Vande Bharat ट्रेनों के बारे में ये बात आपको नहीं होगी पता, यात्रा से पहले जान लीजिए

देश में पिछले कुछ सालों में एक के बाद एक वंदे भारत (Vande Bharat) ट्रेनों को लॉन्च किया गया है। फिलहाल वंदे भारत ट्रेन सेवाओं की कुल संख्या देश में 100 तक पहुंच गई है।
वंदे भारत ट्रेन अपनी गति, फीचर्स और डिज़ाइन को लेकर चर्चा का विषय रही हैं, लेकिन एक ऐसी बात है जिसके बारे में बहुत कम लोगों को ही पता है। आईये जानते है इसके बारे में।
वंदे भारत ट्रेनों के उद्घाटन पर करोड़ो खर्च
वंदे भारत ट्रेनों के उद्घाटन समारोह पर कितना सार्वजनिक पैसा ख़र्च किया गया है? बीबीसी द्वारा सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 का इस्तेमाल करते हुए एक आरटीआई के जरिए इस बात का पता चला है।
जिसके अनुसार भारतीय रेलवे (Indian Railways) ने पिछले दो सालों के अंदर अकेले वंदे भारत ट्रेनों को हरी झंडी दिखाने वाले दस कार्यक्रमों पर कुल 1.89 करोड़ रुपये खर्च कर दिए हैं।
जिसका अर्थ है की औसतन हर कार्यक्रम पर लगभग 19 लाख रूपए खर्च कर दिए गए हैं। आरटीआई के हवाले से पहले के साल का ब्यौरा भी मांगा गया था, जिसे उपलब्ध नहीं कराया गया है।
वंदे भारत पर रेलवे जोन वाइज़ इतना खर्च
इसके बाद न्यूज कंपनी द्वारा भारत के लगभग सभी रेलवे ज़ोनों को कवर करते हुए अलग-अलग रेलवे ज़ोन और कोंकण रेलवे को मिलाकर कुल 17 आरटीआई आवेदन दायर किए।
जिसमें से सिर्फ 6 जोनों का आंकड़ा प्राप्त हुआ है। आईये देखते है की भारत के विभिन्न रेलवे जोनों में वंदे भारत ट्रेनों के उद्घाटन कार्यक्रम पर कितना खर्च किया गया है?
- आरटीआई के अनुसार कोंकण रेलवे ने साल 2023 में दो वंदे भारत ट्रेनों के लॉन्च कार्यक्रम पर 1 करोड़ 6 लाख 23 हज़ार रुपये खर्च किए हैं। जिसमें खाने-पीने पर हुआ खर्च शामिल नहीं है।
- 2022 में दो वंदे भारत ट्रेनों को हरी झंडी दिखाने के लिए आयोजित कार्यक्रमों पर दक्षिण पश्चिम रेलवे ने 49 लाख 29 हज़ार 682 रुपये खर्च किए गए।
- 2023 में दो वंदे भारत ट्रेनों के उद्घाटन कार्यक्रम पर दक्षिण-मध्य रेलवे ज़ोन ने 16 लाख 58 हजार 983 रुपये खर्च किए गए।
- इसके अलावा पिछले दो सालों में सेंट्रल रेलवे, वेस्टर्न रेलवे, नॉर्दन रेलवे ने क्रमश: 4,46,083 रुपये, 7,44,084 रुपये और 5,52,450 रुपये खर्च किए हैं।
- वहीं अपने लिखित जवाब में दक्षिण पश्चिम रेलवे ज़ोन ने बताया कि उसने 2023 में वंदे भारत ट्रेन के साथ-साथ अन्य रेलवे संपत्तियों पर 9 लाख 5 हज़ार 915 रुपये अलग से भी खर्च किए हैं।
खर्चे का विवरण मांगने के बावजूद भी रेलवे ने अपनी तरफ से मोटे तौर पर ही आंकड़े उपलब्ध कराए है। हालांकि पूर्वी, पूर्वी मध्य, पूर्वी तट, उत्तर मध्य, उत्तर पूर्व, पूर्वोत्तर सीमांत, उत्तर पश्चिमी, दक्षिणी, दक्षिण पूर्वी, दक्षिण पूर्व मध्य और पश्चिम मध्य रेलवे ने सवालों का जवाब नहीं दिया है।
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