बिहार में वापस लौट रहा नालंदा यूनिवर्सिटी का प्राचीन गौरव, देखे बदलाव की ये 10 तस्वीरें

Ancient glory of Nalanda University returning to Bihar

कुछ चीजें ऐसी होती हैं जिसे जला देने के बाद भी वो अपने वैभव से अपनी याद दिलाती रहती हैं और उनका अस्तित्व कहीं न कहीं बना और बचा रहता है। जैसा की आप सभी को पता होगा की, नालंदा विश्वविद्यालय को मुगल शासक बख्तियार खिलजी ने जला डाला था। लेकिन इस विश्वविद्यालय की चमक ऐसी थी कि जल जाने के बाद भी यह विश्वविद्यालय विश्व को अपनी याद हमेशा दिलाता रहा।

आज नालंदा विश्वविद्यालय की उसी चमक की चर्चा हम यहाँ करेंगे। हम इसके इतिहास की भी बात करेंगे और आपको वर्तमान का हाल भी बताएंगे। आपको तस्वीरों के जरिये ये दिखाएंगे कि नालंदा में चल रहे पुनर्निर्माण कार्य के बाद इसके रूप में कैसा निखार आया है? जिसे देखकर आप भी गर्व का अनुभव करेंगे।

राष्ट्रीय महत्व का अंतरराष्ट्रीय संस्थान

Main Gate of Nalanda University

यह नालंदा विश्वविद्यालय का वह मेन गेट है जिसे अब बनाया गया है। भारत सरकार ने इस विश्वविद्यालय को ‘राष्ट्रीय महत्व के अंतरराष्ट्रीय संस्थान’ के रूप में नामित किया है। इस विश्वविद्यालय ने अपना पहला शैक्षणिक सत्र 1 सितंबर 2014 को शुरू किया था। हालांकि फिलहाल यह राजगीर में सिर्फ अस्थायी सुविधाओं के साथ शुरू किया गया है। लेकिन आपको बता दें कि लगभग 400 एकड़ में इसका निर्माण कार्य बिल्कुल आधुनिक यूनिवर्सिटी के रूप में किया जा रहा है। इसे 2021 के अंत तक पूरा हो जाना था। लेकिन अब भी यह निर्माणाधीन स्थिति में है।

400 एकड़ में बना नालंदा विश्वविद्यालय

Aerial view of Nalanda University built on 400 acres

400 एकड़ में बने नालंदा विश्वविद्यालय का यह एरियल व्यू है। इसकी अद्भुत खूबसूरती आंखों को बांध लेती है। यह तय है कि निर्माण कार्य में भले ही कंक्रिट का इस्तेमाल अधिक हुआ होगा पर यह विश्वविद्यालय कंक्रिट का जंगल नहीं बनेगा। यहां धार्मिक, राजनीतिक, सामाजिक विचारों का पानी है। इसके पास अपना गौरवान्वित इतिहास है और साथ ही है पानी और प्रकृति के प्रति बरती जाने वाली नैतिकता। इस पृष्ठभूमि में हर भारतीय के लिए यह विश्वविद्यालय सम्मान का विषय है।

पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में हुआ था विश्वविद्यालय को पुनर्जीवित करने का फैसला

pathway to nalanda university

नालंदा विश्वविद्यालय के मेन गेट से प्रवेश करते ही आपकी मुलाकात कैंपस के खूबसूरत नजारे से होगी। सड़क के दोनों ओर से आती खुशबू और सामने पहाड़ियों का नजारा आपका मन मोह लेगा। सच है कि वर्षों पहले जब मुगल शासक बख्तियार खिलजी ने नालंदा विश्वविद्यालय को जलाकर खाक कर दिया था, तब लोगों ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि नालंदा यूनिवर्सिटी फिर से अपनी खोई हुई चमक-दमक वापस पा लेगा। 2007 के पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में इस विश्वविद्यालय को पुनर्जीवित करने का फैसला किया गया था।

नालंदा यूनिवर्सिटी का परिसर प्रकृति का प्रतिबिंब

Nalanda University campus is a reflection of nature

यूनिवर्सिटी का परिसर प्रकृति का प्रतिबिंब है। यहां आपको पानी, पहाड़ और हरियाली का अनूठा संगम देखने का सौभाग्य मिलेगा। भारतीय संस्कृति में प्रकृति की पूजा होती है।आप इस परिसर के किसी भी हिस्से में पहुंच जाएं, आपको वहां जलाशय, हरे भरे मैदान और पहाड़ियां जरूर दिख जाएँगी। आपका मन यह कह उठेगा कि अध्ययन के इस केंद्र में प्रकृति का मंदिर मौजूद है। जाहिर है कि यहां आधुनिक शिक्षण पद्धति तो है ही, अपनी परंपराओं से जुड़े रहने की इच्छा शक्ति भी दिखती है।

प्राचीन काल में 10 हजार छात्रों के लिए थे 2000 शिक्षक

Administrative building and administrative block of Nalanda University under construction

आप इस फ्रेम में ऊपर की तस्वीर आप देख रहे हैं। वह अभी निर्माणाधीन नालंदा विश्वविद्यालय की ऐडमिनिस्ट्रेटिव बिल्डिंग का एरियल व्यू है। और उसके नीचे वाली तस्वीर एडमिनिस्ट्रेटिव ब्लॉक के विंग एक की है। अगर 7वीं शताब्दी के ऐतिहासिक संदर्भों को याद करें तो यह पता चलता है, कि चीनी यात्री ह्वेनसांग और इत्सिंग ने अपने यात्रा विवरणों में बताया है, कि तब यहा 10 हजार छात्रों को पढ़ाने के लिए 2000 शिक्षक हुआ करते थे। इस विश्वविद्यालय में कोरिया, जापान, चीन, तिब्बत, इंडोनेशिया, फारस और तुर्की से भी विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण करने आते थे।

कैंपस में पानी के महत्व को काफी ध्यान में रखा गया

Nalanda University Campus

यह नालंदा विश्वविद्यालय का कैंपस है। सबसे सुकून देनेवाली बात यह है कि यहाँ पानी के महत्व को काफी ध्यान में रखा गया है। इसको समझते हुए इस कैंपस के हर हिस्से में छोटे-छोटे तालाबों का निर्माण हुआ है। ये तालाब खूबसूरती तो बढ़ाते ही हैं, हवा की ताजगी भी बनाए रखते हैं और सबसे बड़ी बात कि इससे ग्राउंड वाटर रिचार्ज होता रहता है। बारिश का पानी यहां के तालाबों में सुरक्षित रहेगा, जो ग्राउंड वॉटर रिचार्ज करता रहेगा और इस पूरे इलाके में पानी की कमी कभी होने नहीं देगा।

स्थापत्य कला का अद्भुत नमूना था नालंदा विश्वविद्यालय

Dharma-Dhamma Complex inside Nalanda University

नालंदा विश्वविद्यालय के अंदर धर्म-धम्म कॉम्पलेक्स का भी निर्माण किया गया है। वर्तमान से निकल कर अगर इतिहास के जल में कंकड़ मारें, तो सूचनाओं की कई तरंगें उठती दिखेंगी। यह विश्वविद्यालय स्थापत्य कला का अद्भुत नमूना था। उत्तर से दक्षिण की ओर मठों की कतार थी और उनके सामने अनेक भव्य स्तूप और मंदिर थे। मंदिरों में बुद्ध भगवान की सुन्दर मूर्तियां स्थापित की गई थीं। यहां से विशिष्ट शिक्षाप्राप्त स्नातक बाहर जाकर बौद्ध धर्म का प्रचार किया करते थे।

पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम का सपना अब हो रहा साकार

Aerial view of administrative building of Nalanda University

आपके सामने यह नालंदा विश्वविद्यालय के एडमिनिस्ट्रेटिव बिल्डिंग का एरियल व्यू है। इन निर्माण कार्यों की प्रगति और उसकी खूबसूरती को देखते हुए लगता है कि पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम का सपना अब साकार हो रहा है। जिस भव्य तरीके से इसका निर्माण किया जा रहा है, वह सुखद है। विश्वविद्यालय की चमक अगर वापस  लौट रही है, तो उसके पीछे पूर्व केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज (अब दिवंगत) और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की लगी हुई घोर इच्छाशक्ति से इनकार नहीं किया जा सकता।

नालंदा विश्वविद्यालय का एम्फीथिएटर यानी मुक्ताकाशी मंच

Amphitheater of Nalanda University Muktakashi Manch

यहाँ ऊपर की तस्वीर अभी बन रहे नालंदा विश्वविद्यालय के एम्फीथिएटर यानी मुक्ताकाशी मंच की है। जलकुंडों या छोटे सरोवरों से घिरे इस एम्पीथिएटर को देखना आपके लिए सुकून देने वाला है। आपको बिल्डिंग के चारों तरह बिल्कुल साफ नीला पानी पसरा हुआ दिखेगा। यहाँ इस फ्रेम में जो नीचे की तस्वीर है, वह इस विश्वविद्यालय के ऑडिटोरियम की है। मंच और दर्शक दीर्घा का तालमेल ऐसा रखा गया है कि किसी भी सीट पर बैठ जाएं, पर मंच का कोई भी व्यू आपकी निगाहों से नहीं कटेगा।

विश्व विख्यात नालंदा विश्वविद्यालय

Academic spine of Nalanda University means main building of study

ये है नालंदा विश्वविद्यालय का ऐकैडमिक स्पाइन यानि अध्ययन की मेन बिल्डिंग। अपने पुरातन काल में नालंदा विश्वविद्यालय विश्व विख्यात हो चुका था, तब यहां महायान के प्रवर्तक नागार्जुन, वसुबन्धु, असंग और धर्मकीर्ति की रचनाओं पर विचार-मंथन होता था। वेद, वेदांत और सांख्य पढ़ाए जाते थे। व्याकरण, दर्शन, शल्य, ज्योतिष, योग और चिकित्सा भी पाठ्यक्रम का हिस्सा थे।