भरी-भरी अंजुरी में मोतिया लुटाईब हो, दूल्हा दुल्हनिया के आरती उतारब हो | Bhari Bhari Anjuri Mein Lyrics

bhari bhari anjuri mein lyrics

बिहार की शादियों में गीतों का खास महत्व होता है, और “भरी भरी अंजुरी में” उन लोकगीतों में से एक है जो दिल को छू लेते हैं। यह गीत विशेष रूप से तब गाया जाता है जब दूल्हा और दुल्हन शादी के बाद अपने घर पहुंचते हैं। इस शुभ अवसर पर, माँ अपने बेटे और बहू का स्वागत करते हुए यह भावनात्मक गीत गाती हैं, जिसमें ममता, प्रेम और आशीर्वाद की गहरी अनुभूति होती है।

यह गीत सिर्फ एक धुन नहीं, बल्कि एक मां के स्नेह, उसके वर्षों के सपनों और उसके दिल की गहराइयों से निकले आशीर्वचनों की अभिव्यक्ति है। आइए, इस ब्लॉग में जानें इस लोकगीत की सुंदरता, इसके शब्दों की भावनात्मक गहराई और इसके सांस्कृतिक महत्व को।

Bhari Bhari Anjuri Mein Lyrics

भरी-भरी अंजुरी में मोतिया लुटाइब हो,
दूल्हा दुल्हनिया के आरती उतारब हो,
दूल्हा दुल्हनिया के…

सोना के सिनहोरवा लेले अम्मा बाड़ी ठाड़ हो,
खोलs बाबू पलकी केवड़िया मंगिया बहोरब हो,
खोलs बाबू पलकी केवड़िया..

कईसे मैं खोली अम्मा पलकी केवड़िया हो,
सासु जी के धियवा त असली जोगिनिया हो,
सासु जी के धियवा त…

कोरी नदियवा में दहिया जमायो,
बहुआ के सिर पर धरायो रे बहु आयो,
बहु सुलक्षण आयो रे, बहु आयो,

कांचे ही बांस के दऊरा मंगायो
दउरा में डेगवा रखायो रे बहू आयो,
बहु सुलक्षण आयो रे, बहु आयो,

घूंघट खोल रे भऊजीया मुंह देखब जा हमनी के,
कहबू जे तू मुंह देखाई ऊ देहब जा हमनी के,
घूंघट खोल रे भऊजीया..

जेकर नाम बड़ी लेत रहन बिरना तोहार,
ऊ टमाटर अइसन गलवा छुअब जा हमनी के, घूं
घट खोल रे भऊजीया…

तोर त घरवा में सब कोई लूल-लांगड़ बा,
तनी चल के देखाव ना हसब जा हमनी के,
घूंघट खोल रे भऊजीया…

खूब सोर बा कि नाच में कमाल हासिल बा,
तानी लचका द कमरिया ना टोकब जा हमनी के,
घूंघट खोल रे भऊजीया…

जनी रूसs ए भऊजीया तोर हमार किरिया,
तोर सेजरिया खातिर फूलवा लोढ़ब जा हमनी के,
घूंघट खोल रे भऊजीया मुंह देखब जा हमनी के,
कहबू जे तू मुंह देखाई ऊ देहब जा हमनी के,
घूंघट खोल रे भऊजीया…

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