जब 1983 के वर्ल्ड कप जीत के बाद लता जी ने जानिए किस तरह की थी BCCI की मदद, BCCI से था पुराना नाता

अभी हाल ही में भारत की सर्वश्रेष्ठ गायिका ‘स्वर कोकिला लता मंगेशकर जी का निधन हो गया।’ उनके निधन पर वर्तमान समय के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने दो दिवसीय ‘शोक दिवस’ की थी। लता जी को प्रधानमंत्री समेत सभी देशवासियों ने भावभीनी श्रद्धांजलि दी। वहीं आपको बता दें भले ही लता जी हमारे बीच अब नहीं रहीं हैं, लेकिन उनका ये मधुर गीत हमारे बीच सदियों तक गुनगुनाता रहेगा।
लता मंगेशकर जी क्रिकेट की बहुत दीवानी थी। वे क्रिकेट देखना खूब पसंद करती थीं। लता मंगेशकर जी और भारतीय क्रिकेट का एक पुराना किस्सा है, जो बहुत मशहूर है और बहुत ही यादगार है। बता दें कि कपिल देव की अगुवाई वाली भारतीय टीम ने जब वेस्ट इंडीज को 1983 के वर्ल्ड कप फाइनल में हराकर पहली बार क्रिकेट वर्ल्ड कप को अपने नाम किया था। तब बीसीसीआई के तत्कालीन अध्यक्ष और उस समय की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जी की सरकार के धाकड़ मंत्री दिवंगत एनकेपी साल्वे सामने यक्ष प्रश्न खड़ा हो गया।
प्रश्न ये था कि वेस्ट इंडीज के खिलाफ मिली फाइनल में इस बड़ी जीत का जश्न मनाने के लिए धन कहां से आयेगा। आपको बता दें कि उस भारतीय क्रिकेट बोर्ड क्रिकेट की दुनिया का महाशक्ति नहीं बना था। जैसा कि आज वर्तमान समय में भारतीय क्रिकेट बोर्ड दुनिया का सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड है। लेकिन उस समय भारतीय क्रिकेट बोर्ड अमीर नहीं था। आज के क्रिकेटरों की तरह धन वर्षा उस समय के क्रिकेटरों पर नहीं होती थी।
आज के भारतीय क्रिकेट बोर्ड के पास पांच अरब डॉलर का टीवी प्रसारण करार है। जबकि उस समय खिलाड़ियों को दैनिक भत्ता केवल 20 पाउंड मिलता था।
लता जी ने बीसीसीआई की इस तरह की थी मदद
एनकेपी साल्वे ने इस समस्या का समाधान करने के लिए राजसिंह डुंगरपुर से संपर्क किया। राजसिंह डुंगरपुर जी ने अपनी करीबी दोस्त क्रिकेट की दीवानी लता मंगेशकर जी से बात की और जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में एक कंसर्ट करने का अनुरोध किया। लता जी क्रिकेट की काफी दीवानी थीं। वे भी मान गईं और उन्होंने खचाखच भरे जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में लगातार 2 घंटे का कार्यक्रम किया।
उस कंसर्ट से बीसीसीआई ने काफी सारा पैसा इकट्ठा किया और एक एक लाख सभी खिलाड़ियों को दिया। आपको बता दें कि उस समय यह एक बहुत बड़ी रकम थी। आपको बता दें कि बीसीसीआई ने लता जी का यह योगदान कभी नहीं भूला और सम्मान के तौर पर भारत के हर स्टेडियम में अंतरराष्ट्रीय मैचों के 2 वीआईपी पास उनके लिए रखे जाते थे। लता जी और उनके भाई हृदयनाथ ब्रेबोर्न स्टेडियम पर 70 के दशक में हर मैच देखने जाते थे। चाहे वे कितने ही व्यस्त हों।