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बिहार के इस मंदिर में बिना मुहूर्त के संपन्न होते हैं विवाह, देश-विदेश के लोगों की लगती है लाइन

Garh Devi Temple Marhaura Bihar: भारत में शादी विवाह एक ऐसा धार्मिक कार्यक्रम है, जिसके लिए शुभ मुहूर्त देखना बहुत ही आवश्यक माना जाता है। बिना मुहूर्त के शादी संपन्न करना बहुत अशुभ माना जाता है। यदि शादी के लिए शुभ मुहूर्त नहीं मिल पाता है तो शादी को आगे बढ़ा दिया जाता है।

लेकिन आज हम आपको बिहार के एक ऐसे प्राचीन मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं। जहां शादी करने के लिए किसी भी प्रकार के शुभ मुहूर्त को देखने की जरूरत नहीं है। यहां साल के 12 महीना तक शादियां कराई जाती है।

हम बात कर रहे हैं बिहार के सारण जिले में स्थित मढ़ौरा इलाके में स्थित “गढ़ देवी मंदिर” बारे में, आपको बता दे, मढ़ौरा के इस गढ़ मंदिर में शादी करना बेहद ही शुभ माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि जो भी जोड़ इस मंदिर में सात फेरे लेते हैं। उनका वैवाहिक जीवन बेहद सुख में बीतता है।

धार्मिक मान्यताएं

मढ़ौरा के गढ़ मंदिर के बारे में कई प्राचीन किदवंतिया प्रचलित हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यह वही स्थान है जहां भगवान शिव की पत्नी सती देवी की मृत्यु के बाद उनके रक्त की बूंदे गिरी थी। जिसके कारण इस स्थान पर माता के मंदिर की स्थापना की गई थी। माता की शक्तिपीठों में से एक इस स्थान को बेहद ही पवित्र माना जाता है।

एक अन्य मान्यता के अनुसार बिहार के थावे शक्तिपीठ मंदिर के रहसू भगत ने माता को  आने का आमंत्रण दिया था। माता ने उसे आमंत्रण को स्वीकार करके कौड़ी कामाख्या से चलकर थावे तक आई थी। मान्यताओं के अनुसार माता ने थावे पहुंचने से पहले मढ़ौरा के गढ़ मंदिर  मैं विश्राम किया था। जिस वजह से यहां पर माता की दो पिंडिया स्थापित की गई है। साथ ही इस मंदिर को शक्ति स्थल के रूप में पूजा जाता है।

पश्चिम की तरफ स्थित है मुख्य द्वार

आपको बता दें भारतीय परंपराओं के अनुसार मंदिरों के मुख्य द्वार हमेशा पूर्व दिशा की ओर बनाए जाते हैं। परंतु पूरे भारत में मढौरा के गढदेवी मंदिर में ही मुख्यदार पश्चिम दिशा की ओर है।

इस मंदिर में दूर-दूर से लोग माता के दर्शन हो के लिए पहुंचते हैं। भारत ही नहीं विदेशों से भी यात्री खास तौर पर मढौरा के गढदेवी मंदिर में शादी करने अथवा शादी के जोड़ों को सुख में दांपत्य जीवन का आशीर्वाद दिलवाने के लिए यहां पहुंचते हैं।

बिना लग्न के होती है शादी

आपको बता दे इस मंदिर में शादी के लिए किसी भी लग्न मुहूर्त को देखने की आवश्यकता नहीं है। भारत के अलावा नेपाल से भी लोग अपने बच्चों की शादी इस मंदिर में करने के लिए पहुंचते हैं। साल के 12 महीने यहां पर विवाह संपन्न करवाए जाते हैं।

इस मंदिर के मुख्य पुजारी के अनुसार इस मंदिर में गुरु और शुक्र के अस्त होने के बाद भी लग्न किया जा सकता है। माता के आशीर्वाद से यहां यहां पर खरमास पितृपक्ष के अलावा भारतीय धर्म के अनुसार निषेध दोनों में भी विवाह संपन्न करवाया जा सकता है।

पुजारी जी के अनुसार गढ़ देवी को ग्रह नक्षत्र बताओ कि अधिपति देवी के रूप में जाना जाता है। जिस वजह से यहां पर ग्रह नक्षत्र का कोई भी प्रभाव देखने को नहीं मिलता है। यही वजह है कि यहां यहां दूर-दूर से लोग शादी करने के लिए पहुंचते हैं। इस मंदिर के मुख्य पुजारी तुकाई बाबा के देश के विभिन्न राज्यों से लोग माता के दर्शन के लिए यहां पहुंचते हैं।

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