बिहार में बच्चों ने अख़बार से बनाई माँ सरस्वती की प्रतिमा, ईको फ्रेंडली कलाकारी का दिया सन्देश

सरस्वती पूजा पुरे देशभर में धूमधाम से मनाई जा रही है। कई स्थानों पर विद्या की देवी की मूर्ति भी स्थापित की जाती है। अज्ञानता को दूर करने और बुद्धिमान होने का आशीर्वाद पाने के लिए हर कोई मां सरस्वती की भक्ति पूरी श्रद्धा के साथ करते हैं। घरों से लेकर बाजार और मैदानों में भक्तगण माता शारदा की सुंदर और रंग-बिरंगी मूर्ति स्थापित करते हैं।
बिहार के पटना में भी कुछ स्कूली बच्चों ने मां सरस्वती की अनोखी मूर्ति बनाई हैं। जिसे देखकर हर कोई उनकी तारीफ़ कर रहा है। दरअसल, इन बच्चों ने मूर्ति को रद्दी हुए अखबारों से बनाया है। इको फ्रेंडली मूर्ति बनाकर बच्चों ने प्रकृति को बचाने को जो संदेश दिया है वो वाकई काबिल-ए-तारीफ है।

इस खबर में सभी के लिए बड़ी सीख
पटना से सरस्वती पूजा के पावन अवसर पर आई इस खबर में सभी के लिए एक बड़ी सीख है। यहां के बच्चों ने रद्दी पेपर से जो कमाल किया है, उसकी वाहवाही करने से आप भी खुद को नहीं रोक सकते। दरअसल, राजधानी के बच्चे रद्दी पेपर से बनाई गई मूर्ति के साथ सरस्वती पूजा मना रहे हैं।

मां सरस्वती की इको फ्रेंडली मूर्ति बनाकर बच्चों ने सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है। इस प्रतिमा को बनाने में उनकी कई दिनों की मेहनत लगी है। लेकिन अपनी बुध्दि और मेहनत के बल पर उन्होंने मां शारदा की मूर्ति को ऐसा आकर दिया है, कि हर किसी की निगाहें माता रानी पर थम सी गई है। ये खूबसूरत कारीगरी पटना दानापुर के रौनक कैपिटल ग्रीन अपार्टमेंट के बच्चों ने की है।

मां शारदा की मूर्ति को बनाने में कला निर्देशक संजय कुमार सिंह और सुनील कुमार चौधरी ने बच्चों की काफी सहायता की है। रद्दी अख़बार से मां सरस्वती की मूर्ति बनाने वाले बच्चे वेद ऋषि, छवि, निशि, शिवानी, सिमरन, निशा, खुशी और निधि ने बताया कि हम सभी बहुत उत्साहित हैं।
मां सरस्वती की प्रतिमा को नहीं करेंगे विसर्जित
शिक्षक संजय ने बताया कि बच्चे करीब 15, 20 दिन से मूर्ति को बनाने में जुटे हुए थे। ऑनलाइन क्लासेस के बाद बच्चे प्रतिमा बनाने में लग जाते थे। सरस्वती पूजा तक मूर्ति पूरी तरह तैयार हो गई, जिसकी अब पूजा की जा रही है। उन्होंने आगे बताया कि यह पब्लिक आर्ट है। वहीं मूर्ति का आधार लकड़ी से तैयार किया गया है।

इको फ्रेंडली मां सरस्वती की प्रतिमा की पूजा भक्तगण उल्लास और श्रद्धा के साथ कर रहे हैं। वहीं बच्चों ने इसे विसर्जित नहीं करने का फैसला किया है, वे इसे संजो कर रखेंगे ताकि एक समाज में एक संदेश जाए कि आसपास के सामानों से आप इको फ्रेंडली कई चीजें बना सकते हैं। बच्चों का कहना है कि पर्यावरण को नुकसान नहीं हो इसका ध्यान रखना बहुत जरूरी है।