Alcohol Ban In Bihar: शराबबंदी से बिहार को क्या फायदा और कितना नुकसान हुआ? जानिए यहाँ

advantages and disadvantages of bihar alcohol prohibition

बिहार में 2015 के विधानसभा चुनाव के बाद नितीश कुमार ने आम जनता से राज्य में शराबबंदी करने का वादा किया था। सरकार बनने के बाद अप्रैल 2016 में बिहार में शराबंबदी का कानून लाया गया। और 1 अप्रैल 2016 को बिहार देश का 5वां ऐसा राज्य बन गया जहां शराब पीने और जमा करने पर प्रतिबंध लग गया था।

बिहार में शराबबंदी (Bihar Liquor Ban) हुए 7 साल पुरे हो गए है। ऐसे में आपके मन में ये सवाल जरूर उठता होगा की शराबबंदी से बिहार को क्या फायदा और कितना नुकसान हुआ? आईये जानते है इसके बारे में विस्तार से……..

बिहार में लागु शराबबंदी चर्चा का विषय

ये सच्चाई है की बिहार में शराबबंदी लागू है। लेकिन ये भी सच है की बिहार के कोने-कोने, गांव-गांव में शराब बिक रही है। जब बिहार में शराब बंद हुई तब महागठबंधन सरकार थी। बीच में नीतीश कुमार ने कुछ साल बीजेपी के साथ सरकार चलाई लेकिन शराबबंदी जारी रही।

7 साल से लागू शराबबंदी का नतीजा ये है कि बिहार में लाखों लोग जेल जा चुके हैं, कोर्ट पर लाखों केस का बोझ बढ़ गया है। पुलिस से लेकर उत्पाद विभाग तक के भ्रष्टाचार की गंगा में शराब का अवैध धंधा पूरे राज्य में अविरल चल रहा है।

Liquor ban was implemented in Bihar on April 1, 2016.
1 अप्रैल 2016 को बिहार में लागु हुई थी शराबबंदी

वहीँ बीच बीच में जहरीली शराब पीने से कुछ लोग मरते हैं, और बिहार में लागु शराबबंदी चर्चा का विषय बन जाती है। फिर कुछ दिन के लिए हंगामा होता है। फिर सब इस बात को भूल जाते हैं।

शराबबंदी से बिहार को क्या फायदा हुआ?

आइए एक नजर डालते हैं बिहार को नीतीश कुमार की शराबबंदी से क्या मिला?

  • घरेलू हिंसा के मामलों में कमी: बिहार में महिलाओं के खिलाफ पति या ससुराल के लोगों के हाथों घरेलू हिंसा के मामलों में 37 परसेंट की कमी आई है। वहीँ राष्ट्रीय स्तर पर इस तरह के मामले 12 परसेंट बढ़े हैं।
  • महिलाओं के साथ अपराध की दर में कमी: बिहार में महिलाओं के साथ अपराध की दर में 45 परसेंट की कमी आई है। राष्ट्रीय स्तर पर महिलाओं के साथ अपराध की दर में 3 परसेंट की बढ़त दर्ज की गई है।
  • शराब के प्रति जागरूकता बढ़ी: शराब पीने के नुकसान को लेकर लोगों के बीच जागरूकता बढ़ी है।
  • उत्पात और हुड़दंग में कमी: सार्वजनिक जगहों पर शराब पीकर उत्पात और हुड़दंग के मामले नगण्य हुए हैं।

शराबबंदी से बिहार को कितना हुआ नुकसान?

आइए एक नजर डालते हैं बिहार को नीतीश कुमार की शराबबंदी से कितना नुकसान हुआ?

  • राजस्व को हुआ सबसे बड़ा नुकसान: बिहार को शराब से 2015 में लगभग 4000 करोड़ की कमाई हुई थी। अनुमान है कि तब से अब तक 35-40 हजार करोड़ के राजस्व का मौका हाथ से निकला है।
  • मद्य निषेध विभाग पर खर्च बढ़ा: शराबबंदी लागू करने के लिए मद्य निषेध विभाग पर करोड़ों रुपए हर साल खर्च हो रहे हैं। 7 साल में मद्य निषेध सिपाही के पदों पर हजारों लोगों की भर्ती हुई है।
  • बिहार में शराब माफिया: बिहार में शराब से जुड़ा एक अंडरवर्ल्ड तैयार हो गया है। कानून व्यवस्था के लिए ये भविष्य में हमेशा खतरा बना रहेगा। शराबबंदी हटने की स्थिति में ये सब दूसरे अपराध में शिफ्ट करेंगे।
  • 10 हजार करोड़ का काला धन: शराबबंदी के बावजूद बिहार में शराब के अवैध धंधे से हर साल अनुमानित तौर पर 10 हजार करोड़ का काला धन पैदा हो रहा है जो राजनेता, माफिया, पुलिस और उत्पाद विभाग के लोगों के बीच बंट रहा है।
  • सड़क दुर्घटना में मौत के मामले बढ़े: सड़क दुर्घटना में मौत को शराब से भी जोड़कर देखा जाता है। घोषित तौर पर शराबबंदी के बावजूद बिहार में 2016 में सड़क दुर्घटना में 10571 लोगों की मौत हुई थी। 2021 को छोड़ दें तो मौत की संख्या 2016 से लगातार बढ़ती ही रही।
  • संज्ञेय अपराध और बड़े क्राइम बढ़े: 2016 में बिहार में 189681 संज्ञेय मामले दर्ज हुए थे जो 2017 में 236037 और 2018 में 262802 हो गया। इसी तरह मेजर क्राइम 2016 में 52316 से 2017 में 58846 और 2018 में 64118 हो गया।

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महाराष्ट्र से ज्यादा बिहार में शराब की खपत

हालाँकि एक चौकाने वाका तथ्य ये भी है की बिहार में शराबबंदी लागू होने के बाद भी यहां शराब की खपत महाराष्ट्र से भी ज्यादा है। जबकि महाराष्ट्र में शराबबंदी नहीं है।

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे (NFHS-5) के आंकड़े के आकड़ों की माने तो ड्राई स्टेट होने के बावजूद बिहार में महाराष्ट्र से ज्यादा शराब की खपत होती है।

आंकड़ों के मुताबिक, बिहार में कुल 15.5% पुरुष शराब पीते हैं। जबकि, महाराष्ट्र में शराब पीने वाले पुरुषों की तादात 13.9% है। हालांकि, 2015-16 की तुलना में बिहार में शराब पीने वाले पुरुषों में काफी कमी आई है। 2015-16 के सर्वे के मुताबिक, बिहार में करीब 28 फीसदी पुरुष शराब पीते थे।

NFHS-5 के आंकड़े ये भी बताते हैं बिहार के ग्रामीण और शहरी इलाकों में महाराष्ट्र की तुलना में शराब पीने वालों की संख्या ज्यादा है। बिहार के ग्रामीण इलाकों में 15.8% और शहर में 14% पुरुष शराब पीते हैं। वहीं, महाराष्ट्र के ग्रामीण इलाकों में 14.7% और शहरी इलाकों में 13% पुरुष शराब का सेवन करते हैं।

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देश के किन राज्यों में है शराबबंदी?

आपको बता दे की बिहार देश का इकलौता राज्य नहीं है, जहां पूरी तरह से शराबबंदी लागू है। देश के कई राज्यों में शराबबंदी लागू (Alcohol Prohibition In India) है। गुजरात देश का पहला राज्य था, जिसने शराबबंदी लागू की थी।

1960 में बॉम्बे से अलग होकर जब गुजरात बना, तभी से वहां शराबबंदी लागू है। उसके बावजद भी बीते 6 साल में गुजरात में 54 लोगों की मौत जहरीली शराब पीने से हो गई।

वहीँ अन्य राज्यों में मिजोरम, नागालैंड और लक्षद्वीप भी शामिल है जहाँ पूरी तरह से शराबबंदी लागू है। मणिपुर में भी 1991 से शराबबंदी थी, लेकिन अब सरकार ने इसमें थोड़ी छूट दे दी है। सरकार के अनुसार अवैध शराब पीने से स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं को कम करने और रेवेन्यू बढ़ाने के लिए ये फैसला लिया गया है।

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