेंट एकेडमी अवार्ड में पहुंचने की बड़ी वजह है।

शहर के ब्रह्मपुरा निवासी फलक के पिता डॉ. एआर खान और मां डॉ. किश्वर अजीज खान है। फलक के माता पिता दोनों एलएन मिश्रा मैनेजमेंट कॉलेज में प्रोफेसर की पद पर कार्यरत हैं। दोनों को बेटी की इस उपलब्धि पर गर्व है।

फलक की फिल्म ‘चंपारण मटन’ ऑस्कर की दौड़ में शामिल हुई है, जिसमें यूएस, ऑस्ट्रिया, फ्रांस समेत कई देशों के बीच यह भारत से एकमात्र फिल्म है, जो स्टूडेंट एकेडमी अवार्ड के सेमीफाइनल तक में पहुंची है। फलक अभिनीत की यह उपलब्धि बिहार के साथ साथ पूरे देश के लिए गर्व का विषय है।

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